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'न हिडन कैमरा-न वीडियो लीक': उडुपी के कॉलेज में छात्रा की रिकॉर्डिंग पर पुलिस

एक निजी कॉलेज की 3 मुस्लिम छात्राओं को वॉशरूम के अंदर एक हिंदू छात्र का वीडियो बनाने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया

मीनाक्षी शशि कुमार
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>उडुपी के कॉलेज में छात्रा की रिकॉडिंग मामला</p></div>
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उडुपी के कॉलेज में छात्रा की रिकॉडिंग मामला

(फोटो: विभूषिता सिंह/द क्विंट)

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कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी में 20 जुलाई को एक प्राइवेट पैरामेडिकल कॉलेज की तीन महिला छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया था. उनपर आरोप था कि उन्होंने वॉशरूम के अंदर मोबाइल फोन का उपयोग करके एक छात्रा का वीडियो बनाया था. संस्थान ने उसी दिन पुलिस को इस मामले की सूचना दी थी जिसके बाद जांच शुरू की गई.

लेकिन इस घटना ने अगले कुछ दिनों में एक गंभीर सांप्रदायिक मोड़ ले लिया. कई दक्षिणपंथी समूहों ने आरोप लगाया कि सस्पेंड हुईं छात्राएं, जो मुस्लिम थीं, ने "हिंदू लड़कियों" के प्राइवेट वीडियो शूट करने के लिए छिपे हुए कैमरों का इस्तेमाल किया और उन्हें "जिहादी साजिश" के तहत मुस्लिम लड़कों के बीच फैला दिया.

उडुपी पुलिस के साथ-साथ संस्थान ने भी इन दावों का सख्ती से खंडन किया है.

उडुपी के पुलिस अधीक्षक हाके अक्षय मच्छिन्द्र ने मंगलवार, 25 जुलाई को मीडिया को बताया, "इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग गलत सूचना और अफवाहें शेयर कर रहे हैं. शायद, वे किसी मकसद से ऐसा कर रहे हैं. मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि हालांकि ऐसी रिपोर्ट्स थीं कि कैमरे छिपाए हुए थे, लेकिन हमारी जानकारी के अनुसार, इस मामले में ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया है."

उडुपी के पुलिस अधीक्षक हाके अक्षय मच्छिन्द्र

(फोटो: स्क्रीनग्रैब)

द क्विंट से फोन पर बात करते हुए संस्थान की डायरेक्टर रश्मी कृष्ण प्रसाद ने भी कहा कि कोई वीडियो लीक नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि वीडियो को तीन मुस्लिम छात्रों ने उस हिंदू लड़की के सामने ही डिलीट कर दिया था. उनके अनुसार हिंदू लड़की ने खुद स्वीकार किया था कि वीडियो उसके सामने डिलीट कर दिया गया था.

"सोशल मीडिया पर जो कहा जा रहा है वैसा नहीं है. कोई वीडियो किसी के बीच सर्कुलेट नहीं किया गया. यह सब झूठ है. ऐसा संस्थान की छवि के साथ-साथ छात्रों के भविष्य को खराब करने के लिए शेयर किया जा रहा है."
रश्मी कृष्ण प्रसाद, डायरेक्टर

तो, वास्तव में क्या हुआ?

18 जुलाई को, तीन छात्राओं ने कथित तौर पर संस्थान के वॉशरूम के अंदर दूसरी छात्रा का वीडियो शूट किया. हालांकि, उन्होंने छात्रा के सामने ही उसके वीडियो को वहीं डिलीट कर दिया.

डायरेक्टर ने कहा, "छात्रा ने फैकल्टी की एक फीमेल मेंबर को इसके बारे में सूचित किया. वह सिर्फ यह चाहती थी कि वे ऐसा करने के लिए उन लड़कियों को डांटे; वह शिकायत दर्ज नहीं करना चाहती थी."

डायरेक्टर को घटना की जानकारी 20 जुलाई की सुबह हुई - और उन्होंने तुरंत पुलिस को फोन किया.

"हमने लड़कियों के माता-पिता को भी बुलाया और पुलिस की मौजूदगी में उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने 'मजे/फन के लिए' वीडियो बनाया था. दूसरी लड़की ने कहा कि उन्होंने इसे तुरंत डिलीट भी दिया था."
रश्मी कृष्ण प्रसाद, डायरेक्टर

द क्विंट ने इस मामले से जुड़ी छात्राओं तक पहुंचने की कोशिश की. हम उनसे संपर्क नहीं कर पाये. अगर हमें उनकी प्रतिक्रिया मिलेगी तो स्टोरी अपडेट की जाएगी.

