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"नल है लेकिन जल नहीं", अमेठी में स्मृति ईरानी के गोद लिए गांव से ग्राउंड रिपोर्ट

Lok Sabha Election Ground Report: सांसद स्मृति ईरानी ने अमेठी के सुजानपुर गांव को गोद लिया है.

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>सांसद स्मृति ईरानी ने अमेठी के सुजानपुर गांव को गोद लिया है.</p></div>
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सांसद स्मृति ईरानी ने अमेठी के सुजानपुर गांव को गोद लिया है.

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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"गांव के अंदर कभी आकर नहीं देखी हैं. स्कूल में आईं और स्कूल से चली गईं. बड़ा लोग जो अपना सुख-दुख बता दिया, वही देख-सुनकर चली गईं, छोटे लोगों की न कोई गिनती है और न ही सुनवाई होती है," ये कहना है सुजानपुर गांव की शकुंतला का.

अमेठी (Amethi) की सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सुजानपुर गांव को गोद लिया था.

क्विंट हिंदी की टीम उत्तर प्रदेश के इस गांव की जमीनी हकीकत जानने के लिए मौके पर पहुंची.

"सरकारी योजनाएं तो पहुंच रही, लेकिन रफ्तार धीमी"

'हर घर नल योजना' के बारे में बात करते हुए गांव के रामराज कहते हैं, "अभी ये पूर्ण रूप से चालू नहीं हुआ है. गांव में करीब-करीब टोटियां लग गई हैं, देखते हैं कब तक चालू होती हैं. टंकियां बन चुकी हैं, लेकिन अभी इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है."

'जल जीवन मिशन' के तहत साल 2019 में केंद्र सरकार ने 'हर घर जल योजना' की शुरुआत की थी, जिसके तहत 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से जल सप्लाई करने का लक्ष्य रखा गया था.

गांव की प्रधान रेनू कुमारी के पति रामजी कनौजिया कहते हैं, "टंकी बनकर तैयार है, बोरिंग भी हो गया है. पाइप बिछ गई है और टोटी भी लग गई है. वहां से चालू होना है बस."

अन्य मुद्दों पर क्या कहते हैं ग्रामीण?

शकुंतला बताती हैं कि सरकार की तरफ से सिलेंडर तो मिला है, लेकिन महंगाई की वजह से वो दोबारा उसे नहीं भरवा पाईं.

इसके साथ ही स्थानीय लोगों का आरोप है कि "चुनाव के बाद नेताओं के बोल बदल जाते हैं."

"हमें तो कुछ नहीं मिला. अपनी तरफ से जो है खरीदे हैं. पहले कहते हैं कि ये कर देंगे वो कर देंगे, लेकिन सरकार बनने के बाद कुछ नहीं करते, गरीब की सुनते तक नहीं हैं. अमीर के सामने गरीब की क्या पूछ है."
रामराजी, ग्रामीण

पिछले कुछ सालों में गांव की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन यहां के लोगों को अभी भी अपनी सांसद का इंतजार है.

रामराजी कहती हैं, "सांसद आती हैं, लेकिन चौराहे से लौट जाती हैं. इधर आएं तो हम उन्हें देखें. वहीं से लौट जाती हैं, तो उन्हें क्या ही देखें. आतीं तो देखते ही."

हालांकि, रामजी कनौजिया का कहना है कि वो आती रहती हैं.

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