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दिनेश शर्मा से क्या गलती हुई, जिसकी वजह से उन्हें कैबिनेट में भी जगह नहीं मिली

दिनेश शर्मा की छवि आक्रामक नेता की नहीं है. जबकि इसके उलट ब्रजेश पाठक का व्यक्तित्व दबंग किस्म का है.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>दिनेश शर्मा और ब्रजेश पाठक</p></div>
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दिनेश शर्मा और ब्रजेश पाठक

फोटो- क्विंट

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) समेत 52 मंत्रियों ने शपथ ली. योगी सरकार में दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए, जिनमें से एक केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) हैं, जिन्हें दोबारा इस पद पर बैठाया गया. हालांकि केशव प्रसाद सिराथू से चुनाव हार गए थे. दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) हैं जिन्होंने दिनेश शर्मा को रिप्लेस किया.

ऐसे में सवाल उठता है कि दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम पद से हटाकर ब्रजेश पाठक को क्यों लाया गया?

दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम पद से हटाना और कैबिनेट में भी जगह नहीं देने के पीछे कई कारण हैं. ब्राह्मण नेता की छवि वाले दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर रह चुके हैं. उन्हें 2017 में डिप्टी सीएम बनाया गया था. लेकिन उनकी छवि आक्रामक नेता की नहीं रही है. जबकि इसके उलट ब्रजेश पाठक एक दबंग किस्म के नेता हैं.

5 साल के कार्यकाल के दौरान योगी सरकार को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया कि ये ब्राह्मण विरोधी सरकार है. लेकिन ब्राह्मण चेहरा रहते हुए दिनेश शर्मा इस नैरेटिव को गलत साबित करने में कहीं न कहीं फेल साबित हुए.

एक घटना ऊंचाहार में हुई थी. वहां अपटा गांव में 5 ब्राह्मणों को जलाकर मार दिया गया था, तब भी दिनेश शर्मा बहुत ज्यादा एक्टिव नहीं दिखे थे. वहीं ब्रजेश पाठक एक्टिव नजर आए थे. उन्होंने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था.

बिकरू कांड में भी योगी सरकार को ब्राह्मण विरोध बताया गया, तब भी दिनेश शर्मा का कोई ऐसा बयान नहीं आया जो इस डेंट को कम कर सके. वहीं ब्रजेश पाठक ने खुलकर योगी सरकार के समर्थन में बयान दिए थे.

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ब्रजेश पाठक अवध क्षेत्र में बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं

ब्रजेश पाठक अवध क्षेत्र में बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं. कांग्रेस और बीएसपी में भी रह चुके हैं. उनका व्यक्तित्व दबंग किस्म का है. वो लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से विधायक हैं. वे योगी सरकार में कानून मंत्री रहे हैं और राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं.

बृजेश पाठक का जन्म 25 जून 1964 में यूपी के हरदोई जिले में हुआ था. वो पेशे से वकील हैं. लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी कर चुके पाठक 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष और 1990 में अध्यक्ष बने. इसके करीब 12 साल बाद बृजेश ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली. 2002 में मल्लावां सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन मात्र 130 वोट से हार गए.

बता दें कि 2004 में पाठक बीएसपी में शामिल हुए और उन्नाव लोकसभा सीट से सांसद बने. 2009 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले बीएसी सुप्रीमो ने उन्हें राज्यसभा भेजा और सदन में पार्टी का मुख्य सचेतक बनाया. 2014 में बृजेश फिर उन्नाव लोकसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन बुरी तरह हारे.

2016 में पाठक फिर बीजेपी में शामिल हुए और यूपी 2017 के विधानसभा चुनाव में वो लखनऊ सेंट्रल सीट से विधायक बने.

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