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नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald case) की जांच में जुटी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार, 03 अगस्त को दिल्ली में हेराल्ड हाउस स्थित यंग इंडियन (Young Indian Ltd) के ऑफिस को सील कर दिया. साथ ही ईडी ने निर्देश दिया है कि एजेंसी की अनुमति के बिना परिसर न खोला जाए. यंग इंडियन का ऑफिस सील होने के बाद से बवाल मचा है. कांग्रेस इसको लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर है. तो वहीं सरकार का कहना है कि ईडी अपना काम कर रही है.
चलिए अब आपको बताते हैं कैसे यंग इंडियन लिमिटेड की स्थापना हुई? इस कंपनी में कांग्रेस के कौन-कौन से नेता हैं? इसके साथ ही आपको बताएंगे कैसे नेशनल हेराल्ड मामले से यंग इंडियन के तार जुड़े हैं?
यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी (Young Indian Ltd) की स्थापना 23 नवंबर 2010 को हुई थी. इसे गैर-सरकारी कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया गया है और यह रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज, दिल्ली में पंजीकृत है. 5 लाख रुपये से कंपनी की शुरुआत हुई थी. पत्रकार सुमन दुबे कंपनी की पहली डायरेक्टर थीं. इसके बाद 13 दिसंबर 2010 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी कंपनी के डायरेक्टर बने. उस वक्त राहुल कांग्रेस महासचिव हुआ करते थे.
यंग इंडियन की 76 फीसदी हिस्सेदारी गांधी परिवार के पास है. राहुल गांधी के नाम पर 38 फीसदी शेयर हैं जबकि 38 फीसदी शेयर उनकी मां सोनिया गांधी के पास हैं. बाकी के 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा को दिए गए थे. मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज का निधन हो चुका है.
वर्तमान में कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे यंग इंडियन के एडिशनल डायरेक्टर हैं. वहीं उनसे पहले पवन कुमार बंसल, सोनिया गांधी और सैम पित्रोदा भी कंपनी के डायरेक्टर रह चुके हैं.
चलिए अब आपको बताते हैं कि कैसे नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald case) में यंग इंडियन (Young Indian Ltd) की एंट्री हुई और कैसे यंग इंडियन ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited) का अधिग्रहण कर लिया.
साल 1938 में जवाहर लाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) ने नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की थी. इस न्यूज पेपर को चलाने का जिम्मा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नाम की कंपनी के पास था.
आरोप है कि कांग्रेस ने AJL को पार्टी फंड से बिना ब्याज 90 करोड़ रुपए का लोन दिया. इसके बाद 'यंग इंडियन' नाम से नई कंपनी बनाई गई. यंग इंडियन को एसोसिएटेड जर्नल्स को दिए लोन के बदले में कंपनी की 99 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई.
यंग इंडियन में कथित वित्तीय अनियमितता की जांच के सिलसिले में हाल ही में मामला दर्ज किया गया था. एक निचली अदालत की ओर से यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आयकर विभाग की जांच का संज्ञान लेने के बाद एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत एक नया मामला दर्ज किया था.
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