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UIDAI ने 127 लोगों को नोटिस जारी कर उन पर आरोप लगाया है कि वो भारत के नागरिक हैं कि नहीं ये संदिग्ध है. UIDAI ने इन लोगों से कहा है कि वो जरूरी कागजात जमा कर ये साबित करें कि वो भारत के नागरिक हैं.
3 फरवरी को लिखी गई चिट्ठी में, UIDAI ने साफ किया कि इन लोगों के खिलाफ ‘शिकायत/आरोप’ है कि इन्होंने ‘फर्जी तरीके से अपने आधार कार्ड’ बनवाए, जिसमें ‘गलत दावे’ किए गए और ‘फर्जी कागजात’ पेश किए गए.
सोशल मीडिया पर सियासी चेहरों और कार्यकर्ताओं ने UIDAI को चुनौती दी कि उसके पास किसी की नागरिकता पर सवाल खड़े करने का अधिकार नहीं है, ये तो Soft NRC लागू करने की कोशिश है. लोगों का आक्रोश देखने के बाद UIDAI इस मामले पर अपनी सफाई पेश करने के लिए मजबूर हुआ.
मंगलवार, 18 फरवरी, को प्रेस में वक्तव्य जारी करते हुए UIDAI ने स्पष्ट किया कि लोगों को जारी की गई नोटिस का नागरिकता से कोई लेना देना नहीं है और आधार नंबर रद्द होने से किसी भी व्यक्ति की राष्ट्रीयता का कोई सरोकार नहीं है.
वरिष्ठ वकील मुजफरुल्लाह खान शफात ने द क्विंट से बीत की. शफात आधार कार्ड धारक और हैदराबाद के चार मीनार इलाके के निवासी मोहम्मद सत्तार खान के केस की पैरवी कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल और उनके माता-पिता सभी हैदराबाद के निवासी हैं.
UIDAI के आरोपों का पुरजोर विरोध करते हुए शफात ने कहा, ‘सत्तार खान के वालिद का नाम अजीज खान है, वो हैदराबाद ऑलविन में काम करते थे और आंध्र प्रदेश सरकार की इस कंपनी में इंजीनियर थे.’
UIDAI ने मंगलवार, 18 फरवरी, को कहा कि हैदराबाद दफ्तर ने 127 लोगों को फर्जी तरीके से आधार नंबर लेने के आरोप में जो नोटिस भेजे उसका नागरिकता से कोई लेना देना नहीं है.
UIDAI ने कहा, ‘ये नोटिस तेलंगाना पुलिस की रिपोर्ट पर भेजे गए थे. 12 अंकों की बायोमेट्रिक आईडी देने वाली संस्था ने अपने जवाब में कहा,
लेकिन 3 फरवरी को लिखी UIDAI की चिट्ठी और बाद में उस पर आई सफाई से कई सवाल खड़े हो गए हैं.
UIDAI ने अपनी सफाई में कहा है: ‘इन नोटिस का नागरिकता से कोई वास्ता नहीं है.’
जबकि UIDAI की चिट्ठी में लिखा है: ‘आपको ये निर्देश दिया जाता है कि आप जांच अधिकारी के सामने अपने सभी कागजातों के साथ पेश हों जिससे आपकी नागरिकता का दावा साबित हो.’
UIDAI की सफाई में लिखा है: ‘आधार नंबर के खारिज होने का किसी निवासी की राष्ट्रीयता से कोई लेना देना नहीं है.’
जबकि UIDAI की चिट्ठी कहती है: आधार नंबर के खारिज होने से बचने के लिए आरोपी को मई महीने में जांच के लिए पेश होना होगा और अपनी नागिरकता साबित करनी होगी.
2016 के आधार नियम के प्रावधानों के मुताबिक, UIDAI आधार नंबर और पहचान से जुड़ी जानकारियों को हटाने या डिएक्टिवेट करने की जांच कर सकती है.
सेक्शन 29 में लिखा है, ‘आधार नंबर हटाने या डिएक्टिवेट करने की जांच’ के लिए फील्ड इनक्वाएरी जरूरी है ‘जिसके तहत जिन लोगों के आधार नंबर हटाने या डिएक्टविट करने हैं उनकी सुनवाई भी होगी.’
इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए, AIMIM नेता ने कहा, ‘इस केस में डिप्टी डायरेक्टर ने नागरिकता की जांच की बात की – जो कि उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है.’
द क्विंट ने मुजफरुल्लाह खान शफात से बात की जो कि हैदराबाद के ऐसे तीन आधार कार्ड धारकों के वकील हैं. उन्होंने UIDAI की प्रक्रिया में कथित गड़बड़ी से जुड़े कई सवाल पूछे. शफात ने बताया कि उनके दो मुवक्किल अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते.
हालांकि उन्होंने मोहम्मद सत्तार खान के बारे में खुलकर बात की, जो कि चार मीनार के निवासी हैं, दिहाड़ी पर मजदूरी का काम करते हैं और ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं.
1. UIDAI के पास नागरिकता पर सवाल करने के क्या अधिकार हैं?
शफात ने दावा किया है कि- ‘तर्क के लिए एक बार हम ये मान भी लें कि हमारे मुवक्किलों के पास जाली आधार कार्ड हैं या वो बिना पूरी जानकारी दिए आधार नंबर पाने में कामयाब हो गए. इसके बावजूद UIDAI उनकी नागरिकता पर उंगली नहीं उठा सकता. UIDAI कानून उन्हें इसका अधिकार नहीं देता है.’
2. UIDAI ने कागजातों को लेकर तस्वीर साफ क्यों नहीं की?
शफात ने कहा, ‘उन्होंने कहीं ये नहीं लिखा है कि मेरे मुवक्किल को कौन-कौन से कागजात पेश करने हैं. जहां तक पढ़े लिखे लोगों का सवाल है उनके पास जन्म प्रमाण पत्र होता है. लेकिन दिहाड़ी का काम करने वाले गरीब लोगों के पास बर्थ सर्टिफिकेट नहीं होता. खेतों में काम करने वाले ज्यादातर लोगों के पास ये कागजात नहीं होते.’
शफात ने हैरानी जाहिर करते हुए पूछा क्या इतने दिनों बाद कोई विभाग नागरिकता पर सवाल पूछ सकती है. ‘इन लोगों को ये आधार नंबर 2017 में जारी किए गए थे. और UIDAI 2019 में इस पर सवाल खड़े कर रही है?’
शफात ने आगे कहा कि सत्तार के दो भाई और चार बहनें भी हैं और आधार कार्ड उन्हें भी जारी किया जा चुका है. ‘सत्तार शादीशुदा है, इसके चार बच्चे हैं और पूरे परिवार के पास आधार कार्ड है. लेकिन सवाल सिर्फ सत्तार से पूछा जा रहा है.’
आरोपी का केस लड़ने वाले सीनियर वकील शफात ओवैसी से रजामंदी रखते हैं जिन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ‘UIDAI के पास नागरिकता की जांच करने का अधिकार नहीं है.’
जिस तरीके से ये आरोप लगाए गए और पता साबित करने के बजाए नागरिकता साबित करने की मांग की गई, शफात ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा ‘ये कुछ और नहीं बल्कि सॉफ्ट NRC है.’
‘हमें तेलंगाना पुलिस की शिकायत की ऐसी कोई कॉपी नहीं दी गई है,’ शफात ने आगे कहा कि ये भी साफ नहीं है कि पुलिस ने आखिर किस आधार पर तय कर लिया कि ये लोग अवैध नागरिक हैं.
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