Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019उत्तराखंड: सड़क चौड़ीकरण को लेकर 3 महीने से आंदोलन, सुनवाई नहीं

उत्तराखंड: सड़क चौड़ीकरण को लेकर 3 महीने से आंदोलन, सुनवाई नहीं

ग्रामीणों पर गैरसैण में हुआ था लाठीचार्ज, सड़क चौड़ीकरण को लेकर प्रशासन दे रहा मानकों का हवाला

मुकेश बौड़ाई
भारत
Updated:
(फोटो: क्विंट हिंदी)
i
null
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं के लिए लोग आज भी संघर्ष कर रहे हैं. विकास की रफ्तार इतनी कम है कि राज्य बनने के 20 साल बाद भी वो गांवों तक नहीं पहुंच पाया है. अब अपनी एक बुनियादी मांग को लेकर चमोली जिले में स्थित नंदप्रयाग इलाके के लोग पिछले 109 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि नंदप्रयाग-घाट मोटरमार्ग को डेढ़ लेन चौड़ा कर दिया जाए. इसके लिए जब ग्रामीणों ने अस्थाई विधानसभा गैरसैण में बजट सत्र के दौरान प्रदर्शन किया तो उन पर जमकर लाठी चार्ज किया गया. तब त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम थे और इस घटना को लेकर उनकी जमकर आलोचना हुई थी. यहां तक कि ये भी कहा गया कि उन्हें हटाए जाने के कारणों में ये लाठीचार्ज की घटना भी शामिल थी.

ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार ने पहले ग्रामीणों की इस मांग को मानते हुए ऐलान कर दिया, लेकिन बाद में नियमों का हवाला देते हुए मुकर गई. कई बार क्षेत्रीय लोग मुख्यमंत्री और बीजेपी सरकार के तमाम मंत्रियों से मिले, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार ग्रामीणों ने सड़क चौड़ीकरण को लेकर आंदोलन छेड़ दिया.

क्या है पूरा मामला?

अब पहले इस पूरे आंदोलन के कारण को समझते हैं और जानते हैं कि आखिर आंदोलनकारी ग्रामीण इसे लेकर क्या कह रहे हैं.

इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे ग्रामीण लक्ष्मण राणा ने हमें बताया कि मामला 2017 का है. जब बीजेपी की सरकार बनी थी और त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम बने थे. तब उन्होंने जनता की मांग पर ये ऐलान किया था कि नंदप्रयाग-घाट मोटरमार्ग का डेढ़ लेन चौड़ीकरण किया जाएगा. इसे लेकर जीओ भी जारी हुआ था और 2018 में वित्तीय स्वीकृति भी मिल गई थी. इस दिशा में काम शुरू हो चुका था और पेड़ों की गिनती भी हो चुकी थी. भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही भी शुरू हो चुकी थी. लेकिन अचानक से काम को रोक दिया गया.

सरकार ने दिया शासनादेश का हवाला

ग्रामीणों के विरोध के बाद सरकार की तरफ से शासनादेश बताया गया कि जिस सड़क पर 3 हजार गाड़ियां नहीं चलती हैं, वहां डेढ़ लेन का चौड़ीकरण नहीं हो सकता है. वहीं जिस सड़क पर 8 हजार गाड़ियां प्रतिदिन नहीं चलती हैं, उसमें डबल लेन नहीं किया जा सकता. विभाग ने कई बार प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को शांत करने के लिए अलग-अलग तरह के वादे किए, कभी कहा गया कि विधायक निधि से इसे कराया जाएगा तो कभी डामरीकरण की बात कही गई. जो हमें मंजूर नहीं था.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अब नियमों का हवाला देकर अपनी नाकामी को छिपाना चाहती है. लेकिन अगर सीएम और सरकार चाहें तो ये काम हो सकता है. हजारों ग्रामीण 3 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में सरकार को मांग पूरी करनी चाहिए. ग्रामीणों की मांग है कि सड़क को 6 मीटर से 9 मीटर कर दिया जाए. जिससे हर साल होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आए.

70 हजार लोगों को जोड़ती है सड़क

इस नंदप्रयाग घाट सड़क पर 3 हजार गाड़ियां नहीं चलती हैं, लेकिन जब दिवालिखाल-भराड़ीसैण वाली सड़क, जो विधानसभा को जाती है, उसे डबल लेन की स्वीकृति कैसे मिल गई. हम जिस सड़क की मांग कर रही हैं वो करीब 70 हजार लोगों को कनेक्ट करती है. घाट ब्लॉक के 55 गांव, कर्णप्रयाग विकासखंड के एक दर्जन गांव और करीब 15 गांव और हैं. जिस मानक के अनुसार दिवालिखाल-भराड़ीसैण मोटरमार्ग को डबल लेन बनाया जा रहा है ,उसी मानक से नंदप्रयाग घाट सड़क को भी डेढ़ लेन चौड़ा बनाया जाए.

