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अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने लोकसभा (Parliament) की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. कुछ देर बाद ही आजम खान (Azam Khan) ने भी सांसद पद छोड़ दिया. एक दिन पहले योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. यानी 24 घंटे में 3 बड़े इस्तीफे. लेकिन ऐसा क्यों हुआ? अखिलेश यादव और आजम खान ने लोकसभा से इस्तीफा देकर विधायक रहना क्यों चुना?
एसपी चीफ अखिलेश यादव 2019 में आजमगढ़ की सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने. सांसद रहने के दौरान ही उन्होंने करहल से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए. नियम के मुताबिक, एक व्यक्ति एक ही संवैधानिक पद पर बना रह सकता है. यानी किसी एक पद से इस्तीफा देना होगा. अखिलेश यादव ने वही किया. सांसद पद से इस्तीफा दे दिया.
यूपी के कार्यवाहक सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधान परिषद के पद से इस्तीफा दे दिया. इस बार वो गोरखपुर की शहरी सीट से विधायक बने हैं. नियम के हिसाब से योगी आदित्यनाथ को एक पद छोड़ना पड़ता. ऐसे में उन्होंने विधान परिषद सदस्यता से इस्तीफा देना चुना.
सांसद पद से इस्तीफा देने से एक दिन पहले अखिलेश यादव अपने संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ पहुंचे थे. यहां एसपी के पदाधिकारियों से मुलाकात की और विधान परिषद चुनाव की रणनीति पर चर्चा की. कई तस्वीरें भी सामने आईं, जिसमें आजमगढ़ सदर से विधायक दुर्गा प्रसाद यादव और बाहुबली विधायक रमाकांत यादव नजर आए.
आजमगढ़, एसपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. यहां विधानसभा की सभी 10 की 10 सीटों पर एसपी ने कब्जा कर लिया. साल 2014 और 2019 में मोदी लहर के बाद भी बीजेपी आजमगढ़ सीट नहीं जीत सकी. ऐसे में समझते हैं कि अखिलेश यादव ने सांसदी से इस्तीफा देने का फैसला क्यों लिया?
साल 2017 के चुनाव में एसपी ने विधानसभा में राम गोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष बनाया था. लेकिन सांसद पद छोड़ने के बाद लग रहा है कि अखिलेश यादव ही नेता प्रतिपक्ष होंगे. ऐसे में विधानसभा सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ से सीधे सामना होगा. अबकी बार विधायकों की संख्या भी पहले की तुलना में ज्यादा है. ऐसे में लग रहा है कि विधानसभा के अंदर अखिलेश यादव योगी सरकार को घेरने के मूड में हैं.
एक साल बाद साल 2024 में लोकसभा का चुनाव है. लेकिन अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव हो सकता है. ऐसे में यहां से एसपी के जीतने की उम्मीद ज्यादा है. इसकी दो वजहें हैं.
पहली की आजमगढ़ ऐसी सीट है जहां से मोदी लहर में भी 2014 में मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव चुनाव जीत गए. इस जिले में यादवों की संख्या ज्यादा है, जिसका फायदा एसपी को मिलता रहा है.
दूसरी वजह है विधानसभा चुनाव के नतीजे. अबकी बार आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर एसपी का कब्जा हो गया. 2017 में यहां 4 सीट बीएसपी और 1 पर बीजेपी थी, लेकिन अबकी बार जब बीजेपी की लहर थी, उसमें भी एसपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज कर ली. पास के जिले गाजीपुर और मऊ में भी ऐसे ही नतीजे देखने को मिले. ऐसे में एसपी को दोबारा आजमगढ़ सीट से चुनाव जीतना ज्यादा मुश्किल नहीं लग रहा.
यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी ने मजबूती के साथ वापसी की है. सीटें की संख्या 44 से बढ़कर 111 हो गई. वहीं अबकी बार सबसे ज्यादा 34% वोट मिले हैं. साल 2012 में जब अखिलेश यादव ने सरकार बनाई थी तो उन्हें 31% ही वोट मिले थे. ऐसे में अबकी बार के नतीजे बताते हैं कि अखिलेश यादव पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं. वहीं बीजेपी की सीटें साल 2017 की तुलना में कम हुई हैं. ऐसे में अखिलेश यादव के पास एक बढ़िया मौका है कि वो प्रदेश की राजनीति में फिर से खुद को स्थापित कर सके. सांसद पद छोड़ने के पीछे ये एक बड़ी वजह हो सकती है.
यूपी में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. एक साल बाद ही लोकसभा का चुनाव है. ऐसे में अगर विधायक रहते हुए अखिलेश यादव यूपी की राजनीति में सक्रिय होते हैं तो इसका असर सभी 80 सीटों पर पड़ सकता है. ऐसे में वो कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. पूरा फोकस यूपी की राजनीति पर ही रहे, इसलिए उन्होंने सांसद पद छोड़ने का फैसला किया होगा.
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