उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh By Polls) की दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ (Azamgarh Loksabha By Polls) और रामपुर (Rampur) उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को झटका लगा है. दोनों ही सीटों पर बीजेपी (BJP) जीत गई है. समाजवादी पार्टी का मजबूत गढ़ आजमगढ़ में भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' (Dinesh Lal Nirahua) ने एसपी उम्मीदवार और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के भाई धर्मेंद्र यादव (Dhamrendra Yadav Lost) को 10 हजार से अधिक वोटों से हराया.
आइए जानते हैं समाजवादी पार्टी की हार की बड़ी वजहें.
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों ही सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में आजमगढ़ से 13 प्रत्याशी मैदान में थे. लेकिन असल मुकाबला समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच ही रहा. छह बिंदुओं में समझते हैं बीजेपी पार्टी को कैसे मिली जीत और समाजवादी पार्टी से कहां चूक हो गई.
अखिलेश यादव चुनाव प्रचार में कहीं नजर वहीं आए. एक भी दिन ऐसा नहीं था जिस दिन वे प्रचार करने पहुंचे हो, जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ में चुनाव प्रचार किया और बीजेपी को जीत दिलाई.
बीएसपी के साथ बीजेपी कॉम्बीनेशन ने काम किया. बीएसपी उम्मीदवार गुड्डू जमाली ने एसपी का वोट काटा, कुछ मुस्लिम वोट भी कटे. पिछले विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी का वोट बीजेपी को ट्रांसफर हुआ था. अबकी बार भी वही फैक्टर दिखा.
आजमगढ़ में पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी का जनाधार/वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है. पिछले विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट से बीजेपी उम्मीदवार का वोट प्रतिशत बढ़ा. वह दूसरे नंबर पर रहा.
एसपी और बीजेपी के उम्मीदवार दोनों ही यादव थे. ऐसे में एसपी का कोर वोटर यादव भी कुछ हद तक बंट गया.
वोटिंग प्रतिशत बहुत कम रहा. लगभग 49 फीसदी वोट ही पड़े. इसके पीछे एक वजह ये भी रही कि आजमगढ़ में एसपी वोटर एक्टिव नजर नहीं आए, जिसका सीधे तौर पर एसपी को घाटा हुआ. कई जगहों पर शिकायत मिली को वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है. जबकि विधानसभा चुनाव में वे वोटर थे.
नामांकन के आखिरी दिन पता चला कि एसपी धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार रही है. इससे पहले बीएसपी और बीजेपी ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया था, लेकिन एसपी ने अपने उम्मीदवार का ऐलान आखिरी दिन किया. एसपी कन्फ्यूज दिखी कि वह आजमगढ़ से किस उम्मीदवार को मैदान में उतारे. इससे जनता में एक निगेटिव मैसेज भी गया.
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