वीर सावरकर का नाम इन दिनों चुनावी रैलियों में लिया जा रहा है. केंद्र की सत्ता में काबिज बीजेपी ने महाराष्ट्र चुनाव के अपने संकल्प पत्र में एक ‘संकल्प’ सावरकर को भारत रत्न देने का भी लिया है. इतना ही नहीं खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सावरकर को भारत रत्न देने की बात कही है. उन्हें आजादी की लड़ाई का असली हीरो बताया जा रहा है. लेकिन दूसरी तरफ कांग्रेस और विपक्षी दल सावरकर को हीरो नहीं विलेन बता रहे हैं.
अब ऐसे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं. आखिर क्यों महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सावरकर का नाम उछल रहा है? आखिर क्यों बीजेपी सावरकर को भारत रत्न देने की तैयारी में है? सावरकर को लेकर क्या विवाद है? इन सभी सवालों का जवाब हम आपको दे रहे हैं.
क्या है बीजेपी का दावा?
अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले बड़े क्रांतिकारी नेताओं में विनायक दामोदर सावरकर का नाम भी शामिल था. बीजेपी के बड़े नेता पिछले कई सालों से सावरकर का नाम उठाते आए हैं. उनका आरोप है कि भारत की आजादी में सावरकर का अहम योगदान था. लेकिन उन्हें वो सम्मान नहीं मिल पाया जो बाकी स्वतंत्रता सैनानियों को मिला. इसीलिए इतिहास के पन्ने पलटकर अब उसे सुधारने का दावा किया जा रहा है.
बीजेपी ने सावरकर से पहले सरदार पटेल का मुद्दा भी इसी तरह काफी जोर-शोर से उठाया था. पीएम मोदी ने गुजरात से लेकर दिल्ली तक सरदार पटेल की बात की. पीएम मोदी आरोप लगाते आए हैं कि नेहरू परिवार ने पटेल के साथ अन्याय किया. ठीक सावरकर की ही तरह उन्हें भी उचित सम्मान न दिए जाने की बात कही गई थी.
क्यों विवादों में घिरे रहे सावरकर?
सावरकर एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनका विवादों से नाता रहा है. जब भी उनकी बात होती है तो विवाद भी खुद ही सामने आकर खड़े होज जाते हैं. सावरकर पर विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था. जेल में रहने के दौरान उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी. जिसके बाद उन्हें छोड़ा गया. इसके अलावा महात्मा गांधी की हत्या में भी सावरकर पर गंभीर आरोप लगे थे. उन पर आरोप था कि वो हत्या के षड़यंत्र में शामिल थे. जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. हालांकि कुछ ही दिनों बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. यही वो आरोप हैं जिन्होंने वीर सावरकर को कुछ लोगों की नजरों में 'विलेन' बना दिया.
सावरकर को भारत रत्न का विरोध
कांग्रेस लगातार सावरकर का विरोध करती आई है. भारत रत्न देने की बात पर कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह ने बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा-
“सावरकर जी के जीवन के दो पहलू हैं, पहला कि उन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लिया और दूसरा पहलू है कि जब वो अंग्रेजों से माफी मांगते हुए वापस लौटकर आए. इन दोनों पहलुओं पर विचार करना चाहिए. ये भी नहीं भूलना चाहिए कि महात्मा गांधी की हत्या में उनका नाम सामने आया था.”दिग्विजय सिंह, कांग्रेस नेता
कांग्रेस के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सावरकर को भारत रत्न देने का विरोध किया है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर सावरकर को भारत रत्न दिया जा रहा है तो नाथूराम गोडसे को भी भारत रत्न दिया जाना चाहिए. उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के साजिशकर्ता को कैसे भारत रत्न देने के बारे सोच सकते हैं?
दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुआ था बवाल
कुछ ही दिनों पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव के दौरान सावरकर का नाम उछला था. बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने डीयू में सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह के साथ सावरकर की मूर्ति लगा दी थी. जिस पर अगले ही दिन कालिख पोत दी गई. कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई पर इसका आरोप लगाया गया. जमकर विरोध होने के बाद यूनिवर्सिटी के गेट से सावरकर की मूर्ति को हटा दिया गया.
कैसे शुरू हुआ सावरकर विवाद?
सावरकर का नाम एक बार फिर तब चर्चा में आया जब बीजेपी ने महाराष्ट्र विधासनभा चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी किया. इसमें सावरकर को भारत रत्न देने का वादा किया गया है. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में इस पर खूब हंगामा शुरू हो गया. लेकिन आग अभी जली ही थी कि खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सावरकर का जिक्र कर इसमें घी डालने का काम कर दिया. पीएम मोदी ने कहा-
“ये वीर सावरकर के संस्कार ही हैं जो राष्ट्रवाद को हमने राष्ट्र निर्माण के मूल में रखा है. एक तरफ सावरकर के संस्कार हैं और दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने बाबा साहब अंबेडकर का अपमान किया है और उन्हें भारत रत्न से वंचित रखा है.”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी सावरकर को लेकर इससे पहले तब चर्चा में आए थे, जब वो 2014 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सावरकर की जयंती के मौके पर संसद भवन पहुंचे थे. जहां उन्होंने सावरकर की फोटो के सामने सिर झुकाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. वहीं पिछले साल उनकी एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें पीएम मोदी उस जेल में गए थे जहां सावरकर को रखा गया था. पीएम मोदी सेल्युलर जेल पहुंचकर सावरकर की फोटो के सामने हाथ जोड़कर कुछ देर बैठे थे.
बता दें कि ये पहली बार नहीं है जब सावरकर को भारत रत्न देने की मांग हुई है. इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी उन्हें भारत रत्न देने का प्रस्ताव पेश किया गया था. तत्कालीन केआर नारायणन राष्ट्रपति के पास ये प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था.
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