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Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी ने यात्रा से 33 दिन में क्या पाया, कितने विवाद?

Rahul Gandhi भीगते हुए भाषण दिया, मां के जूते बांधे, बच्चों को कंधे पर उठाया- कंटेनर में सो रहे राहुल

वकार आलम
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी ने यात्रा से एक महीने में क्या पाया, कितने विवाद?</p></div>
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Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी ने यात्रा से एक महीने में क्या पाया, कितने विवाद?

फोटो- Altered by quint

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राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) का पहला महीना पूरा हो चुका है. 7 सितंबर को कन्याकुमारी से पिता राजीव गांधी का आशीर्वाद लेकर कश्मीर के लिए निकले राहुल गांधी करीब 700 किमी से ज्यादा का सफर पैदल तय कर चुके हैं और फिलहाल कर्नाटक में हैं. कांग्रेस की इस यात्रा में 3570 किमी का सफर करना है जो श्रीनगर में जाकर पूरी होगी.

अब सवाल ये है कि इस पदयात्रा में राहुल गांधी का एक महीने का सफर कैसा रहा. और सत्तारूढ़ बीजेपी की उस पर कैसी प्रतिक्रिया रही. क्योंकि इससे हम कुछ हद तक समझ पाएंगे कि राहुल गांधी और कांग्रेस ने एक महीने में क्या हासिल किया?

राहुल गांधी की तस्वीरें बनीं चर्चा का विषय

जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर रहे थे, तब कोई नहीं जानता था कि सफर कैसे आगे बढ़ेगा. हालांकि राहुल गांधी ने तमिलनाडु से यात्रा कर एक तरीके से सेफ रणनीतिक शुरुआत की थी. क्योंकि वो वहां सत्ता में साझेदार हैं.

बारिश में भीगते राहुल का भाषण

राहुल गांधी की जिस तस्वीर ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं वो थी बारिश में भाषण देने वाली उनकी तस्वीर. 2 अक्टूबर का दिन था और राहुल गांधी कर्नाटक के मैसूर में पैदल चल रहे थे लोगों से मिल रहे थे और शाम को जब वो मैसूर में ही एक रैली को संबोधित कर रहे थे. तब अचानक बारिश शुरू हो गई. लेकिन राहुल गांधी का भाषण नहीं रुका. खास बात ये थी कि आमतौर पर राजनीतिक रैलियों में इस तरह से बारिश हो जाये तो भीड़ आसरा देखने लगती है. लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ, मैसूर में राहुल गांधी बारिश में भीगते हुआ भाषण देते रहे और लोग उन्हें बारिश में खड़े सुनते रहे.

कुछ लोगों ने अपने सर को कुर्सी उल्टी करके ढक लिया था लेकिन वो सभा छोड़कर नहीं गये. यहां राहुल गांधी ने कहा था कि,

गर्मी, तूफान, ठंड भी इस यात्रा को रोक नहीं सकती है. नदी जैसे ये यात्रा जारी रहेगी और इस नदी में आपको नफरत या हिंसा का कोई निशान नहीं मिलेगा.

मां सोनिया गांधी के जूते बांधते राहुल की फोटो

6 अक्टूबर को दो दिन के आराम के बाद जब भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटके के मांड्या में एक बार फिर शुरू हुई तो सोनिया गांधी ने भी इस यात्र को ज्वाइन किया. जहां पैदल चलते हुए सोनिया गांधी के जूतों के फीते खुल गए. राहुल गांधी वहीं बीच सड़क बैठकर अपनी मां और पार्टी अध्यक्ष के जूतों के फीते बांधने लगे. ये फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई.

गन्ना खाते हुए राहुल गांधी की तस्वीर

राहुल गांधी की एक फोटो और वायरल हुई, जिसमें वो गन्ना खाते दिख रहे थे. इस तस्वीर को भी सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया गया. राहुल गांधी लगातार पैदल चल रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं. वो बच्चों से मिलते हैं, महिलाओं से मिलते हैं, किसानों से मिलते हैं और बुजुर्गों से मिलते हैं. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस यात्रा के बाद राहुल गांधी एक नए राजनेता बनकर सामने आएंगे.

भारत जोड़ो यात्रा का एक महीना पूरा होने पर कांग्रेस ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि, “माँ का आशीर्वाद, जनता का साथ, भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहा है.

