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महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायदों के तहत शिवसेना और एनसीपी-कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है. इस बीच सावरकर के पोते रणजीत सावरकर ने भरोसा जताया है कि अगर शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महारष्ट्र में सरकार बना लेती है, तो भी उनके दादा को भारत रत्न देने की मांग से शिवसेना पीछे नहीं हटेगी. वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत से जब इस बारे में पूछा गया तो वे सीधा जवाब देने से बचते नजर आए.
बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना सावरकर को 'भारत रत्न' देने की पुरजोर वकालत करती आई है, जिस पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कांग्रेस के साथ शिवसेना हाथ मिलाती है, तो क्या दोनों पार्टियों की विचारधाराओं में टकराव नहीं होगा? सावरकर को 'भारत रत्न' देने के मुद्दे पर कांग्रेस और शिवसेना एकमत कैसे होगी? न्यूज एजेंसी एएनआई ने सावरकर के पोते रणजीत सावरकर से इस बारे में पूछा तो उनका कहना था:
शुक्रवार को जब मीडिया ने शिवसेना नेता संजय राउत से पूछा कि क्या कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन के बाद शिवसेना हिंदुत्व विचारक सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की अपनी मांग से पीछे हट जाएगी, राउत ने सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा, ‘‘हमें पता है कि इस प्रकार की अटकलों का स्रोत क्या है.’’
राउत ने जब पूछा गया कि हिंदुत्व राजनीति के लिए और ‘‘कांग्रेस विरोधी’’ के तौर पर जाना जाने वाला उनका दल कांग्रेस जैसे अलग विचारधारा वाले साझीदार के साथ कैसे तालमेल बैठा पाएगा, उन्होंने कहा, ‘‘विचारधारा क्या है? हम राज्य के कल्याण के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘आप सत्ता के बंटवारे की चिंता नहीं करें. शिवसेना प्रमुख उद्धव जी निर्णय लेने में सक्षम हैं.’’
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शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन की कोशिशों को जायज ठहराते हुए कहा, ‘‘इससे पहले भी ऐसे उदाहरण रहे हैं जब अलग-अलग विचारधाराओं के दल एक साथ आए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत साथ आए दलों के गठबंधन का नेतृत्व किया. महाराष्ट्र में शरद पवार ने (1978-80 में) प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार का नेतृत्व किया, जिसमें बीजेपी का पुराना अवतार जनसंघ भी शामिल था.’’
(इनपुट: ANI और भाषा)
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