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उत्तराखंड (Uttarakhand) विधानसभा ने बुधवार, 7 फरवरी को समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड - UCC Bill) बिल को पारित कर दिया.
एक बार विधेयक को राज्यपाल की सहमति मिल गई, तो उत्तराखंड आजादी के बाद सभी नागरिकों के लिए, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत पर एक समान कानून बनाने वाला पहला राज्य बन जाएगा.
यूसीसी बिल सदन से पास होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "आज का ये दिन उत्तराखंड के लिए बहुत विशेष है. आज देवभूमि के अंदर विधानसभा में ये विशेष विधेयक, जिसकी देश में लंबे समय से लगातार प्रतीक्षा थी, इसकी मांग उठती रही थी, बरसों-बरसों का इंतजार था, देवभूमि उत्तराखंड के अंदर इसकी शुरुआत हुई है और विधानसभा के अंदर इसको पारित किया गया है."
देश में बीजेपी की ओर से लंबे से यूसीसी की वकालत की जा रही थी और अब बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड में ये बिल पारित कर दिया है, जाहिर है इसके बाद अन्य बीजेपी शासित राज्य भी यूसीसी को लेकर गंभीरता से सोचेंगे. यहां तक की राजस्थान में बीजेपी सरकार ने कह दिया है कि वे राज्य के अगले विधानसभा सत्र में यूसीसी बिल पारित करेंगे.
पुष्कर सिंह धामी ने आगे कहा, "समान नागरिक संहिता कानून सभी के लिए समानता का कानून है. इसके बारे में अलग-अलग लोग अलग-अलग बातें कर रहे थे, लेकिन यह सभी बातें विधानसभा में हुई चर्चा में स्पष्ट हो गई हैं. यह कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए हैं. ये कानून किसी के विरुद्ध नहीं है, बल्कि, ये कानून उन माताओं, बहनों और बेटियों के लिए है, जिन्हें जीवन में कई बार कुरीतियों के कारण से, कई बार असमानताओं के कारण से, उनको अनेक बार यातनाओं का सामना करना पड़ता था. उन कुरीतियों के कारण से उनका आत्मबल कमजोर होता था. उनके आत्मबल को मजबूत करने के लिए ये कानून बनाया है."
इस विधेयक में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है, जो उत्तराखंड की आबादी का 3 प्रतिशत हैं.
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