Maharashtra Politics: राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ भी निश्चित नहीं है. महाराष्ट्र की सियासत में भी यही हुआ है. हालांकि, इसका अंदेशा पहले से ही लगाया जा रहा था, लेकिन इतनी जल्दी हो जाएगा किसी को इसका अनुमान नहीं था. राजनीति के पंडित भी माथा पीट रहे हैं. NCP से काफी दिनों से नाराज चल रहे अजीत पवार ने शरद पवार से अलग राह चुन ली है. वह अपने समर्थक विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं. खुद डिप्टी सीएम का पद लिया है और उनके 8 समर्थक विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है.
अजित पवार समेत 9 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ
अजीत पवारः बारामती से विधायक
छगन चंद्रकांत भुजबल: नासिक के येवला सीट से विधायक
दिलीप वालसे पाटिल: अंबेगांव विधानसभा सीट से विधायक
हसन मियांलाल मुशरिफ: कोल्हापुर की कागल सीट से विधायक
धनंजय पंडितराव मुंडे: बीड की परली सीट से विधायक
धर्माराव बाबा भगवंतरंव आत्राम: गड़चिरोली की अहेरी सीट से विधायक
अदिति वरदा सुनीत तटकरे: श्रीवर्धन सीट से विधायक
संजय शंकुलता बाबूराव बनसोड़े: लातूर की उदगीर सीट से विधायक
अनिल भाईदास पाटिल: जलगांव की अमलनेर सीट से विधायक
अजित पवार के साथ NCP के कई दिग्गज नेता शामिल हुए हैं, जो शरद पवार के बहुत करीबी रहे हैं. इनमें छगन भुजबल और हाल ही में कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए प्रफुल्ल पटेल भी शामिल हैं.
अजित पवार पिछले 4 साल में तीसरी बार डिप्टी सीएम पद की शपथ ले रहे हैं. NCP के कई नेताओं ने बताया कि अजित पवार पिछले काफी समय से नाराज चल रहे थे. इससे पहले उन्होंने खुद ही नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ने के लिए कह दिया था. उन्होंने कहा था कि ये जिम्मेदारी हमें नहीं चाहिए, मुझे पार्टी के लिए काम करना है.
"सुप्रिया सुले मनाने गईं, लेकिन बात नहीं माने अजित पवार"
यूथ NCP के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि अजित पवार के साथ 20 के आस-पास विधायक हैं. उन्होंने कहा कि अजित पवार भले ही एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो रहे हैं, लेकिन NCP का उससे कोई लेना देना नहीं है. NCP किसी भी प्रकार से बीजेपी की सहयोगी सरकार के साथ शामिल नहीं हो रही है.
धीरज शर्मा ने बताया कि...
"जब अजित पवार के पास विधायक पहुंचने लगे तो सुप्रिया ताई उनसे संपर्क करने की कोशिश कीं. उनको फोन किया तो वो नहीं उठाए. उसके बाद वह खुद उनके आवास पर गईं, जहां विधायकों की मीटिंग चल रही थी. वहां, भी उन्होंने मनाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद वो वहां से चली आईं और अजित पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ राज्यपाल रमेश बैस से मिलने राजभवन चले गए."धीरज शर्मा, अध्यक्ष, यूथ NCP
उन्होंने बताया कि "जब ये घटनाक्रम हो रहा था, तब शरद पवार साहब पुणे में किसा राजनीतिक कार्याक्रम में गए थे. अजित पवार के साथ जो NCP के बड़े नेता गए हैं, उनमें वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, छगन भुजबल जैसे बड़े नेता हैं."
वहीं, NCP के मुख्य प्रवक्ता महेश भरत ने कहा कि...
"शपथ ग्रहण समारोह दरअसल, ऑपरेशन लोटस का हिस्सा था. इस शपथ ग्रहण समारोह को एनसीपी का कोई आधिकारिक समर्थन नहीं है. यह शपथ लेने वालों का निजी फैसला है. ये फैसला NCP का नहीं है."महेश भरत, मुख्य प्रवक्ता, NCP
NCP ने अजीत पवार की जगह जितेंद्र आव्हाड को बनाया नेताप्रतिपक्ष
अजीत पवार के एकनाथ शिंदे सरकार में बतौर उप-मुख्यमंत्री शामिल होने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने जितेंद्र आव्हाड को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया है.
