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हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट उपचुनाव (Adampur Byelection result) में बीजेपी उम्मीदवार भव्य बिश्नोई (Bhavya Bishnoi) की जीत हुई है. जिसके साथ ही हरियाणा विधानसभा में भजनलाल की तीसरी पीढ़ी ने दस्तक दी है. ये जीत जहां एक तरफ कुलदीप बिश्नोई के लिए खुशी लेकर आई है क्योंकि उनके बेटे को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. वहीं सीएम मनोहर लाल खट्टर के लिए भी ये राहत लेकर आई है क्योंकि इससे पहले मनोहर लाल खट्टर के सीएम रहते बीजेपी को दो उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा था.
आदमपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार भव्य बिश्नोई ने जीत दर्ज की है.
किसको-कितने वोट
भव्य बिश्नोई (बीजेपी) 67492
जयप्रकाश (कांग्रेस) 51,752
कुरड़ाराम (इनेलो) 5248
सतेंद्र सिंह (आप) 3420
अन्य प्रत्याशियों को 500 से कम
आदमपुर विधानसभा में भव्य बिश्नोई की जीत बीजेपी से ज्यादा भजनलाल परिवार की जीत है. क्योंकि आदमपुर उनके किले का सबसे मजबूत और इकलौता मोर्चा है. आदमपुर भजनलाल परिवार का गढ़ रहा है. और यहां पहले से ही उम्मीद थी कि बीजेपी जीत दर्ज कर लेगी. हां इससे मनोहर लाल खट्टर का उपचुनावों में हार का सिलसिला टूटा है क्योंकि इससे पहले उन्हें बरोदा और ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. फिर भी ये जीत उनसे ज्यादा बिश्नोई परिवार की मानी जाएगी.
आदमपुर विधानसभा से अब तक पूर्व सीएम भजन लाल का परिवार ही चुनाव लड़कर जीतता आ रहा है. साल 1967, 1972, 1977 और 1982 में खुद भजनलाल ये सीट जीते. 1987 में उनकी पत्नी जसमा देवी चुनाव जीतीं. 1990, 1996, 2000, 2005 और 2008 में फिर भजनलाल जीते. 1998 के उप चुनाव और 2009, 2014 और 2019 में कुलदीप बिश्नोई यहां से विधायक बने. 2011 के उपचुनाव में कुलदीप की पत्नी रेणुका बिश्नोई जीतीं. इस तरह से 12 सामान्य और तीन उप चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार का ही दबदबा रहा. अब इस उपचुनाव में भजनलाल की तीसरी पीढ़ी ने जीत दर्ज की है.
कांग्रेस ने भव्य बिश्नोई के सामने तीन बार सांसद रहे. जय प्रकाश को मैदान में उतारा था. लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर हावी होती दिखी. एक तरफ जहां बीजेपी ने भजनलाल परिवार का गढ़ होते हुए भी पूरी ताकत झोंक दी. सीएम मनोहर लाल खुद भव्य के लिए प्रचार करने पहुंचे थे. लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार जेपी को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के अलावा किसी का साथ नहीं मिला. हरियाणा में दूसरे कांग्रेस हैविवेट नेता, जैसे कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी इस उपचुनाव में कहीं नजर नहीं आई. इनके अलावा भी कोई बड़ा कांग्रेस नेता जेपी का प्रचार करने नहीं पहुंचा था.
ये जीत मनोहर लाल खट्टर के लिए काफी अहम है क्योंकि इससे पहले वो बरोदा और ऐलनाबाद में उपचुनाव हारे थे लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव से पहले ये जीत उनके लिए टॉनिक का काम करेगी. क्योंकि पहले 2019 में मनोहर लाल की कयादत में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. फिर उपचुनावों में हार सीएम मनोहर लाल के लिए कई राजनीतिक सवाल खड़े कर रही थी.
2 साल पहले ये उपुनाव हुआ था
इसमें कांग्रेस के इंदुराज ने 10566 वोटों से जीत दर्ज की थी.
बीजेपी के उम्मीदवार रेसलर योगेश्वर दत्त इस उपचुनाव में हारे थे, उन्हें 50,070 वोट मिले थे.
यहां कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा की मौत के बाद उपचुनाव हुए थे.
यहां इनेलो के इकलौते विधायक अभय चौटाला के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हुए थे.
अभय चौटाला ने किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दिया था
उनके मुकाबले के लिए बीजेपी चुनाव से ठीक पहले गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा को अपनी पार्टी में लाई
इनेलो के अभय चौटाला ने यहां बीजेपी के गोबिंद कांडा को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था
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