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Rampur Bypoll Result: BSP फैक्टर, नदारद अखिलेश...आजम के गढ़ में कैसे खिला कमल?

Rampur By Election Result 2022: बीजेपी उम्मीदवार Ghanshyam Lodhi ने SP उम्मीदवार आसिम राजा को 42192 वोटों से हराया

क्विंट हिंदी
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p>Rampur:अखिलेश रहे नदारद,BSP का वोट ट्रांसफर..आजम खान के गढ़ में BJP के जीत की वजह</p></div>
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Rampur:अखिलेश रहे नदारद,BSP का वोट ट्रांसफर..आजम खान के गढ़ में BJP के जीत की वजह

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हारने के बावजूद समाजवादी पार्टी के पास संतोष करने के लिए "संतोषजनक प्रदर्शन" का तमगा था. लेकिन जब रामपुर (Rampur) और आजमगढ़ (Azamgarh) लोकसभा उप चुनाव के आज नतीजे आए तो अब SP के पास संतोष करने के लिए भी कुछ हाथ नहीं लगा. समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान (Azam Khan) के गढ़ रामपुर में पार्टी को बीजेपी के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है. बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम लोधी ने एसपी उम्मीदवार आसिम राजा को लगभग 42 हजार वोटों से हरा दिया है.

इस चुनावी नतीजे की खास बात यह है कि घनश्याम लोधी और आसिम राजा, दोनों ही आजम खान के शागिर्द माने जाते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि खुद घनश्याम लोधी हर घाट का पानी पी चुके हैं. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने बीजेपी के साथ ही की थी लेकिन उसके बाद उन्होंने BSP, कल्याण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय क्रांति दल, फिर SP और आखिर में फिर से बीजेपी का हाथ थामा.

लेकिन सवाल है कि आजम खान के गढ़ में उनका ही शागिर्द बीस कैसे साबित हो गया. वो क्या वजहें रहीं जिसके कारण बीमारी के बावजूद आजम खान के प्रचार-प्रसार करने का कोई फायदा नहीं दिखा? या इस जीत को सीएम आदित्यनाथ के शब्दों में "डबल इंजन की बीजेपी सरकार के प्रति आमजन के विश्वास की मुहर" माना जाए?

BSP का वोट हुआ ट्रांसफर?

रामपुर लोकसभा सीट पर भगवा पार्टी को मिली इस जीत के पीछे BSP के वोटों का उसके पक्ष में ट्रांसफर होना भी माना जा रहा है. याद रहे कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और BSP ने साथ मिल कर चुनाव लड़ा था. साथ ही इस सीट पर समाजवादी पार्टी के पास आजम खान के रूप में मजबूत उम्मीदवार भी था जिसके लिए यह घरेलु मैदान है. उम्मीद के मुताबिक 2019 में पार्टी को यहां जीत मिली.

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लेकिन मौजूदा उपचुनाव में SP और BSP के बीच कोई गठबंधन नहीं था. BSP ने इस सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था. ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि आजम खान अपने कोटे का मुस्लिम वोट तो एकजुट करने में कामयाब रहे लेकिन BSP का कोर दलित वोट बीजेपी के साथ चला गया.

बीजेपी का ओबीसी उम्मीदवार कर गया खेल?

आजम खान और उनके बेटे इसी रामपुर की दो विधानसभा सीटों पर जेल से चुनाव लड़कर जीते थे. और अब एसपी उम्मीदवार आसिम राजा के लिए खुद घर-घर जा प्रचार कर रहे थे. ऐसी स्थिति में बीजेपी के पक्ष में आये इस नतीजे से रामपुर मे आजम खान का तिलस्म टूटा है. माना जा रहा है बीजेपी के इस जीत की दूसरी वजह यह भी रही कि उसने यहां से OBC उम्मीदवार को उतारा था जिसे SP अपना वोट बैंक मानती है.

ध्यान रहे कि कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खान ने भी इस उपचुनाव में बीजेपी के समर्थन का एलान कर दिया था. ध्यान रहे कि 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नवाब काजिम अली खान को डेढ़ लाख से ज्यादा वोट मिले थे. ऐसे में उनका समर्थन भी बीजेपी के लिए यहां खेल कर गया.

रामपुर में अखिलेश रहे नदारद, बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी

सत्तारूढ़ दल भी अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लोधी के प्रचार के लिए राज्य के कम से कम 16 मंत्रियों को लगाया गया. जबकि दूसरी तरफ अखिलेश यादव रामपुर नहीं गए और आजम खान एकमात्र प्रमुख नेता रहें जो यहां समाजवादी पार्टी के चुनावी कैंपेन की अगुवाई करते रहे.

उपचुनाव में मिली इस हार के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की रणनीति पर सवाल उठेंगे. अखिलेश यादव आजमगढ़ और रामपुर में से किसी भी सीट पर प्रचार के लिए नहीं गए और एक तरह से बीजेपी को वॉक ओवर दे दिया. दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बावजूद बीजेपी इस उपचुनाव में पूरे दम-खम के साथ लड़ रही थी.

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Published: 26 Jun 2022,05:16 PM IST

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