ठाणे जिले के मुंब्रा-कलवा से विधायक जितेंद्र आव्हाड ने बताया कि एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने उन्हें पार्टी का मुख्य सचेतक और विधानसभा में नेता विपक्ष नियुक्त किया है.
उन्होंने कहा कि सभी विधायकों को मेरे व्हिप का पालन करना होगा.
बागी नेताओं के बारे में जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि...
''इन नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि पार्टी ने पिछले 25 वर्षों में उन्हें मंत्री बनाया है. अब, वे अपने नेता शरद पवार को उनकी राजनीति के आखिरी सालों में छोड़ रहे हैं.''जितेंद्र आव्हाड, नवनियुक्त नेताप्रतिपक्ष, महाराष्ट्र
विपक्ष के लिए तगड़ा झटका कैसे?
केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्ष के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है. विपक्ष की पहली बैठक नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के पटना में हुई थी, जिसको लेकर विपक्ष काफी पॉजिटिव अप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा था. इसके बाद खबर आई कि विपक्ष की अगली बैठक 12-13 जुलाई को हिमाचल के शिमला में होगी, जहां कुछ मुद्दों के सुलझाया जाएगा.
लेकिन, दो दिन पहले शरद पवार ने घोषणा की कि विपक्ष की अगली बैठख बेंगलुरु में 13-14 जुलाई को आयोजित की जाएगी. इस बैठक की अगुवानी शरद पवार ही करने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही NCP में टूट हो गई.
वहीं, अजित पवार की ओर से विधायकों की बैठक बुलाए जाने पर जब शरद पवार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि...
"मुझे ठीक से नहीं पता कि यह बैठक क्यों बुलाई गई है, लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें (अजित पवार) विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है. वह ऐसा नियमित रूप से करते हैं. मुझे इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है."शरद पवार
क्या शिवसेना की ही तरह होगा NCP का हश्र?
देश की राजनीति में पिछले 9 सालों में पार्टियों की टूट की खबर आम हो गई है. महाराष्ट्र की मौजूदा एकनाथ शिंदे सरकार खुद किसी पार्टी की टूट से बनी है. हां, ये अलग बात है कि संख्याबल के जोर पर पार्टी पर भी कब्जा कर लिया गया. जानकारों का मानना है कि NCP के साथ भी यही होने वाला है. NCP के 54 विधायकों में से 30 से ज्यादा विधायक अजित पवार के खेमे में शामिल हो गए हैं. ऐसे में 20 के आस-पास ही विधायक शरद पवार के साथ हैं.
दलबदल कानून से बचने के लिए कितने विधायकों की जरूरत?
शरद पवार के खेमे के लोगों का मानना है कि अजित पवार के साथ 20 के आस-पास विधायक गए हैं. लेकिन, अजित पवार के खेमे का दावा है कि उनके साथ 40 से अधिक विधायकों का साथ है. वहीं, मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अभी अजित पवार के साथ 30 विधायकों का साथ है.
अगर ऐसा है तो अजित पवार पर दलबदल कानून लागू हो सकता है और इसके साथ ही उनकी और उनके समर्थक विधायकों की सदस्यता जा सकती है.
अगर अजित पवार को दलबदल कानून से बचना है तो उनके पास 36 विधायक होने चाहिए. क्योंकि, NCP के पास कुल 54 विधायक हैं. इस लिहाज से कुल विधायकों का दो तिहाई संख्या आपके होनी चाहिए, तभी आप पर दलदबल कानून लागू नहीं होगा. इस हिसाब से अजित पवार के पास 36 विधायक होने चाहिए. तब वह इस कानून की फांस से बच पाएंगे.
हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई है, ये कुछ ही समय में दिख जाएगा, जब शरद पवार समर्थक विधायक इसको लेकर महाराष्ट्र विधानसभा के पटल पर स्पीकर के सामने नोटिस देंगे.
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