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हिंदुस्तान और पाकिस्तान में अक्सर इस बात पर बहस होती रहती है कि नूरजहां और लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) में बेहतर गायिका कौन हैं, सरहद के इस पार लता मंगेशकर हुआ करती थी और उस पार नूरजहां, आजादी से पहले नूरजहां भारत में अपने नुरानी आवाज से लोगों के दिलों पर राज कर रही थीं.
बंटवारे के बाद भी नूरजहां भले ही पाकिस्तान चली गईं, लेकिन उनके लिए लोगों की दिवानगी में कोई कमी नहीं आई. दोनों की आवाज सुनकर कई नस्लें जवान हुईं. लता और नूरजहां के उम्र में भले ही फासला हो, नूरजहां ने हमेशा लता को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया.
कहानी 1944 की है जब कोल्हापुर में नूरजहां और लता की मुलाकात हुई. नूरजहां शूटिंग के लिए कोल्हापुर पहुंचीं, लता उस दौर में एक कंपनी प्रफुल्ल पिक्चर के लिए काम करती थी, प्रफुल्ल पिक्चर मास्टर विनायक की हुआ करती थी, जो लता के पिता के दोस्त थे. लता के पिता के निधन के बाद उनके घर को सहारा देने के लिए उन्होंने लता को फिल्मों में छोटे रोल दिए और कभी-कभी गाने का भी मौका मिल जाता था.
मैं कोल्हापुर में प्रफुल्ल पिक्चर में नौकरी करती थी, दो गानों के लिए नूरजहां कोल्हापुर आई थीं. वो एक दिन सेट पर बैठी थीं, कंपनी के मालिक ने मुझसे कहा- लता नूरजहां जी को गाना सुनाओ, मैं उस वक्त 14 साल की थी, मैंने पहले क्लासिकल गाना गाया, फिर उन्होंने कहा फिल्म का गाना सुनाओ, मैंने फिल्म का गाना गाया, उसके बाद नूरजहां जी ने कहा कि तुम अच्छा गाना गाती हो, लेकिन क्लासिकल गाने का रियाज करो. लता ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा-
जब नूरजहां ने पहली बार लता की आवाज सुनी तो उनके मुंह से यही निकला कि ये लड़की एक दिन बड़ी सिंगर बनेगी. नूरजहां जब खाली होतीं तो लता के गाने सुनती रहती. लता खुद नूरजहां की प्रशंसक हुआ करती थीं, उनसे अपने गानों की तारीफ सुनकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. खुद लता ने यह बात कही थी कि नूरजहां उनकी मॉडल रही हैं, कहा जाता है कि दोनों कि जबभी मुलाकात होती, नूरजहां जब भी लता से मिलती उनके गाने सुनती.
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