ग्रामीणों का कहना है कि इसी मोटर मार्ग से नंदा राजजात यात्रा निकाली जाती है, जिसे पहाड़ का महाकुंभ कहा जाता है. अब 2024 में ये यात्रा होनी है. मां नंदादेवी की डोली कुरुड़ मंदिर से ही निकलती है, जो इसी क्षेत्र में है. इसीलिए इस मार्ग का चौड़ीकरण किसी भी हाल में होना चाहिए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

गैरसैण में लाठीचार्ज, सरकार की किरकिरी

अपनी मांगों को लेकर तमाम मंत्रियों और मुख्यमंत्री से कई बार गुहार लगाने के बाद ग्रामीणों ने विधानसभा घेराव का आह्वाहन किया, अस्थायी राजधानी गैरसैण में हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष पहुंचे. लेकिन यहां पर पुलिस ने महिलाओं और अन्य प्रदर्शकारियों पर जमकर लाठीचार्ज कर दिया. इस घटना की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा भी हुई और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जमकर आलोचना की गई. घटना से सरकार की इतनी किरकिरी हुई कि जब त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी छोड़नी पड़ी तो तमाम अन्य कारणों के साथ इसे भी नेतृत्व बदलाव का एक कारण बताया गया.

ग्रामीणों का कहना है कि नए सीएम तीरथ सिंह रावत से भी इस मामले को लेकर तीन बार बातचीत हो चुकी है, शुरुआत में तो उन्होंने मदद करने की बात कही, लेकिन बाद में मुकर गए. ग्रामीणों ने राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भी मुलाकात कर अपनी मांग रखी, बलूनी ने उन्हें कहा कि वो प्रयास करेंगे. वहीं लोकसभा सांसद अजय भट्ट ने ग्रामीणों से कहा कि इसे लेकर वो सीएम को चिट्ठी लिखेंगे. इसके अलावा आंदोलनकारी ग्रामीणों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया.
राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के सामने अपनी मांगों को रखते हुए आंदोलनकारी(फोटो: क्विंट हिंदी)

प्रमुख सचिव का हो रहा विरोध

अब इस पूरे मामले को लेकर सरकार के अलावा ग्रामीण प्रमुख सचिव आरके सुधांशु के खिलाफ भी प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी आरके सुधांशु शुरुआत से ही नंदप्रयाग-घाट सड़क चौड़ीकरण की मांग का विरोध करते आए हैं. उनका कहना है कि सरकार में कुछ अधिकारी पहाड़ विरोधी हैं. मैदानी क्षेत्रों का विकास कर रहे हैं, लेकिन पहाड़ में विकास को पहुंचने नहीं देते हैं.

अधिकारी ने दिया आरोपों का जवाब

अब इन आरोपों को लेकर हमने प्रमुख सचिव आरके सुधांशु से बातचीत की. जिन्होंने तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हम सिर्फ सरकार को मानक बता रहे हैं, उसके बाद अंतिम फैसला सरकार को ही लेना है. उन्होंने कहा,

वहां जो मोटर व्हीकल काउंट होना चाहिए वो 300 के लगभग है. ये जो डेढ़ लेन की मांग कर रहे हैं, उसमें तीन हजार काउंट होना चाहिए. जब हमने प्रमुख सचिव से पूछा कि विधानसभा वाली सड़क को कैसे मंजूरी मिल गई तो उन्होंने कहा, जिस समय राजधानी बनती है तो उसी समय सड़क के लिए भी सर्वे होता है. आप खुद आकर देख लीजिए कि वहां कितनी गाड़ियां चलती हैं. जब हमने पूछा कि क्या वहां पर 8 हजार व्हीकल काउंट है? तो इस सवाल को प्रमुख सचिव टाल गए.

मुख्यमंत्री लेंगे अंतिम फैसला- प्रमुख सचिव

ग्रामीणों के आंदोलन को लेकर आरके सुधांशु ने बताया कि, इसे लेकर हमने मोड़ों के चौड़ीकरण की बात कही है. उसे लेकर कार्यवाही जारी है. अगर टोटल व्हीकल काउंट वाला नियम हम नहीं मानें तो हमें हर सड़क को डबल लेन बनाना होगा. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ऑल वेदर रोड को लेकर भी सवाल उठा चुका है.

उन्होंने बताया कि 2017 में सिर्फ घोषणा हुई थी, जिसके आधार पर परीक्षण कराया गया. जिसके बाद मुख्यमंत्री के सामने सारी चीजें रखी गईं थीं. अब नए मुख्यमंत्री जैसा चाहेंगे वैसा उन्हें बताया जाएगा. प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने कहा कि मेरा काम सिर्फ सरकार को सलाह देना है. बाकी फैसला सरकार को लेना है, सरकार जो चाहेगी वो हम करेंगे.

स्थानीय विधायक का हो रहा विरोध

इसके अलावा हमने स्थानीय बीजेपी विधायक मुन्नी देवी से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. बातचीत होने पर कॉपी में उनका पक्ष अपडेट किया जाएगा. ग्रामीणों का कहना है कि लाठीचार्ज की घटना के बाद थराली विधायक मुन्नी देवी का लगातार क्षेत्र में विरोध हो रहा है. इसके चलते कई बार उन्हें अपने कार्यक्रम भी रद्द करने पड़े.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 23 Mar 2021,10:10 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT