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ससंद के विशेष सत्र (Parliament Special Session) के तीसरे दिन यानी 20 सितंबर को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया. विपक्षी पार्टी एसपी, टीएमसी, एनसीपी और बीएसपी की महिला नेत्रियों ने भी महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में अपनी बात रखी और केंद्र सरकार से अपनी मांग रखी. वहीं, एसपी की डिंपल यादव ने इस बिल को अभी लाने को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए. चलिए जानते हैं कि विपक्षी पार्टी की महिला सांसदों ने क्या कहा?
लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि 16 राज्यों में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद वहां कोई महिला सीएम नहीं है. बंगाल एकमात्र महिला सीएम वाला राज्य है. इस तरह का बिल हमारे राज्य पश्चिम बंगाल में पहले से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लागू किया हुआ है.
काकोली घोष ने आगे कहा "सरकार की ओर से लगातार महिलाओं को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है. सरकार की तरफ से बार-बार दोहराया जा रहा है कि महिलाएं पुरुषों के बराबर नहीं हैं. घोष ने महिला पहलवानों के उत्पीड़न के मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि महिलाओं का उत्पीड़न करने वाले बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि आईआईटी खड़गपुर और इसरों की महिला वैज्ञानिकों को सैलरी नहीं मिल रही है."
NCP सांसद सुप्रिया सुले ने इस बिल पर राय रखते हुए कहा "मैं अपनी पार्टी की ओर से महिला आरक्षण विधेयक का पूर्ण समर्थन करने के लिए खड़ी हूं. लेकिन कुछ बिंदु हैं, जिन्हें मैं उठाना चाहूंगी या सरकार से स्पष्टीकरण मांगूंगी. मुझे लगता है कि चूंकि यह एक विशेष सत्र है, मैं सरकार से अनुरोध करती हूं. कुछ ऐसे विषयों पर बहस करने के लिए जो समान रूप से प्रासंगिक हैं, जिसमें कनाडाई मुद्दा भी शामिल है."
बिल पेश करते वक्त उनलोगों ने कहा कि "अब ये लोग पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग की बात करेंगे. सुले ने सवाल किया कि क्यों नहीं करेंगे. सरकार से विपक्ष मांग नहीं करेगी, तो कौन करेगा.
समाजवादी पार्टी की मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने महिला आरक्षण पर बात करते हुए संसद में कहा कि एसपी की हमेशा से मांग रही है कि महिला आरक्षण में OBC महिलाओं को भी सम्मलित किया जाए. लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में तो ये बिल लागू होगा, क्या ये राज्यसभा में राज्य की विधान परिषदों में भी लागू होगा की नहीं.
डिंपल ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये बिल 13 साल से अटका हुआ था. बीजेपी सरकार को करीब एक दशक पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन सरकार को महिला आरक्षण देना अब याद आया है, आखिर क्यों?
उन्होंने आगे सवाल किया" क्या यह महिला आरक्षण बिल आने वाले चुनाव 2024 में ये लागू हो पाएगा या नहीं हो पाएगा और जो 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, उसमें यह लागू हो पाएगा या नहीं हो पाएगा. उन्होंने जनगणना कराने पर सवाल किया कि मेरा सरकार से सवाल है कि जाति आधारित जनगणना कब होगी.
महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए यूपी के लालगंज से बीएसपी सासंद संगीता आजाद ने कहा" मैं और मेरी पार्टी बीएसपी इस बिल का समर्थन करते हैं लेकिन, बहुजन समाज पार्टी की मांग है, जो इस विधेयक में सम्मलित किया जाए. उन्होंने मांग की कि लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी की जगह 50 फीसदी आरक्षण दिया जाए और इस आरक्षण को राज्यसभा और राज्य की विधान परिषदों में भी लागू किया जाए.
संगीता आजाद ने कहा "महिला आरक्षण में SC-ST महिलाओं के साथ OBC महिलाओं का भी आरक्षण सुनिश्चित किया जाए. जब तक समाज में असमानता रहेगी, तब तक आरक्षण को लागू करना अनिवार्य रहेगा और सामान्य सीट पर SC-ST और OBC महिलाओं को मौका नहीं मिल पाएगा.
बीएसपी की ये भी मांग है कि जातिगत जनगणना जल्द से जल्दी पूरा की जाए, जो साल 2021 में होने वाली थी. जिससे SC-ST और OBC के लोगों को आरक्षण मिल सके. ये आरक्षण सिर्फ सरकार का चुनाव मुद्दा ना बन जाए, इसको ध्यान में रखा जाए और इस महिला आरक्षण को 2024 के आम चुनाव में जल्द से जल्द लागू कराया जाए."
महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में अपनी बात रखी और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने महिला आरक्षण विधेयक को "दिखावा" बताया. उन्होंने कहा कि "महिला आरक्षण के सवाल पर कार्रवाई की आवश्यकता है, न कि विधायी रूप से अनिवार्य विलंब की . सरकार और सत्तारूढ़ दल से, मैं यह कहती हूं - आज हमें हमारे समान अधिकार दें."
उन्होंने कहा, "टीएमसी पहले ही इस विधेयक की कल्पना से अधिक महिला सांसदों को संसद में भेज चुकी है. यह आप हैं, यह सरकार है, यह सत्तारूढ़ सरकार है, जिसे 33% से अधिक (महिला) सांसदों को संसद में भेजने की जरूरत है."
महुआ मोइत्रा ने कहा, "माननीय प्रधान मंत्री, यह हमें दिखाने का आपका क्षण है कि मोदी है तो मुमकिन है... 2024 में 33% महिलाओं को संसद में भेजें, हमारा खुलकर समर्थन करें."
शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने में देरी पर बात रखी.
हरसिमरत ने इसे ''जुमला'' बताते हुए विधेयक को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की. “543 सांसदों के सदन में, हममें से 78 (महिला सांसद) जिन्होंने हजारों पुरुषों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, उन्हें अंततः इस सदन तक पहुंचने की जरूरत है. जब यह पता चला कि महिला आरक्षण विधेयक लाया जा रहा है, तब तक उम्मीदें बनी रहीं. लेकिन केवल 24 घंटों में ही यह धराशायी हो गई क्योंकि इसके विवरण (डिटेल) में शैतान छिपा है... विवरण से पता चला कि विधेयक जनगणना और परिसीमन के बाद आएगा... आपने विधेयक लाने में 9.5 साल क्यों लगाए? आज, कोई अंतिम तारीख नहीं है कि इस सदन में महिलाओं को 33% आरक्षण कब मिलेगा.”
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