Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019भूषण के खिलाफ अवमानना केस पर योगेंद्र यादव-ओपन कोर्ट में हो सुनवाई

भूषण के खिलाफ अवमानना केस पर योगेंद्र यादव-ओपन कोर्ट में हो सुनवाई

योगेंद्र यादव ने दोनों दिन की सुनवाई को फेसबुक लाइव में समझाया

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
योगेंद्र यादव ने दोनों दिन की सुनवाई को फेसबुक लाइव में समझाया
i
योगेंद्र यादव ने दोनों दिन की सुनवाई को फेसबुक लाइव में समझाया
(फाइल फोटो: PTI)

advertisement

वरिष्ठ वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का केस चल रहा है. हाल ही में किए गए उनके दो ट्वीट्स और एक 8 साल पुराने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस सुनवाई को लेकर स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने पूरी जानकारी सामने रखी. उन्होंने बताया कि आखिर कोर्ट में इस मामले में क्या-क्या हुआ. योगेंद्र यादव ने फेसबुक लाइव पर कहा कि चाहे फैसला कुछ भी हो, लेकिन जो सवाल उठाए गए हैं उन पर जरूर ओपन कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए और सच देश के सामने आना चाहिए.

योगेंद्र यादव ने प्रशांत भूषण मामले पर मंगलवार और बुधवार को हुई सुनवाई को समझाते हुए कहा कि, इमरजेंसी के दिनों में एक प्रसिद्ध केस आया था, जिसे एडीएम जबलपुर केस कहा जाता है. ये केस सुप्रीम कोर्ट के सामने आया. जिसमें असली सवाल ये था कि इस वक्त इमरजेंसी है तो किसी व्यक्ति को गोली मारी जा सकती है? क्या उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी सकती है कि आपने मौलिक अधिकारों का हनन कैसे किया? लेकिन दुर्भाग्यवश उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हां इमरजेंसी है, इस वक्त किसी भी मौलिक अधिकार का महत्व नहीं है और इसे छीना जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में एडीएम जबलपुर केस को एक तरह का धब्बा माना जाता है. योगेंद्र यादव ने कहा कि,

प्रशांत भूषण को लेकर जो सुनवाई चल रही है ये केस भी उतना ही जरूरी है जितना एडीएस जबलपुर वाला केस था. ये केस प्रशांत भूषण पर नहीं बल्कि आप और मुझ पर चल रहा है. देश के हर उस नागरिक पर है जो अपनी आवाज उठाता है. देश का जो नागरिक खुलकर बोलता है उसे केस को ध्यान से देखना चाहिए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पहले केस की सुनवाई में क्या हुआ?

योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रशांत भूषण ने जो लिखकर सुप्रीम कोर्ट के 8 पूर्व सीजेआई पर चर्चा के लिए हलफनामे दिए थे. उन पर चर्चा नहीं हुई. जब मंगलवार को सुनवाई हुई तो इस केस को सुन रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने चर्चा शुरू होते ही प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन को कहा कि मैं आपसे पर्सनली बात करना चाहता हूं. इसके बाद पूरी सुनवाई को म्यूट कर दिया गया. राजीव धवन बोल रहे हैं, लेकिन उन्हें म्यूट कर दिया गया है. इसके बाद धवन को मैसेज जाता है कि जज साहब आपसे बात करना चाहते हैं. इसके बाद जज साहब फोन पर बात करते हुए नजर आ रहे हैं. योगेंद्र यादव ने कहा कि,

मेरा अनुमान है प्रशांत भूषण जी को कहा गया कि वो बिना किसी शर्त माफी मांग लें. ये इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि इसके बाद दूसरे शख्स तरुण तेजपाल जिन पर इसी मामले में अवमानना का केस चल रहा है उन्होंने बिना शर्त कोर्ट से माफी मांग ली. लेकिन प्रशांत भूषण ने माफी नहीं मांगी, बस इतना कहा कि, मैं इतना कहने को तैयार हूं कि अगर मेरे कहने से उन जजों या फिर उनके परिवार वालों को कष्ट पहुंचा हो तो मुझे खेद है.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक दोनों लोगों की माफी हमें नहीं मिली है. मिलने के बाद इस पर विचार किया जाएगा. अगर हमें स्वीकार नहीं हुई तो इस पर सुनवाई होगी.

