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6th Phase: दिल्ली समेत इन 7 राज्यों की 14 अहम सीटों का पूरा गणित

UP में 14, हरियाणा में 10, पश्चिम बंगाल, बिहार और MP में 8-8, दिल्ली में 7  और झारखंड में 4 सीटों के लिए मतदान होगा.

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भारत
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6th Phase: दिल्ली समेत इन 7 राज्यों की 14 अहम सीटों का पूरा गणि
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6th Phase: दिल्ली समेत इन 7 राज्यों की 14 अहम सीटों का पूरा गणि
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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लोकसभा चुनावों के छठे चरण के 59 सीट के लिए रविवार को वोटिंग होगी. इनमें देशभर की 14 सीटें काफी अहम मानी जा रही हैं. सात राज्यों के 10.17 करोड़ से अधिक वोटर 979 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. रविवार को उत्तर प्रदेश में 14, हरियाणा में 10, पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश में आठ-आठ, दिल्ली में सात और झारखंड में चार सीटों के लिए मतदान होगा.

  • लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण में सात राज्यों की 59 सीटों पर वोटिंग
  • साल 2014 में इन 59 सीटों में से बीजेपी को मिली थीं 44 सीटें
  • साल 2014 में इन 59 सीटों में से TMC को मिली थीं 8 सीटें
  • एलजेपी को 1, अपना दल को 1, आईएनएलडी को 2, एसपी को 1 एक सीट हासिल हुई थी
  • 5 फेज में अबतक कुल 425 सीटों पर हो चुकी है वोटिंग

इन 59 सीटों का पूरा ब्योरा इस लिंक पर क्लिक कर पढ़िए

इन 14 अहम लोकसभा सीटों पर होगी नजर-

भोपाल (मध्य प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार: दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (बीजेपी).

खास बातें : साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा को उम्मीदवार बनाए जाने से भोपाल सीट काफी सुर्खियों में है. प्रज्ञा का मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से है.
दिग्विजय सिंह ने भी 'नरमपंथी हिंदुत्व' कार्ड खेला है. उन्होंने कंप्यूटर बाबा (नामदेव दास त्यागी) और साधु-संतों को अपने पक्ष में कर रोड-शो कराया. कंप्यूटर बाबा ने 'हठ योग' किया. वहीं, प्रज्ञा ठाकुर ने जेल में मिली कथित यातना का जिक्र कर मतदाताओं से सहानुभूति लेने की कोशिश की है. भोपाल साल 1989 से ही बीजेपी का गढ़ रहा है.

मुरैना (मध्य प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार : नरेंद्र सिंह तोमर, (बीजेपी), राम निवास रावत (कांग्रेस).

खास बातें : पूर्व सांसद अनूप मिश्रा और अशोक अर्गल का टिकट कट गया. इस बार केंद्रीय मंत्री तोमर को मुरैना से उम्मीदवार बनाया गया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अनूप मिश्रा ने कांग्रेस के बृंदावन सिंह सिकरवार को 132,981 मतों के अंतर से हराया था. साल 2009 में तोमर ने रावत को एक लाख से ज्यादा मतों से मात दी थी.
1996 से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मस्थली मुरैना ने लगातार बीजेपी को वोट दिया है.

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गुना (मध्य प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार : ज्योतिरादित्य सिंधिया (कांग्रेस), के.पी. यादव (बीजेपी).

खास बातें : साल 2002 से लगातार गुना सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे सिंधिया एक बार फिर यहां से सांसद बनने की जुगत में हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की जिन दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही, वे हैं गुना और छिंदवाड़ा.

यादव साल 2018 तक सिंधिया के भरोसेमंद सहयोगी रहे. उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा टिकट देने से मना करने के बाद इस साल की शुरुआत में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

भोपाल (मध्य प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार : दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (बीजेपी).

खास बातें : साल 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले की आरोपी प्रज्ञा को उम्मीदवार बनाए जाने से भोपाल सीट काफी सुर्खियों में है. प्रज्ञा का मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से है.