भारत जोड़ो यात्रा पर विवाद

कंटेनर विवाद

कांग्रेस ने इस यात्रा के लिए 60 स्पेशल कंटेनर तैयार कराए हैं, जिसमें नेता रात को आराम करते हैं. इसको लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया कि लग्जरी कंटेनर यात्रा के लिए बनाए गए हैं. जिसके जवाब में कांग्रेस ने सारे मीडिया को कंटेनरों का टूर कराया और दिखाकर कहा कि इन कंटेनर्स में मामूली बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम किया गया है. यात्रा को बदनाम करने के लिए ऐसा झूठ फैलाया जा रहा है.

टी-शर्ट विवाद

इसके बाद बीजेपी ने राहुल गांधी की टी शर्ट को लेकर सवाल उठाए. बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने 41,257 रुपये की टी शर्ट पहनी. बीजेपी ने बाकायदा उसका टैग दिखाकर सोशल मीडिया पर डाला. इसके बदले में कांग्रेस ने ट्वीट किया कि, "अरे... घबरा गए क्या? भारत जोड़ो यात्रा में उमड़े जनसैलाब को देखकर. मुद्दे की बात करो, बेरोजगारी और महंगाई पर बोलो. बाकी कपड़ों पर चर्चा करनी है तो मोदी जी के 10 लाख के सूट और 1.5 लाख के चश्मे तक बात जाएगी, बताओ करनी है बीजेपी?"

जॉर्ज पोन्नैया विवाद

राहुल गांधी और जॉर्ज पोन्नैया की बातचीत को लेकर भी बीजेपी ने उन पर निशाना साधा, विवादास्पद कैथोलिक पुजारी जॉर्ज पोन्नैया से राहुल गांधी की बातचीत का एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ, जिसमें राहुल गांधी को यह पूछते हुए सुना जा सकता है, "यीशु मसीह भगवान का एक रूप हैं? क्या यह सही है?" जिस पर पुजारी जॉर्ज पोन्निया ने जवाब दिया, "वह असली भगवान हैं.

इस पर बीजेपी ने ये कहकर हमला किया कि, "जॉर्ज पोन्नैया जो राहुल गांधी से मिले थे, कहते हैं कि शक्ति (और अन्य हिंदू देवताओं) के विपरीत केवल यीशु ही भगवान हैं. पहले उन्हें उनकी कट्टर टिप्पणी के लिए गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने कहा था, "मैं जूते पहनता हूं क्योंकि भारत माता की अशुद्धता हमें दूषित नहीं करनी चाहिए.

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राहुल गांधी ने एक महीने में इस यात्रा से क्या हासिल किया?

फुल टाइम पॉलिटीशियन?

बीजेपी सोशल मीडिया सेल की ताकत से वाकिफ हैं तो आप जानते होंगे कि राहुल गांधी की पार्ट टाइम पॉलिटीशियन वाली छवि बनाने के लिए क्या-क्या हुआ है. इसमें कुछ किरदार खुद राहुल गांधी का भी हो सकता है. राहुल गांधी की आलोचना करने वाले कहते हैं कि राहुल गांधी मुद्दों को छूते हैं और निकल जाते हैं. उदाहरण के तौर पर वो भट्टा पारसौल, चौकीदार चोर है और सूट-बूट की सरकार जैसे कैंपेन गिनाते हैं. लेकिन अब ये यात्रा एक महीने का समय पूरा कर चुकी है और तीन महीने और चलेगी. इसके बाद राहुल गांधी एक यात्रा और कर सकते हैं. तो इस यात्रा से राहुल गांधी उस छवि को धूमिल करते दिख रहे हैं जो उन्हें पार्ट टाइम पॉलिटीशियन कहती है.

विकल्प?

राहुल गांधी सरकार के खिलाफ शुरू से ही मुखर रहे हैं. वो महंगाई, बेरोजगारी और अमीरों के लिए काम जैसे आरोप लगातार मोदी सरकार पर लगाते रहे हैं. राहुल गांधी जनता से कहते रहे कि सरकार गलत कर रही है. इस यात्रा से राहुल गांधी जनता को उस सवाल का जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं जो कई लोग पूछते हैं कि नरेंद्र मोदी नहीं तो कौन?

