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शरद पवार-उद्धव ठाकरे की कहानी एक समान? एक 'दुशमन',एक बगावती,एक सा दर्द, लेकिन...

शरद पवार और उद्धव ठाकरे का एक जैसा हाल, दोनों से अपनों ने ही की बगावत.

उपेंद्र कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>क्या NCP का हश्र भी शिव सेना जैसा ही होने वाला है?</p></div>
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क्या NCP का हश्र भी शिव सेना जैसा ही होने वाला है?

(फोटोः उपेंद्र कुमार/क्विंट हिंदी)

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राजनीति में सियासी पैंतरा आम है. हर कोई अपने अपने तरीके से इस दांव को अजमाता है. अजित पवार ने भी महाराष्ट्र की राजनीति में अपने कद को अजमाया है. उन्होंने 2 जुलाई की सुबह विधायकों की मीटिंग बुलाई. अजित पवार के गुट का दावा है कि उनके मीटिंग में 40 के करीब विधायक पहुंचे थे. हालांकि, इस मीटिंग के बारे में शरद पवार को जानकारी नहीं थी. लेकिन, जब उनकी बेटी सुप्रीय सुले को इसकी जानकरी लगी तो वो भागती हुईं अजित पवार से मिलने पहुंची, जहां विधायक मीटिंग कर रहे थे. उन्होंने अजित पवार को मनाने की कोशिश कीं, लेकिन वह नहीं माने

अजित पवार जब मीटिंग में शामिल सभी विधायकों से आश्वस्त हो गए तो उन्होंने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन की तरफ कूच कर दिया और एकनाथ शिंदे सरकार के सहभागी के रूप में शामिल हो गए. अजित पवार ने कहा कि ये विधायकों का किसी पार्टी में शामिल होना नहीं है, बल्कि NCP, एकनाथ शिंदे सरकार में एक एलायंस के रूप में शामिल हुई है और ये निर्णय NCP पार्टी का है.

पार्टी में बगावत के बाद अपने पहले संबोधन के दौरान शरद पवार और उद्धव ठाकरे

(फोटोः क्विंट हिंदी)

जबकि, NCP के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने अजित पवार के दावे को खारिज करते हुए कहा कि ये फैसला व्यक्ति विशेष और निजी फैसला है, इसमें NCP पार्टी किसी भी तरह से शामिल नहीं है. ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि शिव सेना की तरह ही कहीं NCP का हश्र न हो जाए, जैसे उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी और सिंबल छिन गया कहीं यही हाल शरद पवार के साथ भी न हो जाए.

क्योंकि, अजित पवार का गुट दावा कर रहा है कि उनके साथ NCP के 40 विधायकों का समर्थन है, जबकि NCP के पास कुल 53 विधायक हैं. अगर ऐसा होता है तो अजित पवार के साथ बागी हुए विधायकों पर दलबदल कानून लागू नहीं होता है. क्योंकि, उन्होंने दो तिहाई बहुत के आंकड़े को पार कर लिया है.

हालांकि, शरद पवार जब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, तो उनके चेहर पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं. अपने 7-8 मिनट के संबोधन में ऐसी कई बाते कहीं जो शिव सेना में बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने कही थी. इस आर्टिकल में दोनों नेताओं के बयानों की तुलना करेंगे, क्योंकि दोनों के साथ अपनों ने ही बगावत की है.

जनता के ऊपर छोड़ा फैसला

शरद पवार: NCP में बगावत के बाद शरद पवार ने कहा क‍ि "मुझे महाराष्ट्र की जनता पर पूरा भरोसा है. इसलिए मुझे इसकी चिंता नहीं है कि क्या हुआ? अवश्य मैं कल सुबह बाहर जाऊंगा. मैं कराड जाकर यशवंतराव की समाधि पर जाऊंगा और कल वहां दलित समाज की सभा है, उसमें शामिल होऊंगा. इसके बाद मैं प्रदेश और देश में जितना हो सके घूमने का प्रयास करूंगा. जितना घूम सकूंगा, जितना लोगों से संपर्क बढ़ा सकूंगा, बढ़ाऊंगा. यह मेरी नीति है."

उद्धव ठाकरेः उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते हुए शिवसेना में उठी बगावत पर उद्धव ठाकरे ने भी जनता का सहारा लिया था. उन्होंने उस दौरान कहा था कि "मैं बागी विधायकों पर बात नहीं करूंगा. शिवसेना को जनता का समर्थन है. मैंने राज्य के लिए पूरी तरह से ईमानदारी से काम किया. कई विधायक हमें फोन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हम लौट आएंगे."

पार्टी में बगावत से पहले कोई खबर नहीं

शरद पवार: जब अजित पवार डिप्टी सीएम की शपथ ले रहे थे तो शरद पवार उस समय पुणे में थे. इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या इसकी जानकारी उन्हें थी. इस पर उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी उन्हें नहीं थी. हालांकि, ये जग जाहिर था अजित पवार काफी दिनों से नाराज चल रहे थे.

