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एंटी-CAA प्रदर्शनकारी और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य उमर खालिद को 14 सितंबर की आधी रात के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार कर लिया. खालिद की गिरफ्तारी दिल्ली दंगों की कथित साजिश की जांच से संबंधित FIR 59 के तहत हुई है.
खालिद पर UAPA लगाया गया है और उन पर राजद्रोह, हत्या, हत्या की कोशिश और IPC की कई धाराओं के तहत आरोप लगे हैं.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने अभी तक FIR 59 में चार्जशीट दाखिल नहीं की है और इसकी डेडलाइन 17 सितंबर है. उमर खालिद का नाम और भी कई चार्जशीट में आ चुका है.
आइए देखते हैं कि ये चार्जशीट खालिद के बारे में क्या कहती हैं और उनके खिलाफ दर्ज हुई असल चार्जशीट में क्या है.
दयालपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR 65 की चार्जशीट: "जांच के दौरान ये पाया गया कि ताहिर हुसैन यूनाइटेड अगेंस्ट हेट ग्रुप के खालिद सैफी के संपर्क में थे. सैफी के जरिए हुसैन उमर खालिद के संपर्क में भी थे. सैफी ने 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में हुसैन और उमर की मुलाकात कराई. इस मुलाकात में ये तय किया गया कि केंद्र सरकार को CAA/NRC के मुद्दे पर हिलाने और अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत को बदनाम करने के लिए बड़ा धमाका करना होगा. मुलाकात में उमर खालिद ने कहा था कि फंड की चिंता न करें क्योंकि PFI दंगों के लिए फंड और लॉजिस्टिक्स मुहैया करा देगा. इन दंगों को फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के दौरान या पहले करने की योजना थी."
8 जनवरी की मुलाकात का जिक्र खजूरी खास पुलिस स्टेशन में दर्ज एक और FIR में भी है.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की दर्ज की हुई FIR 101 की चार्जशीट: “ताहिर हुसैन के बयान से पता चला है कि उन्होंने खालिद सैफी और उमर खालिद के साथ मिलकर 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग की मुलाकात में इन दंगों की योजना बनाई."
हालांकि, क्विंट ने पाया कि संभावित ट्रंप दौरे का पहला जिक्र ही 13 जनवरी को हुआ था. मतलब कि इस कथित मुलाकात के पांच दिन पहले. इस पर क्विंट की पूरी पड़ताल यहां पढ़िए.
क्राइम ब्रांच के पास रजिस्टर्ड FIR 101 की चार्जशीट में एक फ्लो चार्ट है, जिसमें उमर खालिद समेत 21 लोगों के नाम और फोन नंबर मौजूद हैं.
चार्जशीट में लिखा है: "एक फ्लो चार्ट बनाया गया है, जिसमें ताहिर हुसैन को दूसरे साजिशकर्ताओं के साथ बात और संपर्क करते हुए दिखाया गया है. हुसैन समेत इन सभी लोगों ने एक अच्छी तरह से बनाई गई साजिश के तहत दिल्ली में दंगे कराए."
उमर के वकील ने कहा कि ये सभी आरोप गलत हैं.
जाफराबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई FIR 50 के तहत दाखिल हुई पूरक चार्जशीट में लिखा है"
"एक सार्वजानिक गवाह Y ने CrPC के सेक्शन 161 और 164 के तहत पुलिस को बताया है कि जनवरी के आखिरी हफ्ते में उमर खालिद ने सीलमपुर के पुराने बस स्टैंड के पास के प्रदर्शन स्थल के करीब ऑफिस में निजी बैठक में हिस्सा लिया था और बैठक में मौजूदा एप्लिकेंट और उनके सहयोगी भी मौजूद थे. उमर खालिद ने उनसे कहा कि अब सिर्फ भाषणों से काम नहीं चलेगा, सरकार मुस्लिमों के खिलाफ है 'खून बहाना पड़ेगा ऐसे नहीं चलेगा, चक्का जाम ही आखिरी रास्ता है, हमें सरकार को घुटनों के बल लाना ही होगा, संघियों की सरकार ऐसे नहीं मानेगी."
ये बात महत्वपूर्ण है कि चार्जशीट में गवाह को एक महिला बताया गया है, वहीं FIR में दो और जगहों पर गवाह को एक आदमी बताया गया है.
क्विंट ने खालिद के वकील त्रिदीप पाइस से बात की और उन्होंने कहा, "ये बात और खालिद के खिलाफ आरोप एकदम झूठे, गढ़े हुए और गैरकानूनी रूप से दबाव में लिया गया है."
इस चार्जशीट में एंटी-CAA एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा के डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में लिखा है: "उमर खालिद वित्तीय तौर पर प्रदर्शन आयोजित कराने में मदद करते थे. वो कहते थे कि पैसे की चिंता मत करो. मैं PFI से पैसा ले आऊंगा."
क्विंट ने फातिमा के वकील महमूद प्राचा से संपर्क किया और उन्होंने इस बयान को झूठा बताया. प्राचा ने कहा, "ये एकदम झूठा और निराधार है. सरकार जो चाहती है, उसके आधार पर नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए पुलिस का ये एजेंडा है." गुलफिशा के बयान में प्राचा का जिक्र भी है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एविडेंस एक्ट के सेक्शन 25 के तहत पुलिस में दर्ज बयानों का आरोपी के खिलाफ कोई प्रभाव नहीं रहता है."
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल में दर्ज हुई FIR 59 अब 'साजिश' FIR बन चुकी है, लेकिन ये 6 मार्च को उमर खालिद के खिलाफ ही दर्ज हुई थी.
FIR के मुताबिक, ASI अरविंद कुमार ने कहा था कि एक इनफॉर्मर ने उन्हें बताया कि दिल्ली दंगे एक 'पहले से बनाई हुई साजिश' का हिस्सा हैं, जो कि कथित रूप से खालिद, दानिश और अलग-अलग संगठनों के दो और लोगों ने बनाई थी.
FIR कहती है: "खालिद ने कथित रूप से दो जगहों पर उकसाने वाले भाषण दिए और नागरिकों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के दौरान सड़कों पर आने और उन्हें ब्लॉक करने की अपील की, जिससे कि इंटरनेशनल लेवल पर ये प्रोपेगेंडा फैले कि भारत में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न हो रहा है."
इस FIR में चार्जशीट दाखिल होना अभी बाकी है. ये साफ नहीं है कि वो दो भाषण कौन से हैं. हालांकि, खालिद के महाराष्ट्र के अमरावती में दिए गए भाषण को बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 17 फरवरी को शेयर किया था और फिर इसे गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में 11 मार्च को दोहराया था. शाह ने खालिद पर लोगों को उकसाने का आरोप लगाया था. हालांकि, जो क्लिप बीजेपी ने वायरल की थी, वो खालिद के भाषण के आखिरी 40 सेकंड ही थे.
यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH) ने अमित शाह के आरोपों का जवाब देते हुए बयान जारी किया था. इसमें UAH ने कहा कि खालिद ने अहिंसक तरीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया था. भाषण के एक और हिस्से में खालिद ने कहा था: "हम हिंसा का जवाब हिंसा से नहीं देंगे. हम नफरत का जवाब नफरत से नहीं देंगे. अगर वो नफरत फैलाते हैं तो हम प्यार से जवाब देंगे. अगर वो हमें लाठियों से मारेंगे तो हम तिरंगा पकड़े रहेंगे. वो गोली चलाएंगे तो हम संविधान पकड़े रहेंगे. वो हमें जेल में डालेंगे, तो हम 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' गाते हुए जेल जाएंगे."
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