राहुल गांधी के लिए इस सवाल का जवाब लोगों तक पहुंचाना क्यों जरूरी है क्योंकि उनके सामने सिर्फ बीजेपी नहीं है. आप देखिए कि विपक्ष में कई छत्रप हैं जो खुद को विकल्प के तौर पर पेश कर एक नई जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उनमें अपनी पार्टी को राष्ट्रीय बनाने वाले केसीआर हैं, नीतीश कुमार हैं, ममता बनर्जी हैं और सबसे ज्यादा मुखर अरविंद केजरीवाल हैं.

तो अब तक राहुल गांधी जनता से ये कहते थे कि मोदी सरकार ये गलत कर रही है. और अब इस यात्रा से राहुल गांधी ये संदेश दे रहे हैं कि कांग्रेस बीजेपी का विकल्प है. हालांकि अभी भी कांग्रेस और राहुल गांधी को जनता के सामने एक रोडमैप रखना है, जिससे वो उन खामियों को दूर करेंगे जो बीजेपी सरकार के दौरान उन्हें दिखती हैं.

ब्रांड राहुल गांधी?

आज की राजनीति में आप देखिए कि बहुत कुछ ब्रांड इमेज पर निर्भर करता है. जैसे 2014 में नरेंद्र मोदी ब्रांड गुजरात लाये, 2019 में बीजेपी ने ब्रांड मोदी पर चुनाव जीता. आम आदमी पार्टी ने ब्रांड केजरीवाल से दोबारा दिल्ली जीती. अरविंद केजरीवाल ने ब्रांड दिल्ली से पंजाब जीता और अब गुजरात लेकर पहुंच गए हैं. इसी तरह शायद कांग्रेस भी समझ गई है कि एक ब्रांड जनता को देना होगा जो नरेंद्र मोदी के सामने मजबूती से खड़ा दिखे. लिहाजा कांग्रेस ने ब्रांड राहुल गांधी बनाने की एक नई मुहिम शुरू की है. अब कांग्रेस मोदी विरोधी वोटर को ये समझाने की कोशिश कर रही है कि राहुल गांधी उनका विकल्प हैं.

पार्टी के भीतर संदेश

राहुल गांधी इस यात्रा से सिर्फ बाहरी विरोधियों को ही संदेश नहीं देना चाहते हैं. वो अपनी पार्टी के भीतर भी ये बता रहे हैं कि कांग्रेस में अगर कोई है जो नरेंद्र मोदी से लड़ेगा वो राहुल गांधी है. जी-23 जैसे ग्रुप को भी राहुल गांधी को एक तरीके से निष्क्रिय करना था.

राहुल गांधी का संदेश साफ

राहुल गांधी ने अपनी इस यात्रा से जनता को एक साफ संदेश देने की कोशिश की है जो लोगों के बीच जाता दिख रहा है कि वो सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं. और वो इसके खिलाफ खड़े हैं. पहले कांग्रेस इस पर कन्फ्यूजन में दिखती थी. जिससे जो मोदी विरोधी थे वो अलग-अलग छत्रपों में दिखते थे. अब सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी इन मोदी विरोधी लोगों को और उन लोगों को जो विकल्प ना होने के चलते नरेंद्र मोदी के साथ खड़े थे, अपने प्लेटफॉर्म पर लाकर खड़ा कर सकते हैं.

राहुल गांधी को कितना फायदा ?

कोई राहुल गांधी का विरोधी हो या सपोर्टर वो एक बात पर सहमत हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस को इस यात्रा से फायदा ही होगा. कितना होगा ये आने वाला वक्त बताएगा. राहुल गांधी ने कई बार कहा है कि मैं ये यात्रा अपनी बात कहने के लिए नहीं बल्कि लोगों को सुनने के लिए कर रहा हूं. उनकी जो प्रेस कॉन्फ्रेंस इस यात्रा के दौरान हुई हैं, उनमें आप देखेंगे कि राहुल गांधी अब ज्यादा परिपक्व नजर आते हैं. वो ये संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें कोई पद नहीं चाहिए, वो मुद्दों की लड़ाई लड़ रहे हैं. कई लोग कह रहे हैं कि कुछ बदले ना बदले इस यात्रा से राहुल की छवि जरूर बदल जाएगी, जो एक महीने में होते हुए दिख रहा है. जिसका दावा दिग्विजय सिंह भी कर रहे हैं.

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