डायरेक्टर रश्मी कृष्ण प्रसाद ने कहा, "हमने फोन जब्त कर लिया और तीनों छात्राओं को अगली सूचना तक सस्पेंड कर दिया. फोन को जांच के लिए पुलिस को सौंप दिया गया."

डायरेक्टर ने कहा कि उन्होंने तीन छात्राओं को सस्पेंड करने का फैसला किया क्योंकि "किसी भी स्टूडेंट को कॉलेज में फोन लाने की अनुमति नहीं है" और क्योंकि "उन्होंने अपराध करना भी स्वीकार कर लिया है."

डायरेक्टर ने आगे कहा कि हिंदू लड़की ने भी बयान देते हुए कहा कि वह कोई शिकायत दर्ज नहीं कराना चाहती, क्योंकि वे उसके साथ कॉलेज में पढ़ती हैं और उनका भविष्य भी महत्वपूर्ण है.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संस्थान में कहीं भी कोई "छिपे हुए कैमरे" नहीं हैं.

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दक्षिणपंथी समूह कैसे शामिल हुए?

छात्राओं को सस्पेंड किए जाने के बाद, कर्नाटक में एक दक्षिणपंथी छात्र संगठन, ऑल कॉलेज स्टूडेंट पावर ने उडुपी एसपी को पत्र लिखकर तीनों मुस्लिम छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

उन्होंने यह भी धमकी दी कि अगर कॉलेज ने छात्राओं के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं की तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे.

द न्यूज मिनट के अनुसार, ऑल कॉलेज स्टूडेंट पावर के मेंबर समाचार चैनलों पर यह आरोप लगाते हुए भी दिखाई दिए कि कई हिंदू महिलाएं इस "साजिश" का शिकार थीं.

कुछ मीडिया हॉउस ने भी इस दावे को हवा दी. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में इस घटना की तुलना 1992 के अजमेर सेक्स स्कैंडल से की गई, जिसमें "स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली सैकड़ों लड़कियों को व्यवस्थित रूप से ब्लैकमेल और सामूहिक बलात्कार किया गया था."

रश्मि सामंत नाम की एक ट्विटर यूजर ने दावा किया कि तीन मुस्लिम छात्राओं ने "सैकड़ों हिंदू लड़कियों को रिकॉर्ड करने के लिए अपने कॉलेज के महिला शौचालयों में कैमरे लगाए थे. इसके बाद वीडियो और तस्वीरों को सामुदाय के व्हाट्सएप ग्रुप में सर्कुलेट किया गया था."

उसने यहां तक ट्वीट किया कि "वीडियो में दिखाई गई कई लड़कियां इस हद तक उदास और परेशान हैं कि वे सुसाइड के बारे में सोच रही हैं. फिर भी, इस मुद्दे की उतनी गंभीरता से निंदा नहीं की जा रही है जितनी होनी चाहिए."

कथित तौर पर, तमिलनाडु का एक अलग वीडियो भी सोशल मीडिया पर यह दावा करते हुए फैलाया किया गया कि इसे उडुपी में तीन मुस्लिम छात्राओं द्वारा शूट किया गया था.

मीडिया से बात करते हुए एसपी मच्छिन्द्र ने कहा:

"कल, हमने कुछ वीडियो देखे जो दूसरी परिस्थितियों में रिकॉर्ड किए गए थे, उन्हें भी इस विशेष घटना से जोड़ा जा रहा है. उन वीडियो और इस घटना के बीच कोई संबंध नहीं है. कुछ वीडियो को वॉयसओवर के साथ गलत तरीके से एडिट किया गया और इस घटना से जोड़ा गया. इसका कोई संबंध नहीं है."

उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि "ऐसी भी खबरें हैं कि वे [छात्राएं] उन वीडियो को सर्कुलेट कर रही हैं और हिंदू छात्रा को ब्लैकमेल कर रही हैं. अब तक, पुलिस विभाग ने इसे सच नहीं पाया है."

एसपी ने लोगों से अपील की कि वे गलत सूचना और अफवाहें न फैलाएं. उन्होंने कहा, "इसका बड़े पैमाने पर छात्रों, शिक्षकों और समाज पर प्रभाव पड़ रहा है."

दक्षिणपंथी समूह ने जारी किया 'स्पष्टीकरण'

उडुपी पुलिस द्वारा अपना बयान जारी करने के बाद, ऑल कॉलेज स्टूडेंट पावर ने ट्विटर पर यह स्पष्ट किया कि जिस वीडियो को उडुपी का बताकर प्रसारित किया जा रहा है, वह वास्तव में तमिलनाडु का था.

बयान में कहा गया, "मामले की व्यापक तरीके से जांच करने के लिए पुलिस विभाग को धन्यवाद. वीडियो को कुछ संगठनों और व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किया जा रहा है. वीडियो वास्तव में तमिलनाडु का है, इस मामले में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए."

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