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क्या है Antinatalism?क्यों बच्चा पैदा करने से कतरा रहे हैं ये लोग

क्या माता-पिता अपने स्वार्थ में पैदा करते हैं बच्चे? क्या लोगों को बच्चे पैदा करना बंद कर देना चाहिए?

आकांक्षा सिंह
भारत
Updated:
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इस साल ऑस्कर अवॉर्ड में फॉरेन कैटेगरी की एक फिल्म नॉमिनेट हुई है, 'Capernaum'. इस फिल्म में 12 साल का एक बच्चा अपने माता-पिता पर उसे पैदा करने के लिए केस करता है. ये कहानी जरूर फिल्म की है, लेकिन हमारे देश में वाकई एक ऐसा शख्स है, जो अपने माता-पिता पर केस करने की तैयारी कर रहा है. मुंबई में रहने वाले राफेल सैम्युअल का कहना है कि उनके माता-पिता ने अपने 'एंटरटेनमेंट' के लिए उन्हें पैदा किया और इसमें उनका 'Consent' नहीं था.

सैम्युअल खुद को Antinatalist मानते हैं.

Antinatalism एक फिलॉसफी है, जो धीरे-धीरे अब इंडिया में भी अपनी पकड़ जमा रही है. इस फिलॉसफी में यकीन रखने वाले लोगों का मानना है कि बच्चे न पैदा किया जाएं. लेकिन क्यों?

क्योंकि धरती पर पहले से काफी ज्यादा बोझ है और उतने रिसोर्सेज हमारे पास नहीं हैं. क्योंकि बच्चे को जन्म देकर उसपर जिंदगी की परेशानियों का बोझ डालना गलत है. क्योंकि ये अनैतिक है.

कुछ लोग जो इस फिलॉसफी में यकीन रखते हैं, उन्होंने इसे लेकर एक मूवमेंट शुरू किया है. फेसबुक पर Childfree India नाम का एक पेज है, जो इसे लेकर बेंगलुरू में एक मीट करने जा रहे हैं. ये लोग रिप्रोडक्शन के खिलाफ हैं.

ये फिलॉसफी कहती है कि जिंदगी में बहुत परेशानियों हैं, इसलिए बच्चे नहीं पैदा करने चाहिए.(फोटो: iStock)

इस मूवमेंट से जुड़ीं प्रतिमा का कहना है कि अस्तित्व में दर्द है. उनका मानना है कि इंसानों को ये दुनिया बाकी जीवों के लिए छोड़ देनी चाहिए.

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माता-पिता पर केस की तैयारी में सैम्युअल

वहीं मुंबई के राफेल सैम्युअल का भी कुछ ऐसा ही मानना है. वो बच्चे के जन्म को स्लेवरी और किडनैपिंग से जोड़ते हैं. सैम्युअल अपने माता-पिता पर केस करने की तैयारी में हैं.

हमसे बातचीत में उन्होंने कहा कि वो इसे लेकर काफी सीरियस हैं और एक अच्छा वकील मिलते ही वो ये कदम उठाएंगे.

क्या माता-पिता अपने स्वार्थ में पैदा करते हैं बच्चे?(फोटो: फेसबुक/Nihilanand)

Antinatalism में यकीन रखने वाले लोग कई देशों में मिल जाएंगे. इस फिलॉसफी को मानने वाले लोगों में से कुछ का ये भी कहना है कि पैदा होने वाले बच्चे का जन्म में कंसेंट नहीं होता. लेकिन अजन्मे बच्चे की रजामंदी ली कैसे जाएगी?

इस सवाल पर NihilAnand के सैम्युअल और Carefree India की प्रतिमा दोनों का कहना है कि वो काम ही क्यों करना, जिसमें किसी की रजामंदी नहीं है. यानी कि अगर बच्चा पैदा होने में अपनी रजामंदी नहीं दे सकता तो इसलिए उसे पैदा नहीं किया जाना चाहिए.

Antinatalism फिलॉसफी जहां रिप्रोडक्शन के खिलाफ है, वहीं एक और मूवमेंट है जो इसके साथ चलाया जा रहा है. Voluntary Human Extinction Movement (VHEM)

इस मूवमेंट के अनुसार लोगों को स्वैच्छिक रूप से रिप्रोडक्शन बंद कर देना चाहिए. अगर सभी इस मूवमेंट से जुड़ गए तो एक दिन इस दुनिया से इंसानों का नामों-निशां मिट जाए, और VHEM में यकीन करने वाले लोग यही चाहते हैं.

इंसान पृथ्वी से बाहर जीवन तलाश रहा है और धरती पर कुछ लोग इस जीवन के ही खिलाफ हैं.(फोटो: iStock)

प्रतिमा ने क्विंट से खास बातचीत में कहा, "इंसानों ने नदियों को गटर में बदल दिया है, जंगलों को सीमेंट फॉरेस्ट में बदल रहे हैं, न्यूक्लियर से जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं. इसलिए बेहतर है कि इंसानों का अस्तित्व ही इस दुनिया से खत्म हो जाए." उनका कहना है कि सभी Antinatalist इस मूवमेंट का समर्थन नहीं करते, लेकिन वो VHEM को पूरा सपोर्ट करती हैं.

बेमतलब है जिंदगी?

Antinatalism फिलॉसफी को कई लोग जिंदगी के खिलाफ भी कह सकते हैं, लेकिन Antinatalist लोगों का मानना है कि जिंदगी का जब कोई मकसद ही नहीं, तो ये बेमतलब ही हुई.

दुनिया को गैस चैंबर में बदल दिया गया है, खाने में केमिकल है, क्राइम रेट बढ़ रहे हैं, तो ऐसी दुनिया में बच्चों को लाने का फायदा क्या है?
प्रतिमा, Childfree India

इस तर्क पर कि दुनिया को यूटोपिया तो नहीं बनाया जा सकता, लेकिन जागरुकता और प्रशासन के बल पर इसे बेहतर किया जा सकता है, Antinatalist का मानना है कि पृथ्वी से इंसानों का खात्मा ही इसका पक्का हल है.

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Published: 07 Feb 2019,08:56 AM IST

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