दिग्विजय सिंह ने भी 'नरमपंथी हिंदुत्व' कार्ड खेला है. उन्होंने कंप्यूटर बाबा (नामदेव दास त्यागी) और साधु-संतों को अपने पक्ष में कर रोड-शो कराया. कंप्यूटर बाबा ने 'हठ योग' किया. वहीं, प्रज्ञा ठाकुर ने जेल में मिली कथित यातना का जिक्र कर मतदाताओं से सहानुभूति लेने की कोशिश की है. भोपाल साल 1989 से ही बीजेपी का गढ़ रहा है.

सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार : मेनका गांधी (बीजेपी), संजय सिंह (कांग्रेस)

खास बातें : सुल्तानपुर में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और कांग्रेस के संजय सिंह के बीच करीबी मुकाबला है. 2014 में यह सीट मेनका के बेटे वरुण गांधी ने जीती थी.

कभी कांग्रेस का गढ़ रहे सुल्तानपुर निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी ने पहली बार साल 1991 में जीत का स्वाद चखा था. साल 1951 में पहला लोकसभा चुनाव होने के बाद से कांग्रेस ने सात बार सुल्तानपुर सीट अपने नाम किया है, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चार बार और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने दो बार यह सीट जीती है.

इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार : रीता बहुगुणा जोशी (बीजेपी), राजेंद्र प्रताप सिंह (सपा), योगेश शुक्ला (कांग्रेस).

खास बातें : बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए रीता बहुगुणा जोशी के लिए यह चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण है. मुरली मनोहर जोशी की बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्हें टिकट देने से मना कर दिया गया. रीता के पिता हेमवतीनंदन बहुगुणा 1971 में यहां से चुने गए थे.

इस प्रतिष्ठित लोकसभा सीट से पूर्व प्रधानमंत्रियों लालबहादुर शास्त्री और वी.पी. सिंह, सपा के जनेश्वर मिश्र और बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन निर्वाचित हो चुके हैं.

आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) :

अहम उम्मीदवार : अखिलेश यादव (सपा), दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' (बीजेपी).

खास बातें : समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ माने जाने वाले आजमगढ़ में यादव बनाम या यादव का मुकाबला देखने को मिल रहा है. मतदाताओं ने यहां 16 आम चुनावों और दो उपचुनावों में 18 सांसद चुने हैं. 18 में से 12 सासंद यादव रहे हैं.

साल 2014 में यहां से समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव सांसद बने.

आजमगढ़ लोसकभा सीट पर जातीय समीकरण यादवों के पक्ष में रहे हैं, जहां सवर्ण जातियों का 2.90 लाख वोट, ओबीसी का 6.80 लाख, दलित का 4.50 लाख और अल्पसंख्यक का 3.10 लाख हैं.

पूर्वी चंपारण (बिहार) :

अहम उम्मीदवार : राधा मोहन सिंह (बीजेपी), आकाश सिंह (आरएलएसपी)

खास बातें : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, जो मोतिहारी के रूप में जाने जाने वाले पूर्वी चंपारण से पांचवीं बार सांसद बने. इस बार उन्होंने घोषणा की है कि यह उनका आखिरी चुनाव होगा.

उनके खिलाफ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के 27 वर्षीय आकाश सिंह खड़े हैं, जिन्हें 'महागठबंधन' ने समर्थन दिया है. वह राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे हैं जिन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव में राधा मोहन सिंह को मात दी थी.

हिसार (हरियाणा) :

अहम उम्मीदवार : दुष्यंत चौटाला (जननायक जनता पार्टी), भव्य बिश्नोई (कांग्रेस), बृजेंद्र सिंह (बीजेपी).

खास बातें : हिसार में तीन राजनीतिक परिवारों का दिलचस्प त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला फिर से इस सीट पर काबिज होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. भव्य बिश्नोई दिवंगत नेता व तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके भजनलाल के पोते हैं, जबकि बृजेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं.

रोहतक (हरियाणा) :

अहम उम्मीदवार : दीपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस), अरविंद शर्मा (बीजेपी), धर्मवीर (इंडियन नेशनल लोकदल).

खास बातें : जाट बहुल आबादी वाले रोहतक में कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला देखने को मिल रहा है भले ही यहां से बसपा के किशन लाल और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के धर्मवीर सहित 18 उम्मीदवार मैदान में हैं.