हालांकि, अजित पवार इससे पहले भी बगावत कर चुके हैं. जानकारों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि शरद पवार को जानकारी नहीं होगी, लेकिन ये इतना जल्दी हो जाएगा, ये बात जरूर उन्हें पता नहीं रही होगी, नहीं तो उनके द्वारा कुछ ठोक कदम जरूर उठाया गया होता.

उद्धव ठाकरेः मौजूदा वक्त में जिस तरह से अजित पवार ने शरद पवार का साथ छोड़ा है, और शरद पवार को भनक तक नहीं लगी ऐसा ही कुछ साल 2022 में उद्धव ठाकरे के साथ हुआ था. शिवसेना में इतना बड़ा विद्रोह हुआ, लेकिन उद्धव ठाकरे को भनक तक नहीं लगी थी.

हालांकि, उस वक्त ये सब जानते थे कि शिव सेना में असंतुष्ट कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह था. अजित पवार की तरह ही एकनाथ शिंदे भी नाराज चल रहे थे और पार्टी के भीतर कई लोग थे जो उन पर भरोसा करते थे. ये बात महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले भली भांति जानते समझते हैं. लेकिन, सवाल था कि इतना सब कुछ होने के बावजूद भी शिव सेना का शिर्ष नेतृत्व अनभिज्ञ रहा?

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि, उस समय जिस तरह की रणनीति बनाई गई थी, विधायक जुटाए गए, पहले सूरत और फिर गुवाहाटी की यात्रा कराई गई. और फिर आगे की सभी कानूनी प्रक्रिया तैयार की गई, इससे तो साफ था कि यह कोई एक-दो दिन या हफ्ते भर की तैयारी तो नहीं थी, बल्कि यह सब महीनों की योजना का नतीजा था.

चेहरे पर शिकन की लकीर

शरद पवार: अपने 7 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार के चेहरे पर शिकन साफ नजर आ रही थी. उन्होंने कहा कि हमारे कुछ साथियों ने पार्टी के रुख से अलग रुख अपनाया है. कल मैंने 6 जुलाई को पार्टी के कुछ प्रमुख लोगों की बैठक बुलाने की बात कही थी. इस बैठक में संगठनात्मक परिवर्तन के बारे में सोच रहा था, लेकिन इससे पहले ही पार्टी के कुछ साथियों ने अलग रुख अपना लिया. हमने स्टैंड लिया कि हम ही पार्टी हैं.

उद्धव ठाकरेः अपने 6 मिनट के संबोधन में उद्धव ठाकरे ने कई बार इस्तीफा देने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि "अगर शिवसेना का कोई विधायक चाहता है कि मैं मुख्यमंत्री नहीं रहूं, तो मैं अपना सारा सामान वर्षा बंगले से मातोश्री ले जाने के लिए तैयार हूं. मुझे किसी पोस्ट से कोई लगाव नहीं है...

"मैं बालासाहेब ठाकरे का बेटा हूं. विधायक मुझसे मिल सकते थे. सूरत जाने की क्या जरूरत थी. अगर नहीं चाहते हैं तो मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ देता हूं. अगर मेरा काम नहीं पसंद तो मेरे मुंह पर कह देते. मैं अपना इस्तीफा लिख रहा हूं. मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं. अगर आप मुझसे कहें कि मैं शिवसेना का नेतृत्व करने में अक्षम हूं, तो मैं सेना प्रमुख का पद भी छोड़ दूंगा. या तो आओ या मुझे कॉल करो. मुझे बताएं और मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने को तैयार हूं. सीएम पद मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है."
उद्धव, ठाकरे

बड़े दल के सपोर्ट का सहारा

शरद पवार: अजित पवार की बगावत के बाद शरद पवार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें अलग-अलग राज्यों से नेताओं के फोन आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ''मुझे बहुत से लोगों से फोन आ रहे हैं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य लोगों ने मुझे फोन किया है. आज जो कुछ भी हुआ मुझे उसकी चिंता नहीं है. कल, मैं यशवंतराव चव्हाण का आशीर्वाद लूंगा और एक सार्वजनिक बैठक करूंगा.''

उद्धव ठाकरेः एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद पहली बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर आकर उद्धव ठाकरे ने अपना बयान दिया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि "कमलनाथ, शरद पवार ने कहा कि वे मेरे साथ हैं. शरद पवार और सोनिया गांधी ने मेरी बहुत मदद की, उन्होंने मुझ पर अपना विश्वास बनाए रखा."

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पार्टी पर खुद का दावा

शरद पवार: NCP पर अजित पवार की तरफ से दावा ठोके जाने को लेकर शरद पवार ने कहा कि कुछ लोग पार्टी पर दावा कर रहे हैं, लेकिन यह जनता तय करेगी की पार्टी किसकी है.

