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एक बार फिर से महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill) पर चर्चा तेज हो गयी है. सरकार इसे संसद के जारी विशेष सत्र में पेश कर सकती है. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपने ट्वीट पर इसकी पुष्टि की थी और लिखा, "महिला आरक्षण की मांग पूरा करने का नैतिक साहस केवल मोदी सरकार में ही था, जो कैबिनेट की मंजूरी से साबित हो गया." हालांकि उन्होंने बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.
बता दें कि महिला आरक्षण बिल को संविधान (108वां संशोधन) विधेयक, 2008 के रूप में भी जाना जाता है. अगर यह बिल संसद से पास हो जाता है तो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएंगी. मोदी सरकार अब इस बिल को संसद के विशेष सत्र में पेश करेगी.
संसद के विशेष सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "ऐतिहासिक निर्णय लिए जाएंगे" वाली टिप्पणी के बाद कैबिनेट की इस बैठक में दिलचस्पी बढ़ गई थी.
महिला आरक्षण विधेयक पहली बार 1996 में देवेगौड़ा सरकार द्वारा पेश किया गया था. विधेयक को लोकसभा में मंजूरी नहीं मिलने के बाद, इसे गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया, जिसने दिसंबर 1996 में अपनी रिपोर्ट पेश की. हालांकि, लोकसभा के विघटन के साथ यह विधेयक समाप्त हो गया और इसे फिर से पेश करना पड़ा.
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने 1998 में 12वीं लोकसभा में विधेयक को फिर से पेश किया. फिर भी, यह समर्थन पाने में विफल रहा और लैप्स कर गया.
1999 में एनडीए सरकार ने इसे 13वीं लोकसभा में दोबारा पेश किया. इसके बाद, विधेयक को 2003 में संसद में दो बार पेश किया गया.
यूपीए के शासन काल में साल 2010 में यह विधेयक राज्यसभा में पास करा लिया गया था, लेकिन कुछ पार्टियों के विरोध के बीच यह लोकसभा में पेश नहीं हो सका था.
2019 के लोकसभा चुनाव में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो कुल संख्या 543 का 15 प्रतिशत से भी कम है. सरकार द्वारा पिछले दिसंबर में संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 प्रतिशत है.
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने ट्वीट करके कहा है कि अगर सरकार कल (19 सितंबर) महिला आरक्षण विधेयक पेश करती है तो यह कांग्रेस और यूपीए सरकार में उसके सहयोगियों की जीत होगी. याद रखें, यूपीए सरकार के दौरान ही यह विधेयक 9-3-2010 को राज्यसभा में पारित हुआ था.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट करके कहा है कि कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग कर रही है. हम कथित तौर पर सामने आ रहे केंद्रीय मंत्रिमंडल के फ़ैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे वाली राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी.
2018 में ही तात्कालिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर कहा था कि कांग्रेस सरकार को इस मुद्दे पर बिना शर्त समर्थन की पेशकश करती है.
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