योगेंद्र यादव ने कहा कि, प्रशांत भूषण ने तो पूरी तरह से माफी नहीं मांगी. प्रशांत जी ने जो कहा अगर सुप्रीम कोर्ट उससे संतुष्ट है तो आठ साल पहले वाला मामला क्यों उठा? सुप्रीम कोर्ट के संतुष्ठ होने से मामला यहीं पर बंद हो जाएगा. इससे लोगों को ये लग सकता है कि कोई बड़ा राज खुलने वाला था, इसलिए इस मामले को बंद कर दिया गया. लोग सोच सकते हैं कि मामला ये सोचकर बंद किया गया कि प्रशांत भूषण ने अपने हलफनामे में जो आरोप लगाए हैं उनकी अगर सुनवाई हो गई तो क्या होगा?

आज के केस में क्या-क्या हुआ?

आज 5 अगस्त को प्रशांत भूषण के उन दो ट्वीट्स पर सुनवाई हुई, जिनमें से एक में उन्होंने कहा कि पिछले 6 साल से इस देश में लोकतंत्र को नष्ट किया गया है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट और खासतौर पर पिछले चार सीजेआई की भूमिका पर भविष्य में टिप्पणी होगी. प्रशांत भूषण की तरफ से दुष्यंत दवे वकील थे. उन्होंने कई सवाल उठाए. योगेंद्र यादव ने इस पूरे मामले की सुनवाई पर पांच बड़े सवाल खड़े किए.

पहला सवाल- दु्ष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ये केस तो आपके पास सीधे आना ही नहीं चाहिए था. क्योंकि नियम है कि कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मामला पहले अटॉर्नी जनरल के पास जाना जरूरी है. ये मामला अटॉर्नी जनरल के पास गया ही नहीं. इसीलिए जब ये कानून के विरुद्ध है तो इसका संज्ञान कैसे लिया गया?

दूसरा सवाल - इस मामले में अरुणा रॉय समेत 16 प्रतिष्ठित लोगों ने कहा कि अगर प्रशांत भूषण ने गलती की है तो वो भी यही कहना चाहते हैं, हमारे खिलाफ भी केस दर्ज कीजिए. इसीलिए हमारे खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. कहा गया कि आप दखलअंदाजी नहीं कर सकते हैं. उन्हें क्यों नहीं जुड़ने दिया गया?

तीसरा सवाल - सुप्रीम कोर्ट में तीन लोगों, एन राम, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने इस अवमानना कानून के खिलाफ याचिका दायर की है. इसीलिए पहले उस पर विचार कर लीजिए कि कानून न्याय संवत है या नहीं. अगर न्याय संवत है तो फिर ट्रायल को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. लेकिन इसके बारे में कोर्ट के अंदर कोई चर्चा ही नहीं है.

चौथा सवाल - प्रशांत भूषण ने सीजेआई को चिट्ठी लिखी कि आप किसी और जज को ये केस दे दीजिए. जस्टिस अरुण मिश्रा के कंडक्ट पर मैंने कई बार सवाल उठाए हैं. इसीलिए बेंच को बदल दीजिए. लेकिन सीजेआई ने इसे खारिज कर दिया. क्या इस पर विचार नहीं होना चाहिए था?

पांचवां सवाल - आज की सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल जी बैठे हुए थे. दुष्यंत दवे ने कहा कि इनकी राय भी सुन लीजिए. जो खुद कंटेंप्ट कानून का विरोध कर चुके हैं. लेकिन कोर्ट ने कहा कि छोड़िए... अगर हमें जरूरत होगी तो हम उनको सुन लेंगे. क्या ये न्याय संवत है?

मामले का फेयर ट्रायल हो

योगेंद्र यादव ने कहा कि जो मुद्दे उठाए गए हैं उन पर चर्चा होनी जरूरी है. फिर चाहे कोई भी दोषी हो उसे सजा हो. लेकिन कोर्ट में इसकी सुनवाई जरूर होनी चाहिए. सुनवाई ओपन कोर्ट में होनी चाहिए और फेयर ट्रायल होना चाहिए. इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि जस्टिस मिश्रा पर अगर प्रशांत भूषण सवाल उठा रहे हैं तो उनकी बेंच को बदलना चाहिए. सारा सच देश के सामने आना चाहिए. उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि आज देश में दुष्यंत दवे जैसे वकील हैं जिन्होंने ये सवाल तक पूछ लिया कि सारे पॉलिटिकल केस एक खास बेंच को क्यों दिए जाते हैं?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 05 Aug 2020,08:48 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT