advertisement
उत्तर प्रदेश में स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने बिजली की नई दरों का ऐलान कर दिया है. अब उपभोक्ताओं को ज्यादा बिल देना होगा. घरेलू उपभोक्ताओं के लिए औसत बढ़ोतरी 12 फीसदी होगी. ये फैसला निकाय चुनाव खत्म होने के अगले ही दिन आ गया. विपक्ष इस बढ़ोतरी को तानाशाही भरा कदम बता रहा है.
प्रमुख सचिव (ऊर्जा) और अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन आलोक कुमार ने कहा, ''नई बिजली दरों में ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को पहली 100 यूनिट, तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा. इसी तरह ऐसे गरीब शहरी परिवार जो 100 यूनिट तक बिजली उपभोग करते हैं उनकी भी बिजली दर तीन रुपये प्रति यूनिट होगी.''
उन्होंने बताया कि जो ग्रामीण उपभोक्ता हर महीने 100 यूनिट तक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें नई दरों के तहत तीन रुपये 68 पैसे प्रति यूनिट देना होगा. इसमें बिजली शुल्क शामिल है यानी ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट लगभग 3 रुपये 8 पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी.
कुमार ने बताया कि कृषि उपयोग के लिए प्रति यूनिट 1.10 रुपये ही टैरिफ लगेगा मतलब किसानों को प्रति यूनिट 5.65 रुपये की सब्सिडी उपलब्ध होगी.
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘‘बिजली विभाग की ओर से प्रस्ताव था कि घाटे को कैसे पूरा किया जाए...ये बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है और धीरे-धीरे घाटे की भरपायी होगी. हम चोरी पर भी सख्ती से कार्वाई कर रहे हैं.’’
एसपी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बढ़ोतरी को आम जनता के साथ विश्वासघात करार देते हुए कहा कि पहले ही लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं, अब बिजली के दाम बढ़ाकर बीजेपी सरकार ने सबकी कमर तोड़ दी है.
कांग्रेस प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने कहा, ‘‘अगर जनता के बारे में सोचा होता तो ये बढ़ोतरी नहीं होती. अगर आपका कदम ठीक था तो सप्ताह भर पहले दाम बढ़ा देते लेकिन नगर निकाय चुनावों के कारण ऐसा नहीं किया गया. यह एक तानाशाहीपूर्ण कदम है.’’
वहीं, इन प्रतिक्रियाओं का जवाब देते हुए बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दरें संशोधित नहीं की, इसलिए मौजूदा सरकार को ऐसा करना पड़ रहा है.
(इनपुट भाषा से)
यह भी पढ़ें: ‘सबके लिए बिजली’ योजना में मुफ्त बिजली नहीं
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)