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Akhilesh Yadav ने क्यों किया SP में बड़ा उलटफेर,उपचुनाव की हार या 2024 की तैयारी?

अखिलेश यादव ने प्रदेश इकाई के प्रमुख पद को छोड़कर राष्ट्रीय कार्यकारिणी समेत सभी संगठन और प्रकोष्ठ भंग किया

आशुतोष कुमार सिंह
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Akhilesh Yadav ने क्यों किया SP में बड़ा उलटफेर,उपचुनाव की हार या 2024 की तैयारी ?</p></div>
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Akhilesh Yadav ने क्यों किया SP में बड़ा उलटफेर,उपचुनाव की हार या 2024 की तैयारी ?

(फोटो- क्विंट)

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समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने रविवार, 3 जून को उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख पद को छोड़कर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समेत सभी संगठन और प्रकोष्ठ भंग कर दिया है. पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर जानकारी दी गयी कि "समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तत्काल प्रभाव से सपा उ.प्र. के अध्यक्ष को छोड़कर पार्टी के सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष,जिला अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय,राज्य, जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया है."

उपचुनाव की हार या 2024 की तैयारी- इस व्यापक उलटफेर की वजह क्या है? 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के बाद की सबसे बड़ी पार्टी- समाजवादी पार्टी ने इस स्तर के व्यापक उलटफेर करने का निर्णय क्यों लिया? हालांकि पार्टी ने आधिकारिक तौर पर इसकी वजह नहीं बताई है, लेकिन इस फैसले को विधानसभा चुनावों में मिली हार से लेकर हाल ही में आजमगढ़-रामपुर में हुए उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद सुधार के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है.

विधानसभा चुनाव- माहौल तो बना पर जीत हाथ न लगी

किसान आंदोलन से उपजा गुस्सा, कोरोना काल की मुश्किलों- समाजवादी पार्टी जब 2022 के विधानसभा चुनाव में उतरी थी तो उसने उम्मीद बड़ी सजाई थी. लेकिन जब नतीजे आये तो SP और उसके साथ गठबंधन करने वाली दूसरी पार्टियों को बड़ा झटका लगा.

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने 255 सीटें अकेले के दम पर जीतकर सत्ता में वापसी की जबकि समाजवादी पार्टी को केवल 111 सीटों से संतोष करना पड़ा. SP ने 2012 में जितना वोट पाकर सरकार बनाई थी, उससे अधिक वोट पाकर भी वह सरकार बनाने से चूक गई .

ऐसे में पार्टी के अंदर से और बाहर राजनीतिक विश्लेषकों को उम्मीद थी कि अखिलेश यादव सिर्फ हार पर चिंतन नहीं करेंगे बल्कि साथ ही संगठन के स्तर पर बड़ा बदलाव भी करेंगे. हालांकि ऐसा तुरंत नहीं हुआ. माना जा रहा है कि हाल ही में हुए उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद अखिलेश यादव के लिए पार्टी में व्यापक बदलाव को और टालना संभव नहीं था.

उपचुनाव में करारी हार

आजमगढ़ और रामपुर में जिस तरह से बीजेपी ने पार्टी के 2 सबसे कद्दावर नेता- अखिलेश यादव और आजम खान- के गढ़ में सेंध लगाई है, उसने समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया है.

आजमगढ़ में बीजेपी के उमीदवार और भोजपुरी सुपर स्टार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने अखिलेश यादव के चचेरे भाई और SP प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 8679 वोटों से हराया है. यहां बीजेपी प्रत्याशी को 3,12,768 वोट मिले जबकि SP प्रत्याशी को 3,04,089 वोट मिले. इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व पहले अखिलेश यादव कर रहे थे, जिन्होंने करहल विधानसभा सीट से जीतने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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आजम खान के गढ़ रामपुर पर भी बीजेपी ने कब्जा कर लिया है. भगवा पार्टी के उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने सीधे मुकाबले में SP के उम्मीदवार असीम राजा को 42,192 वोटों के बड़े अंतर से हराया.

दोनों सीटों पर उपचुनाव में मिली हार के बाद अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि "बीजेपी की यह जीत बेईमानी, छल, लोकतंत्र और संविधान की अवहेलना, जबरदस्ती, प्रशासन द्वारा गुंडागर्दी, चुनाव आयोग की 'धृतराष्ट्र' की दृष्टि और बीजेपी की 'कौरव' सेना द्वारा जनता के जनादेश के अपहरण की जीत है."

2024 की तैयारी?

अखिलेश यादव के आज के फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि "पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कमर कस रही है और पूरी ताकत के साथ बीजेपी से मुकाबला करने के लिए संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है."

अखिलेश यादव पहले ही अपनी संसदीय सीट छोड़कर पूरी तरह से राज्य में अपना ध्यान केंद्रित कर चुके हैं. राज्य विधानसभा के विपक्ष के नेता यह जानते हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव ही वह अगली बड़ी चुनौती है जिसका उन्हें सामना करना है.

बीजेपी की राजनीति और संगठनात्मक संरचना को करीब से फॉलो करने वाले एक्सपर्ट्स और कुछ हद तक विपक्ष भी मानता रहा है कि बीजेपी की जीत में सबसे बड़ी भूमिका उसके ग्राउंड लेवल पर मौजूद काडर बेस कार्यकर्त्ता हैं. ऐसी स्थिति में अखिलेश यादव भी समाजवादी पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की मंशा रखते हैं और उनके इस उलटफेर को इसी दिशा में एक कदम समझा जा सकता है.

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