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उत्तराखंड (Uttarakhand) में 20,000 की आबादी वाले शहर जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने का सिलसिला जारी है. प्रशासन ने चार वार्डों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित कर दिया है. संकट से गुजर रहे जोशीमठ में केवल लोगों के घरों में ही नहीं बल्कि उनकी जिंदगियों में भी दरारें पड़ रही हैं. स्थानीय लोगों का पलायन लगातार जारी है, घर छोड़ने को मजबूर लोगों में से एक प्रकाश भोटियाल ने क्विंट हिंदी से अपना दर्द साझा किया.
प्रकाश भोटियाल के घर में कई सारी दरारें आ चुकी हैं. दरकते मकान ने उन्हें घर छोड़ने को मजबूर कर दिया है. भोटियाल का परिवार बड़ा है, 11 सदस्यों वाला. मकान में कमरे भी 11 हैं लेकिन घर छोड़ने को 11 लोगों का मजबूर परिवार अब केवल दो कमरों में सिमट कर रह गया है.
प्रकाश भोटियाल ने वीडियो साझा कर बताया कि, "हमारा पूरा मकान फट चुका है, घर में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं, यहीं मेरा व्यवसाय चलता था. इस गेस्ट हाउस में मैं यात्रियों को ठहरने की व्यवस्था करता था. मैंने लोन लेकर इसे बनवाया था."
वीडियो में भोटियाल के परिजनों में से एक शशि देवी अपने घर को दिखाते हुए कहती हैं कि, "ये हमारा किचन है, इधर हमारा कमरा है, ये हमने किस-किस तरीके से जोड़ा था, लोन लिया, जेवर गिरवी रखे, कुछ बेचे. लेकिन जो आज हो रहा है उसके बाद हमारे पास बोलने के लिए कोई शब्द ही नहीं हैं."
घर छोड़ने से पहले बातचीत के दौरान उन्हें पिछली कई सारी पुरानी बातें याद आने लगीं, उन्होंने बताया कि हमारे पिता का देहांत भी इसी घर में हुआ था. पोते-पोतियों का जन्म यहीं हुआ.
वीडियो में प्रकाश घर के सामन से जुड़ी यादों का भी जिक्र करने लगे, वे घर की अलमारियों, बच्चों को मिली ट्रॉफियों और दूसरे सामानों की बात करने लगे.
जोशीमठ प्रशासन अब असुरक्षित घरों को गिरा रहा है, लोगों के पुनर्वास की कोशिश भी जारी है. लेकिन जोशीमठ के लोगों की मांग है कि, नजदीक में ही कहीं उन्हें बसाया जाए और बसने के लिए मुआवजा भी दिया जाए.
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