मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP Social Media Policy: सोशल मीडिया पर सरकार के प्रचार पर मिलेंगे लाखों रुपए, लेकिन उठ रहे गंभीर सवाल

UP Social Media Policy: सोशल मीडिया पर सरकार के प्रचार पर मिलेंगे लाखों रुपए, लेकिन उठ रहे गंभीर सवाल

इस नीति के अनुसार, राष्ट्र विरोधी पोस्ट के लिए सजा का प्रवाधान भी किया गया है

प्रतीक वाघमारे
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>UP Digital Media Policy: सरकार के प्रचार पर मिलेंगे लाखों, विपक्ष कर रहा विरोध</p></div>
i

UP Digital Media Policy: सरकार के प्रचार पर मिलेंगे लाखों, विपक्ष कर रहा विरोध

(फोटो- क्विंट हिंदी)

advertisement

आप क्या खाना चाहते हैं? कौन से स्किन केयर प्रोडक्ट इस्तेमाल करने हैं? क्या पहनना है? आजकल ये सब बताने वाले सोशल मीडिया (Social Media) का इस्तेमाल अब सरकार भी करने जा रही है. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश डिजिटल मीडिया पॉलिसी (UP Digital Media Policy) की घोषणा की है. सोशल मीडिया पर यूपी सरकार की योजनाओं, नीतियों/उपल्बधियों को बताने वाले को अब हर महीने 8 लाख रुपये तक पैसा दिया जाएगा. वहीं आपत्तिजनक या राष्ट्र विरोधी पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

चलिए आपको बताते हैं किसे कितना पैसा मिलेगा? किन्हें मिलेगा? और इस नीति की आलोचना क्यों हो रही है?

इस पॉलिसी के तहत एक्स, इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर आपके कितने फॉलोअर्स/सब्सक्राइबर्स हैं और पोस्ट पर कितने व्यूज (views) हैं, इस आधार पर यूपी सरकार इंफ्लुएंसर्स को पेमेंट करेगी. इंफ्लुएंसर्स या कंटेंट क्रिएटर कोई व्यक्ति, कंपनी या एजेंसी भी हो सकता है.

रजिस्ट्रेशन

इंफ्लुएसर्स अपने एक्स, फेसबुक, इंस्टा या यूट्यूब किसी भी अकाउंट को या सभी अकाउंट को सरकार के पास रजिस्टर करा सकते हैं. इसके लिए दो शर्ते पूरी करनी होगी. इंफ्लुएसर के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं होना चाहिए और उसका अकाउंट कम से कम दो साल से एक्टिव होना चाहिए. इंफ्लुएंसर को अपने चैनल या पेज की 6 महीने की एनालिटिक्स की रिपोर्ट भी देनी होगी जिससे पता चल सके कि चैनल कितना चलता है.

एक्स, इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर पेमेंट अलग-अलग मिलेगा. फॉलोअर्स या सब्सक्राइबर्स के आधार पर मिलेगा. चलिए चारों प्लेटफॉर्म का अलग-अलग आपको बताते हैं.

यूट्यूब

हर प्लेटफॉर्म के लिए चार कैटेगरी बनाई गई है. यूट्यूब में 4 लाख, 6 लाख, 7 लाख और 8 लाख रुपए की कैटेगरी बनाई गई है. अगर आपके यूट्यूब चैनल पर एक लाख सब्सक्राइबर्स हैं तो 4 लाख रुपए तक मिलेंगे. अगर 2 लाख सब्सक्राइबर्स हैं तो 6 लाख रुपए तक मिलेंगे. 5 लाख सब्सक्राइबर्स होने पर 7 लाख रुपए तक मिलेंगे और 10 लाख सब्सक्राइबर्स हैं तो 8 लाख रुपए तक मिलेंगे.

इंस्टाग्राम

इंस्टा पर 5 लाख, 4 लाख, 3 लाख और 2 लाख रुपए की कैटेगरी बनाई गई है. इसके लिए इंस्टाग्राम पर पिछले 6 महीने तक हर महीने कुछ वीडियो या पोस्ट करने की अनिवार्यता लागू है. अगर इंस्टा पर एक लाख फॉलोअर्स हैं तो 2 लाख रुपए तक दिए जाएंगे. अगर 2 लाख फॉलोअर्स हैं तो 3 लाख रुपए तक मिलेंगे. अगर 3 लाख फॉलोअर्स हैं तो 4 लाख रुपए तक मिलेंगे. अगर 5 लाख फॉलोअर्स हैं तो 5 लाख रुपए तक मिलेंगे.

फेसबुक

फेसबुक पर 2 लाख, 3 लाख, 4 लाख और 5 लाख रुपए तक की कैटेगरी बनाई गई है. अगर एक लाख फॉलोअर्स हैं तो 2 लाख रुपए दिए जाएंगे. अगर 2 लाख फॉलोअर्स हैं तो 3 लाख रुपए तक दिए जाएंगे. अगर 5 लाख फॉलोअर्स हैं तो 4 लाख रुपए दिए जाएंगे और 10 लाख फॉलोअर्स होने पर 5 लाख रुपए तक मिलेंगे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

एक्स

एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कम से कम एक लाख फॉलोअर्स होना जरूरी है. साथ ही पिछले 6 महीने तक लगातार पोस्ट होना जरूरी है. एक्स पर हर महीने ओरिजिनल वीडियो या ओरिजिनल पोस्ट करने पर 2 लाख रुपए तक दिए जाएंगे.

