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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में परीक्षा पेपर लीक को लेकर छात्रों का प्रदर्शन जारी है. गुरुवार को प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए. अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार, उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों की CBI से जांच कराए उसके बाद परीक्षा आयोजित कराए, नहीं तो फिर से पेपर लीक होते रहेंगे. उत्तराखंड बेरोजगार संघ भी छात्रों के साथ खड़ा है और उनकी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है.
दरअसल, प्रदेश में पटवारी और लेखपाल के कुल 513 पदों के लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 17 जून 2021 को विज्ञापन जारी किया था. इसकी शारीरिक दक्षता परीक्षा नवंबर 2021 में प्रस्तावित थी. लेकिन, कोरोना की वजह से नहीं हो पाई थी. फिर पेपर लीक होने के बाद सरकार ने इस भर्ती की जिम्मेदारी सितंबर 2022 को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को सौंप दी थी.
इसके बाद राज्य लोक सेवा आयोग ने पटवारी लेखपाल भर्ती का दोबारा विज्ञापन 14 अक्तूबर 2022 को जारी किया था. अबकी यह भर्ती 554 पदों के लिए निकाली गई थी. लेकिन, 8 जनवरी 2023 को आयोजित परीक्षा का पेपर लीक हो गया.
8 जनवरी 2023 की आयोजित परीक्षा के लिए 1,58,210 अभ्यर्थियों ने पंजीकृत किया था. जबकि, 1,14,071 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. प्रदेश के 13 जिलों में परीक्षा आयोजित कराई गई थी, जिसके लिए 498 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे. उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 563 पदों पर वैकेंसी निकाली थी. जिसमें 391 रिक्तियां पटवारी के पद के लिए और 172 रिक्तियां राजस्व उप निरीक्षक लेखपाल के पद के लिए थीं.
पेपर लीक के बाद SSP एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा करते हुए बताया था कि परीक्षा के दो दिन बाद पेपर लीक होने की सूचना मिली थी, जिस पर एसटीएफ की चार टीमें बनाकर हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में रवाना की गई थी. शुरुआती पड़ताल में आयोग के ही एक कर्मचारी का हाथ सामने आ रहा था. एक अभ्यर्थी ने आयोग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के नाम का खुलासा किया था.
आरोप है कि आयोग के ही अति गोपन विभाग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने पत्नी के साथ मिलकर पेपर लीक कराया था. इसके बाद STF ने अनुभाग अधिकारी, उसकी पत्नी समेत 12 लोगों को अभी तक गिरफ्तार किया है. उनके पास से परीक्षा सामग्री और लाखों रुपये भी बरामद हुए किए.
STF के पूछताछ में पता चला कि अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अति गोपन कार्यालय से पेपर का मोबाइल से फोटो खींचने के बाद पत्नी रितु को उपलब्ध कराया. इसके बाद रितु ने इस पेपर को राजपाल को दिया. राजपाल ने अपने अन्य लोगों के साथ मिलकर अभ्यर्थियों तक पेपर पहुंचाया और दो फॉर्म हाउस बिहारीगढ़ और लक्सर में हल करवाया.
पूछताछ के आधार पर एसटीएफ ने संजीव चतुर्वेदी के साथी राजपाल, संजीव कुमार, रामकुमार को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद हरिद्वार के कनखल थाने में IPC 409, 420, 467, 468, 471, 120-बी और उत्तर प्रदेश उत्तराखंड सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) निवारण अधिनियम 1998 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है.
इसके बाद राज्य लोक सेवा आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सस्पेंड कर दिया. उन्हें सचिव कार्यालय में संबद्ध किया गया. साथ ही आयोग ने 8 जनवरी को हुई पटवारी-लेखपाल परीक्षा रद्द कर दी. अब यह परीक्षा दोबारा 12 फरवरी को होगी. 12 फरवरी को प्रस्तावित सहायक लेखाकार परीक्षा अब 19 फरवरी को आयोजित कराई जाएगी.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की पटवारी भर्ती लिखित परीक्षा के साथ ही अवर अभियंता (JE) और सहायक अभियंता (AE) की भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र भी लीक हो चुका है. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की जांच में इसका खुलासा होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पटवारी पेपर लीक मामले में जेल में बंद आयोग के निलंबित अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी और आयोग के दूसरे अनुभाग अधिकारी के साथ-साथ BJP के पूर्व मंडल अध्यक्ष समेत कई लोगों के खिलाफ कनखल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया.
इस मामले में भी पता चला कि अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने और राजपाल ने गठजोड़ कर आयोग के दूसरे अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार के साथ मिलकर एई-जेई के प्रश्नपत्र भी लीक कराया था. अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार ने ही पेपर सेट किया था. SIT जांच में सामने आया कि लक्सर और ज्वालापुर हाईवे स्थित जुर्स कंट्री में अभ्यर्थियों को प्रश्न रटवाया गया था.
करीब 7 साल से यहां के युवा पटवारी, लेखपाल बनने का इंतजार कर रहे हैं. प्रदेश में आखिरी पटवारी भर्ती के लिए 2015 में प्रक्रिया शुरू हुई थी. जिलेवार 2016 में भर्ती के विज्ञापन जारी हुए थे, जिससे करीब 464 पद भरे गए थे. भर्ती में शामिल युवाओं को 2018 में ज्वाइनिंग मिल गई थी. इसके बाद से प्रदेश में पटवारी-लेखपाल की नई भर्ती नहीं हुई है.
उत्तराखंड लोकसेवा आयोग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की निष्पक्ष जांच हो
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में CBI जांच हो
नकलचियों के नाम सार्वजनिक किए जाएं
नकलरोधी कानून पास होने के बाद ही परीक्षा आयोजित कराई जाए
पुलिस/पटवारी/FRO/लोअर PCS/AE/JE-अपर PCS/RO/ARO/APO/PCS-J जैसी परीक्षाओं की निष्पक्ष जांच हो
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने दोबारा परीक्षा कराने पर सवाल उठाए हैं. बेरोजगार संघ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पोल किया है, जिसमें पूछा गया है कि क्या 12 फरवरी को वर्तमान हालात में परीक्षा कराई जानी चाहिए. इस पोल में तीन सवाल पूछ गए हैं.
हां, हमें कोई समस्या नहीं है
पहले आयोग की जांच, नकलरोधी कानून और नकलचियों के नाम सार्वजनिक हों, उसके बाद ही परीक्षा हो
हम दुविधा में हैं
इसमें सबसे ज्यादा दूसरा ऑप्शन (84%) लोगों ने पसंद किया है. उनका मानना है कि पहले आयोग की जांच, नकरोधी कानून और नकलचियों को नाम सार्वजिनक हों, उसके बाद ही परीक्षा कराई जानी चाहिए.
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