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क्या है Youth For Equality, जिसने सवर्ण आरक्षण को दी SC में चुनौती

यूथ फॉर इक्वलिटी एक छात्र संगठन है जो जाति-आधारित आरक्षण के खिलाफ है.

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सवर्ण आरक्षण बिल 24 घंटे के अंदर यूथ फॉर इक्वलिटी ने दी चुनौती
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सवर्ण आरक्षण बिल 24 घंटे के अंदर यूथ फॉर इक्वलिटी ने दी चुनौती
(फोटो: www.youthforequality.com)

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संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद पास हुए सवर्ण आरक्षण बिल के 24 घंटे के अंदर ही उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई. देश के उच्चतम न्यायालय में 10 प्रतिशत आरक्षण बिल को चुनौती देने वाले एनजीओ का नाम है- यूथ फॉर इक्वलिटी.

यूथ फॉर इक्वलिटी ने इस बिल को चुनौती देने के पीछे दलील दी कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर बैन के फैसले का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि संसद ने 124वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का बिल पास किया.

क्‍या है यूथ फॉर इक्वलिटी?

यूथ फॉर इक्वलिटी एक छात्र संगठन है, जो जाति-आधारित आरक्षण के खिलाफ है. इस संगठन की स्थापना ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), इंडियन इंस्टीट्यूट्य ऑफ मैनेजमेंट (IIM) और अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों ने 4 अप्रैल, 2006 को की थी.

साल 2006 में यूपीए-1 सरकार 93वां संवैधानिक संशोधन लेकर आई थी. इस संशोधन में सभी केंद्र सरकार के संगठनों में ओबीसी वर्ग को कोटा दिया गया था. यूथ फॉर इक्वलिटी ने इस कोटे के खिलाफ काफी विरोध प्रदर्शन किया था.

यूथ फॉर इक्वलिटी ने 2006 में जेएनयू स्टूडेंट यूनियन चुनाव और 2009 लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन दोनों में ही कोई सफलता नहीं मिली.
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क्या है सवर्ण आरक्षण बिल?

इस बिल में आर्थिक तौर पर पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. लोकसभा में पास होने के बाद 9 जनवरी को ये बिल राज्यसभा से पास हो गया. इसके लिए कुल 172 सदस्यों ने वोट डाला, जिनमें से 165 ने बिल के पक्ष में और 7 सदस्यों ने बिल के विरोध में वोट किया.

दोनों सदनों में तीखी बहस के बाद पास हुई 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण बिल(फोटो: Kamran Akhter/The Quint)

इससे पहले मंगलवार 8 जनवरी को बिल लोकसभा में पेश हुआ था और यहां इसे भारी बहुमत से पास किया गया. कुल 326 सदस्यों ने इसके लिए वोट किया. इनमें से 323 ने बिल के पक्ष में वोट डाला, वहीं 3 वोट इसके खिलाफ पड़े थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को सरकार का ऐतिहासिक कदम बताया है. पीएम ने आगरा की रैली में कहा कि हम ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते, जिससे किसी का भी हक छीना जाए. उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिए सभी गरीबों को अवसर देने की कोशिश की गई है.

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