उद्धव ठाकरेः साल 2022 में शिवसेना से बगावत कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की आंख के सामने से शिव सेना पार्टी को भी लेकर चले गए. जब शिंदे ने बगावत की तो उन्होंने अपने साथ 46 विधायकों का होने का दावा किया था. ये सब जानने के बावजूद उद्धव ठाकरे पार्टी पर कब्जे की लड़ाई लड़ते रहे.

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उद्धव ठाकरे पार्टी को बचाने में लग गए. और जनता के बीच जाकर संघर्ष की बात करते रहे. लेकिन, अंततः एकनाथ शिंदे ने उनके सामने से पार्टी और उसके सिंबल को कानूनी लड़ाई लड़कर हथिया लिया.

हालांकि, सितंबर 2022 में उद्धव ठाकरे ने असली शिव सेना होने का दावा किया था. इस दौरान उन्होंने शिवसेना भवन में पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि...

"हमारी चार पीढ़ियों की सामाजिक सेवा से शिवसेना खड़ी हुई है. इसलिए हम असली शिवसेना हैं. इसे हमसे न कोई छीन सकता है, न इसे खरीदा जा सकता है. ठाकरे ने कहा कि अतीत में भी कई बार शिवसेना को कमजोर करने की कोशिशें होती रही हैं, लेकिन ऐसी कोशिशें हमेशा असफल हुई हैं."

जनता के बीच जाकर संघर्ष की बात

शरद पवार: पार्टी के भविष्य पर NCP प्रमुख कहा क‍ि "अब सवाल पार्टी के भविष्य का है. ऐसी बात दूसरों के लिए नई हो सकती है. मेरे लिए नई नहीं है. 1986 में चुनाव के बाद मैं कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व कर रहा था. उस वक्त 58 में से 6 को छोड़कर सभी पार्टियां साथ छोड़ चुकी थीं. मैं उस 58 में विपक्ष का नेता था. मैंने पार्टी बनाने के लिए पूरे महाराष्ट्र का दौरा किया. एक पार्टी बनाने का निर्णय लिया. चुनाव होने पर यही संख्या 69 हो गई.

"ये मेरे लिए नया नहीं है. NCP को तेड़ने की कई बार कोशिश की गई. मेरा महाराष्ट्र की जनता पर पूरा भरोसा है. मैं महाराष्ट्र में घूमकर जनमत बनाऊंगा."

उद्धव ठाकरेः उद्धव ठाकरे ने अपने 6 मिनट के संबोधन में कहा था कि "2014 में भी शिवसेना अकेले चुनाव लड़ी थी. हिंदुत्व और शिवसेना एक ही हैं. हम बाला साहेब के सिद्धांतों पर ही चल रहे हैं...

"बाला साहेब के विचारों से अलग नहीं हैं. उनकी विचारधारा से ही आगे बढ़ रहे हैं और जो शिवसैनिक ये सोचते हैं कि मैं शिवसेना का नेतृत्व नहीं कर सकता, तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं. लेकिन ऐसा कहने के लिए आपको किसी विरोधी की नहीं, एक शिवसैनिक की जरूरत है. मैं शिवसैनिकों के लिए प्रतिबद्ध हूं. उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, कुर्सी जाएगी तो हम संघर्ष करेंगे, चुनौती को पीठ नहीं दिखाएंगे."

बागियों के खिलाफ कार्रवाई की बात

शरद पवार: NCP में बगावत के पार्टी के महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष जयंति पाटिल ने शरद पवार की सलाह के बाद अजित पवार पर कार्रवाई करते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष से हटा दिया और इसकी जिम्मेदारी जितेंद्र आव्हाड को दी.

वहीं, शरद पवार ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि "अध्यक्ष होने के नाते मैंने प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को अहम पदों पर नियुक्त किया था लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया. इसलिए, मुझे इनके साथ-साथ शपथ लेने वाले सभी नौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी."

उद्धव ठाकरे: शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने कार्रवाई करते हुए एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों को नोटिस भेजा था. इसके साथ ही सदन के उपसभापति को पत्र लिखकर इनकी सदस्यता खारिज करने की अपील की थी.

नए तरीके से पार्टी खड़ी करने की बात

शरद पवार: शरद पवार ने पार्टी को नए तरीके से खड़े करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि वह पहले भी ऐसी बगावत देख चुके हैं, और वह फिर से पार्टी खड़ी करके दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि "अब मैं एक नई और ऊर्जावान टीम बनाऊंगा, जो सच्चे मन से महाराष्ट्र की भलाई और उत्थान के लिए काम करेंगे. अब मेरा एकमात्र उद्देश्य अपनी पार्टी का पुनर्निर्माण करना है."

उद्धव ठाकरे: जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के 3-4 दिनों बाद उद्धव ठाकरे ने शरद पवार से मिलने के बाद अपने शिव सैनिकों से बागियों को भूल जाने और शिवसेना को नए सिरे से खड़ी करने की अपील की बात कही थी. उन्होंने कार्यकार्ताओं से अपील करते हुए कहा था कि "आप बागियों को भूल जाइए, हमें एक नई शिव सेना खड़ी करते दिखानी है."

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