झज्जर और रेवाड़ी जिलों के कुछ हिस्सों को शामिल करने वाला रोहतक संसदीय क्षेत्र परंपरागत रूप से जाट उम्मीदवारों के पक्ष में रहा है, लेकिन बीजेपी ने ब्राह्मण चेहरे को चुना है.

यह संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ है. कांग्रेस ने यहां 17 में से 11 बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. 41 साल के दीपेंद्र सिंह हुड्डा 2014 में मोदी लहर के हरियाणा से जीतने वाले एकमात्र कांग्रेस नेता थे.

सोनीपत (हरियाणा) :

अहम उम्मीदवार : भूपिंदर सिंह हुड्डा (कांग्रेस), रमेश चंद्र कौशिक (बीजेपी), दिग्विजय चौटाला (जेजेपी), सुरेंद्र छिकारा (इनेलो).

खास बातें : इस जाट बहुल संसदीय क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है. कौशिक को छोड़कर, सभी चार मुख्य उम्मीदवार जाट समुदाय के हैं, जिसके पास 15 लाख से अधिक वोट हैं.

इस निर्वाचन क्षेत्र में नौ विधानसभा सीटों में से पांच हुड्डा के वफादारों के पास हैं, जो उम्मीदवार को लेकर खींचतान को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक थे. जेजेपी के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला जींद जिले में पड़ने वाले तीन विधानसभा क्षेत्रों पर काफी हद तक निर्भर है. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी अपनी सोनीपत और जींद विधानसभा क्षेत्रों में शहरी निर्वाचन क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर करता है.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली (दिल्ली) :

अहम उम्मीदवार : मनोज तिवारी (बीजेपी), शीला दीक्षित (कांग्रेस), दिलीप पांडे (आप).

खास बातें : उत्तर पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए प्रतिष्ठित सीट के रूप में उभरा है, जहां तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित का मुकाबला दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के साथ है.

आम आदमी पार्टी (आप) के दिलीप पांडे इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं.

चांदनी चौक (दिल्ली) :

अहम उम्मीदवार : हर्षवर्धन (बीजेपी), जय प्रकाश अग्रवाल (कांग्रेस), पंकज गुप्ता (आप).

खास बातें : चांदनी चौक व्यापारी समुदाय बहुल क्षेत्र हैं जिसमें शहर के सबसे बड़े थोक बाजार हैं. विपक्ष जीएसटी, सीलिंग और नोटबंदी को अहम मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहा है.

हर्षवर्धन समाज के सभी वर्गो से अपील कर रहे हैं. साथ ही लोगों के मन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी सम्मान है, जबकि अग्रवाल स्थानीय व्यापारी समुदाय से पुराने संबंधों और मुस्लिम वोटरों का कांग्रेस के प्रति झुकाव को भुनाने की कोशिश में लगे हैं. गुप्ता को दिल्ली सरकार द्वारा लॉन्च की गई योजनाओं का लाभ मिलने और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता से लाभ मिलने की उम्मीद है.

पूर्वी दिल्ली (दिल्ली) :

मुख्य उम्मीदवार : गौतम गंभीर (बीजेपी), आतिशी (आप), अरविंदर सिंह लवली (कांग्रेस).

खास बातें : बीजेपी मोदी की लोकप्रियता और गंभीर के स्टार इमेज पर भरोसा कर रही है, जबकि आप मतदाताओं और केजरीवाल के करिश्मे और आतिशी के व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं के साथ जुड़वा पर निर्भर है. वहीं, कांग्रेस बीजेपी और आप दोनों उम्मीदवारों को 'राजनीतिक पर्यटक' और 'बाहरी' कह रही है, क्योंकि वे पूर्वी दिल्ली से नहीं हैं.

दक्षिण दिल्ली (दिल्ली) :

अहम उम्मीदवार : रमेश बिधूड़ी (बीजेपी), विजेंद्र सिंह (कांग्रेस), राघव चड्ढा (आप).

खास बातें : जाट और गुर्जर व पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले पूर्वाचलियों के साथ यहां 20.67 लाख मतदाता हैं. उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए इन समुदायों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं.

(इनपुट: IANS)

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Published: 11 May 2019,06:11 PM IST

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