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नीतीश-तेजस्वी मोदी से मिलकर करेंगे जाति जनगणना की मांग, टेंशन में बिहार बीजेपी?

बिहार में सभी राजनीतिक दल जातिगत जनगणना की मांग उठा रहे हैं. लेकिन जाति जनगणना पर मोदी सरकार राजी नहीं हैं.

शादाब मोइज़ी
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>तेजस्वी-नीतीश करेंगे पीएम से मुलाकात</p></div>
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तेजस्वी-नीतीश करेंगे पीएम से मुलाकात

(फोटो:ट्विटर)

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बिहार में आजकल दो विरोधी, एक एजेंडा पर एक दूसरे के साथ खड़े हैं. इतने साथ कि एक विरोधी के 'गठबंधन दोस्त' की चिंता बढ़ गई है. दो विरोधी मतलब लालू यादव की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू. जातीय जनगणना (Caste Based Census) कराने की रेस में दोनों एक ही ट्रैक पर हाथ पकड़कर दौड़ रहे हैं. वहीं 'गठबंधन दोस्त' मतलब बीजेपी-जेडीयू का हाथ छूट न जाए इसलिए अब बैकफुट पर नजर आ रही है.

दरअसल, जातीय जनगणना के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर मिलने का समय मांगा था. अब आखिरकार चिट्ठी लिखे जाने के दो हफ्ते बाद पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को मिलने का समय दे ही दिया है.

ये मुलाकात कई मायनों में अलग है. क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 अगस्त को अकेले नहीं बल्कि आरजेडी नेता और अपने विरोधी तेजस्वी यादव के साथ पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे. तेजस्वी यादव ने अभी हाल ही में बिहार की बाकी विपक्षी पार्टियों के साथ सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और साथ मिलकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने को कहा था.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा-

जाति आधारित जनगणना करने के लिए बिहार के प्रतिनिधिमंडल के साथ आदरणीय प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा था. आदरणीय प्रधानमंत्री का बहुत-बहुत धन्यवाद कि 23 अगस्त को मिलने का उन्होंने समय दिया.

बीजेपी बैकफुट पर क्यों

इसी साल देश में जनगणना होनी है, बिहार में सभी राजनीतिक दल जातिगत जनगणना की मांग उठा रहे हैं. लेकिन जाति जनगणना पर बीजेपी और मोदी सरकार राजी नहीं हैं. वहीं नीतीश कुमार एनडीए और सरकार में बीजेपी के साथ होने के बावजूद बार-बार जातीय जनगणना का मुद्दा उठा रहे हैं.

इससे पहले नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार विधानसभा में दो बार फरवरी 2019 और फरवरी 2020 में जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव सदन से पास कराया था. लेकिन इस पर केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. यही नहीं नीतीश कुमार के अलावा लालू यादव से लेकर रामविलास पासवान भी बिहार में जातीय जनगणना को लेकर आवाज उठाते रहे हैं.

तेजस्वी भी एक्टिव

इसी क्रम में अब लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने भी इस मामले पर बीजेपी और नीतीश कुमार को घेरना शुरू किया था. तेजस्वी ने पहले तो सीएम नीतीश से मुलाकात की. फिर पीएम मोदी को खुद भी चिट्ठी लिखी और नीतीश कुमार से भी पीएम मोदी को आग्रह करने को कहा.

जब पीएम मोदी की तरफ से चिट्ठी के जवाब में देरी हुई तो तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के सम्मान से जोड़ते हुए सवाल उठाया. तेजस्वी ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार जी को मिलने का वक्त नहीं देकर उनका अपमान किया है.

तेजस्वी से मुलाकात के बाद नीतीश का पीएम मोदी को चिट्ठी लिखना और जवाब में देरी राजनीतिक रूप से बीजेपी के लिए बेहतर संकेत नहीं थे.

नीतीश का बगावती मोड और बीजेपी की टेंशन

बता दें कि नीतीश कुमार लगातार बगावती मोड में हैं. एक के बाद एक अपने ही गठबंधन के रास्ते से अलग 'चाल' चल रहे हैं.

नीतीश जातीय जनगणना ही नहीं पेगासस जासूसी पर भी गठबंधन के स्टैंड से अलग जाकर कह चुके हैं कि अगर विपक्ष पेगासास जासूसी कांड की जांच मांग रहा है तो जांच होनी चाहिए. इससे पहले भी नीतीश जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बीजेपी से इतर कहा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए महज कानून बनाने से मदद नहीं मिलेगी, महिलाओं को शिक्षा दीजिए. जबकि जेडीयू की सहयोगी पार्टी बीजेपी के शासन वाले राज्य - उत्तर प्रदेश और असम में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कानून पर जोर दिया जा रहा है.

ऐसे में जातीय जनगणना मामले पर नीतीश का आरजेडी के साथ खड़ा होना बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है, इसलिए शायद पीएम मोदी ने वक्त देकर 'दोस्ती बनी रहे' का संदेश दिया है.

हालांकि ये भी माना जा रहा है कि जातीय जनगणना पर सरकार का फैसला, बिहार की राजनीतिक रूप रेखा पर असर जरूरत डालेगी.

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