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"नाम देखकर पीटा", मुस्लिम लड़के की हिंदू लड़की से मुलाकात, 'लव जिहाद' का रंग दिया जा रहा?

असम के कछार जिले में भीड़ ने अली अहमद नाम के एक युवक को खंभे से बांधकर पीटा था.

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(चेतावनी: इस खबर में हिंसा का जिक्र है)

"आप सड़क पर इस तरह का त्वरित न्याय कैसे कर सकते हैं? आप उन्हें उनके धर्म के आधार पर कैसे पीट सकते हैं?"

यह एक ऐसा सवाल है जो रंजना बेगम तब से बार-बार पूछ रही हैं जब से उनके बेटे अली अहमद चौधरी को 15 अगस्त को असम (Assam) के कछार जिले में कथित 'लव जिहाद' मामले में गिरफ्तार किया गया था.

करीब 15 दिन पहले यह घटना जिले के सोनाई थाना क्षेत्र के नरसिंहपुर स्थित एक स्कूल के पास हुई थी, जहां अली स्वतंत्रता दिवस पर अपनी सहपाठी से मिलने गया था.

उस दिन सुबह करीब साढ़े आठ बजे तीन-चार लड़के आए और उससे पूछा कि वह सड़क के उस तरफ खड़ा होकर लड़की से क्यों बात कर रहा है.

"उन्होंने उससे उसका नाम पूछा और जब उसने बताया तो उन्होंने कहा, "तुम मुसलमान हो, तुम मुसलमान होकर हिंदू लड़की से क्यों बात कर रहे हो?" उन्होंने उससे पूछताछ की और फिर उसको पीटने लगे, जैसे एक हिंदू दोस्त से बात करना कोई अपराध हो."
रहीमुद्दीन, अली अहमद के चाचा
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'खंभे से बांधा, लड़की के साथ भी मारपीट की'

उन्होंने बताया कि बजरंग दल के सदस्य भी इसमें शामिल हो गए, उन्होंने अली की पिटाई की और लड़की को शिकायत दर्ज कराने के लिए सदर पुलिस थाने ले गए, जबकि पुलिस अली को अपने साथ ले गई.

उन दोनों के साथ मौजूद एक दोस्त ने परिवार को फोन कर घटना की जानकारी दी.

क्विंट के पास मौजूद वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि आक्रोशित भीड़ अली की बेरहमी से पिटाई कर रही है. वो दर्द से कराह रहा है और बार-बार चिल्ला रहा है कि उसके और लड़की के बीच प्यार-मोहब्बत का कोई मामला नहीं है. उसके मुंह से खून भी बह रहा था.

अली के चाचा ने आगे बताया,

"उसके चेहरे, मुंह, गर्दन और पैरों पर चोट के निशान थे. उसे लात-घूसे मारे गए और उसका गला दबाया गया. उसके दांत भी टूटे हुए लग रहे हैं. उन्होंने उसे एक खंभे से बांध दिया था और लाठियों से भी पीटा था."

एक अन्य वीडियो में अली की दोस्त के साथ एक महिला मारपीट और उसके बाल खींचते हुए दिख रही है. वीडियो में देखा जा सकता है कि लोगों की भीड़ मौके पर जमा है, जो मारपीट में शामिल है.

रंजना ने द क्विंट से बात करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने न केवल मेरे बेटे की पिटाई की, बल्कि लड़की को भी पीटा. यह शर्मनाक है. अगर वे गलत थे, तो उन्हें परिवारों को सूचित करना चाहिए था. मुझे समझ में नहीं आता कि उन्होंने बच्चों की धार्मिक पहचान को इसमें कैसे शामिल कर दिया."

क्विंट के पास सदर पुलिस स्टेशन में अली के खिलाफ दर्ज शिकायत के जवाब में दर्ज FIR की कॉपी है.

रहीमुद्दीन ने बताया कि चूंकि सदर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी, इसलिए पुलिस ने उन्हें सूचित कर दिया था, सोनाई पुलिस अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अली को गिरफ्तार कर लिया.