वहीं अगर 2 लाख फॉलोअर्स हैं तो 3 लाख रुपए मिलेंगे. अगर 3 लाख फॉलोअर्स हैं तो 4 लाख रुपए तक मिलेंगे. वहीं 5 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स होने पर 5 लाख रुपए तक मिलेंगे.

राष्ट्र विरोधी पोस्ट के लिए मिलेगी सजा  

सरकार की इस नीति के ड्राफ्ट के मुताबिक कंटेंट आपत्तिजनक, अश्लील, अभद्र या राष्ट्र विरोधी नहीं होना चाहिए, अगर ऐसा होता है तो इसके लिए सजा की व्यवस्था की गई है. हालांकि कितनी सजा मिलेगी ये फिलहाल स्पष्ट नहीं किया गया है.

एक्सपर्ट से लेकर विपक्ष ने सरकार की नीति को कठघरे में खड़ा किया 

क्विंट हिंदी ने सुप्रीम कोर्ट के वकील, साइबर कानून विशेषज्ञ और “डिजिटल कानूनों से समृद्ध भारत” किताब के लेखक विराग गुप्ता से बात की. उन्होंने इस पर कुछ जरूरी बातों को हाइलाइट किया:

  • ऐसे सभी मामलों में सरकार को टेंडर के माध्यम से ही काम करके भुगतान करना चाहिए, इंफ्लुएंसर्स और कंटेंट क्रियेटर्स की योग्यता के बारे में प्रिंट मीडिया की तर्ज पर प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यरो की गाइडलाइंस के अनुसार निर्णय लेना चाहिए.

  • उत्तर प्रदेश के कई जिलों में यू-ट्यूबर्स के खिलाफ प्रशासन कठोर कार्रवाई करते हुए उनकी मान्यता के बारे में कानूनी सवाल खड़े करता है. जिन लोगों के माध्यम से सरकारी प्रचार होगा उनके अलावा अन्य लोग भी अपने रजिस्ट्रेशन और मान्यता प्राप्ति की मांग कर सकते हैं. इस बारे में सही तरीके से निर्णय नहीं लिए गए तो नीति को अदालत में चुनौती भी मिल सकती है.

  • सेबी और कई अन्य रेगुलेटर इंफ्लुएंसर्स की भूमिका के बारे में सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में राज्य में इंफ्लुएंसर्स को मान्यता मिलने से केंद्र और राज्यों की नीतियों के बीच में विरोधाभास बढ़ सकता है. सरकारी नीतियों और वीडियो के प्रचार के अलावा इंफ्लुएंसर्स के अन्य कंटेंट के बारे में जवाबदेही और विश्वनीयता के भी सवाल उठेंगे.

  • सोशल मीडिया में फॉलोवर्स की खरीद फरोख्त का बड़ा व्यापार होता है. ऐसे में इंफ्लुएंसर्स की फॉलोइंग की सत्यता का मूल्यांकन करने के बाद ही सरकारी खजाने से भुगतान होना चाहिए.

बीजेपी के नेता इस नीति के फायदे गिनाने लगे हैं, उनके मुताबिक सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार होगा और कई लोगों को नौकरियां भी मिलेंगी. वहीं विपक्ष ने इस नीति की कड़ी आलोचना की है.

यूपी कांग्रेस की सोशल मीडिया चेयरपर्सन पंखुड़ी पाठक ने कहा कि, "इस नीति के जरिए बीजेपी सरकार का प्रचार और प्रसार करने वाले सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स और कंपनियों को राज्य से वित्तीय सहायता मिलेगी."

उन्होंने आगे कहा कि, "अगर सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोग ऐसे विचार सामने रखते हैं जो सरकार को पसंद नहीं है या सरकार आपत्तिजनक समझती है, तो उन्हें सजा मिलेगी. यानी एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की कोशिश यूपी सरकार की ओर से की जा रही है."

समाजवादी पार्टी ने एक्स पर लिखा कि, "डरी हुई सरकार से जनता और क्या उम्मीद करेगी? अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने की बीजेपी की इस योजना का जनता पुरजोर विरोध करेगी."

वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि, "बीजेपी नए जमाने के दलालों को तैयार करने की कोशिश कर रही है जो अपने कुकर्मों को छुपाने के लिए हमेशा सरकार के चरणों में झूठ बोलेंगे. बीजेपी भ्रष्टाचार की थाली में झूठ परोस रही है. लोगों के पैसों का इस्तेमाल करके खुद का प्रचार एक नए प्रकार का भ्रष्टाचार है."

यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि, " इस नियम से अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा जा रहा है. यह कहां से लोकतांत्रिक बात है कि चाटुकारिता करने वाले को पुरस्कृत और सवाल पूछने वाले को दंडित किया जाए."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT