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"घर जा रहे थे, अचानक ढह गई टनल"-मजदूरों ने पाइप के जरिए बाहर कैसे भेजी जानकारी?

सुरंग से बाहर आए मजदूर ने बताया कि अब मैं एक-दो महीने का ब्रेक लूंगा.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>"तेज आवाज के साथ टनल धंस गई": अपने फंस जाने की मजदूरों ने बाहर कैसे भेजी जानकारी?</p></div>
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"तेज आवाज के साथ टनल धंस गई": अपने फंस जाने की मजदूरों ने बाहर कैसे भेजी जानकारी?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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Uttarakhand tunnel rescue: उत्तराखंड की उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों को सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया. जिंदगी की जंग जीत कर बाहर आए मजदूरों से पीएम नरेंद्र मोदी ने टेलीफोन पर बातचीत की और उन्हें बधाई दी. वहीं, 29 नवंबर को उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी रेस्क्यू किए गए मजदूरों से मिलने चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. सुरंग में फंसे एक मजदूर ने बताया कि आखिर हादसे के वक्त हुआ क्या था और उन्होंने टनल में फंसे होने की सूचना बाहर कैसे पहुंचाई?

एनडीटीवी से बातचीत में एक मजदूर ने पूरी आपबीती कही. सुरंग में फंसे अखिलेश सिंह ने बताया कि वे घर जा रहे थे, तभी सुरंग अचानक ढह गई.

उन्होंने कहा ''एक तेज आवाज हुई और सुरंग मेरे सामने ढह गई, जिसके बाद मेरे कान सुन्न हो गए.''

चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती मजदूर

(फोटो: PTI)

उन्होंने आगे बताया...

"हमारा 18 घंटे तक बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं था. हमारे प्रशिक्षण के अनुसार, फंसने के तुरंत बाद हमने पानी का पाइप खोल दिया. जब पानी गिरने लगा, तो बाहर के लोगों ने समझा कि लोग फंसे हुए हैं और उन्होंने हमें ऑक्सीजन भेजना शुरू कर दिया."

अखिलेश ने आगे कहा "स्वास्थ्य जांच होने के बाद मैं घर जाने की योजना बना रहा हूं. फिर आगे क्या करना है, यह तय करने से पहले मैं 1-2 महीने का ब्रेक लूंगा."

रेस्क्यू किए गए मजदूरों से अस्पताल मिलने पहुंचे सीएम धामी

(फोटो: PTI)

मजदूरों से मिलने के बाद बोले सीएम धामी?

इधर, मजदूरों से अस्पताल में मिलने के बाद सीएम धामी ने कहा "सभी श्रमिकों की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी की जा रही है. वे सभी अच्छा कर रहे हैं. प्रधानमंत्री, एक माता-पिता की तरह, श्रमिकों के कल्याण के बारे में चिंतित थे. हम भाग्यशाली हैं कि हमें पीएम का नेतृत्व मिला जिसके तहत देश का प्रत्येक व्यक्ति सुरक्षित है.

उन्होंने आगे कहा "हमने प्रत्येक मजदूरों को दिखाए गए साहस के लिए पुरस्कार के रूप में एक राशि दी है. डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, सभी श्रमिकों का एम्स ऋषिकेश में स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा''

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