FIR में परिवार ने नई भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 189 (2) (गैरकानूनी सभा से संबंधित), 115 (2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 127 (2) (गलत तरीके से कारावास के लिए सजा) के तहत आरोप लगाए हैं.

'मेरे बेटे ने मुझे बताया कि वह दर्द से सारी रात रोता रहता है'

अली अपने परिवार में दूसरा सबसे बड़ा बच्चा है- उसका परिवार बंगाली-असमिया मुसलमान है जो कछार जिले के खाजीदाहर गांव में रहता है.

अली के पिता, तैयबुद्दीन चौधरी, कछार जिले में ही पैदा हुए और पले-बढ़े हैं. वह एक किसान हैं और परिवार के पालन-पोषण के लिए ट्रक भी चलाते हैं.

तैयबुद्दीन ने द क्विंट को बताया, "पुलिस ने हमसे संपर्क तक नहीं किया है. हमारे बच्चे को पीटा गया और उठा लिया गया, हमारी क्या हालत होगी? उन्होंने उसके खिलाफ झूठ फैलाया है."

अली के बारे में बात करते हुए उसके पिता असहाय महसूस करते हुए रो पड़ते हैं.

"अपने बेटे को इस हालत में देखकर मुझे बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था. उसे हथकड़ी लगी हुई थी (रोते हुए कहते हैं). मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूं, मैं बहुत डरा हुआ हूं. मेरे बेटे को इतनी बेरहमी से पीटा गया और अब वह जेल में है, मैं रात को सो नहीं पाता."
तैयबुद्दीन, अली अहमद के पिता

कछार के पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता ने इससे पहले मीडिया से बात करते हुए कहा था कि अली को लड़की की शिकायत के आधार पर पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) के तहत गिरफ्तार किया गया है.

हालांकि, जब क्विंट ने महत्ता से संपर्क किया तो उन्होंने मामले या गिरफ्तारी के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया. लेकिन पुलिस का आरोप है कि उन्हें उनके मोबाइल फोन में लड़की की कुछ संवेदनशील तस्वीरें मिली हैं.

एसपी महात्ता ने कहा, "हम ऐसे मामलों से निपटते रहे हैं, ये अक्सर होते हैं लेकिन पुलिस अपना काम कर रही है और अभी हम आपको इसके अलावा और कुछ नहीं बता सकते."

इस बीच, रंजना सिलचर सेंट्रल जेल में अली से हुई मुलाकात को याद करते हुए भावुक हो जाती हैं.

"जब मैं उससे मिलने गई, तो उसने मुझसे कहा, 'मां, मैं सारी रात रोता हूं.' उसने मुझे बताया कि कैसे उसे सिर्फ उसके नाम की वजह से पीटा गया था. मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा रिहा हो जाए."

दूसरी ओर, उनके वकील अब्दुल वाहिद ने द क्विंट को बताया कि अतिरिक्त मजिस्ट्रेट जज के सामने एक बार सुनवाई हुई है, लेकिन अभी तक POCSO आरोपों के लिए प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है.

उन्होंने कहा, "जज ने हमसे पूछा कि क्या हमें कोई आपत्ति है और हमने कहा कि हमें आपत्ति है. अब हम जमानत याचिका पर अगली सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं."

वाहिद ने जोर देकर कहा, "यह एक मनगढ़ंत मामला है, ये सब झूठ है. एक काउंटर केस दर्ज किया गया है, अहमद पीड़ित था जिसे पीटा गया था और फिर भी उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस दोषी है, सच्चाई जानने के बावजूद, वे उसे गिरफ्तार करते हैं और ऐसे आरोप लगाते हैं और फिर वे पूरी तस्वीर नहीं दिखाते हैं."

इस मामले को 'लव जिहाद', 'जमीन जिहाद' और 'बाढ़ जिहाद' जैसे नैरेटिव से अलग करके नहीं देखा जा सकता है, जिसे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने बयानों और भाषणों में मुख्य रूप से मुसलमानों को निशाना बनाकर आगे बढ़ाया है.

दरअसल, इस महीने की शुरुआत में सरमा ने कहा था कि उनकी सरकार एक कानून लाएगी, जिसके तहत 'लव जिहाद' के दोषी पाए जाने वाले लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.

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