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केशव प्रसाद सिराथू से हार गए थे- फिर भी बने डिप्टी सीएम, क्या है BJP का प्लान?

Keshav Prasad Maurya को बीजेपी में ओबीसी का बड़ा चेहरा माना जाता है.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) समेत 52 मंत्रियों ने 25 मार्च, शुक्रवार को शपथ ली. योगी सरकार की कैबिनेट में 2 डिप्टी सीएम, 16 मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), 20 राज्यमंत्री हैं. डिप्टी सीएम के रूप में केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने शपथ ली है.

2017 में योगी ने विधायक दल की बैठक के दौरान केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और दिनेश शर्मा के डिप्टी सीएम बनाए जाने का एलान किया था. लेकिन इस बार दिनेश शर्मा को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा तो वहीं हारने के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे.

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जाहिर तौर पर कैबिनेट में जिन चेहरों को शामिल किया गया उसका मकसद 2024 के चुनावों से भी साफ साफ झलकता है. केशव प्रसाद मौर्य यूपी में एक बड़ा चेहरा है. एक समय प्रदेश अध्यक्ष भी रहे चुके हैं और ओबीसी वर्ग से भी आते हैं जिसका बड़ा जनाधार है.

आने वाले लोकसभा चुनावों में इस वोट बैंक की जरूरत है. बीजेपी केशव को नजर अंदाज करके ओबीसी वर्ग को नाराज नहीं कर सकती.

2017 में जब बीजेपी ने 312 सीटें जीतीं थीं तब केशव मौर्य का नाम बतौर सीएम आगे चल रहा था. केशव को संघ परिवार के भी करीब माना जाता है. वो आरएसएस के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सर सह कार्यवाह कृष्णगोपाल सहित कई पदाधिकारियों के बेहद करीबी माने जाते हैं. पिछड़े वर्ग के नेतृत्व की बागडोर भी उन्हें संघ के इशारे पर ही दी गई है.

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