मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बिहार कांग्रेस की लिस्ट में परिवारवाद की छाप, बाहरी पर भरोसा-नए चेहरे पर दांव?

बिहार कांग्रेस की लिस्ट में परिवारवाद की छाप, बाहरी पर भरोसा-नए चेहरे पर दांव?

Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार में कांग्रेस 9 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है.

मोहन कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में कांग्रेस प्रत्याशियों का ऐलान</p></div>
i

लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में कांग्रेस प्रत्याशियों का ऐलान

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए कांग्रेस (Congress) ने बिहार (Bihar) में अपने सभी प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. सोमवार, 22 अप्रैल को पार्टी ने पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर सहित पांच सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की. वहीं मंगलवार, 23 अप्रैल को पार्टी ने पटना साहिब सीट से अपने कैंडिडेट का ऐलान किया. बता दें कि बिहार में कांग्रेस 9 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने 2 अप्रैल को किशनगंज, कटिहार और भागलपुर सीट पर अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया था.

किसे कहां से मिला टिकट?

  • पश्चिम चंपारण: मदन मोहन तिवारी

  • मुजफ्फरपुर: अजय निषाद

  • महराजगंज: आकाश प्रसाद सिंह

  • समस्तीपुर: सन्नी हजारी

  • सासाराम: मनोज कुमार

  • पटना साहिब: अंशुल अविजित

वहीं पार्टी ने किशनगंज से मौजूदा सांसद मोहम्मद जावेद को टिकट दिया है. कटिहार से तारिक अनवर और भागलपुर से अजीत शर्मा पर भरोसा जताया है.

कांग्रेस की लिस्ट में परिवारवाद की छाप

महाराजगंज:

बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश प्रसाद सिंह (Akash Prasad Singh) को महराजगंज लोकसभा सीट से टिकट मिला है. कांग्रेस प्रदेशध्यक्ष अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए जी-जान से जुटे हुए थे. बता दें कि पार्टी ने अखिलेश प्रसाद सिंह इस साल दूसरी बार राज्यसभा भेजा है और अब उनके बेटे को भी टिकट मिल गई है.

अखिलेश प्रसाद सिंह भूमिहार समाज से आते हैं. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व करने वाले वो दूसरे भूमिहार नेता हैं.

अगर महराजगंज सीट की बात करें तो यहां राजपूत और भूमिहार जाति का लगातार प्रतिनिधित्व रहा है. आजादी के बाद से यहां से सिर्फ सवर्ण उम्मीदवार ही जीतते आए हैं. इसमें सबसे अधिक 13 बार राजपूत सांसद रहे हैं. जबकि चार बार भूमिहार और एक बार कायस्थ प्रत्याशी जीते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने RJD के रणधीर सिंह को हराया था. इस बार भी बीजेपी ने सिग्रीवाल पर भरोसा जताया है.

वहीं इस सीट पर बाहुबली प्रभुनाथ सिंह के बेटे ने रणधीर सिंह ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर RJD से इस्तीफा दे दिया है. 2014 में उन्होंने यहां से चुनाव लड़ा था. हालांकि, अभी उनके चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बरकरार है. अगर वो यहां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरते हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा.

पटना साहिब:

पटना साहिब से पार्टी ने अंशुल अविजित पर भरोसा जताया है. अंशुल पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के बेटे हैं. उनका सीधा मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से होगा.

पहले अंशुल अविजित के काराकाट से चुनाव लड़ने की चर्चा थी. हालांकि, महागठबंधन के तहत ये सीट CPIML (लिबरेशन) के खाते में गई है. जहां से राजाराम सिंह को पार्टी ने टिकट दिया है.

2009 में अस्तित्व में आई इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा 2009 और 2014 में बीजेपी की टिकट पर यहां से सांसद बने. इसके बाद 2019 में बीजेपी ने रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा और वो यहां से जीतकर संसद पहुंचे.

अंशुल दूसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले उन्होंने साल 2019 में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP के टिकट पर पूर्वी चंपारण से चुनाव लड़ा था. बीजेपी नेता राधामोहन सिंह से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

समस्तीपुर:

इस सीट पर कांग्रेस ने जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी को अपना उम्मदीवार बनाया है. उनका मुकाबला NDA समर्थित लोक जनशक्ति पार्टी की उम्मीदवार शांभवी चौधरी से होगा. बता दें कि शांभवी मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं.

ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. दो जेडीयू नेता के बेटा और बेटी आमने आमने हैं.

2014 से इस सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी का कब्जा है. 2014 और 2019 में रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान ने जीत दर्ज की थी. 2019 में उनके निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस पासवान यहां से सांसद बने. हालांकि, लोक जनशक्ति पार्टी में टूट के बाद वो पशुपति पारस खेमे में चले गए थे. बता दें कि बिहार NDA में इस बार पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है.

दूसरी तरफ 2009 में इस सीट से महेश्वर हजारी भी सांसद रह चुके हैं.

बाहरी पर भरोसा

मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने लगातार दो बार के सांसद अजय निषाद को टिकट दिया है. टिकट कटने से नाराज अजय निषाद कुछ दिन पहले ही बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए हैं. अजय निषाद का मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार राजभूषण चौधरी से होगा.

बता दें कि 2019 में अजय निषाद ने राजभूषण चौधरी को 4,09,988 वोट से हराया था. तब राजभूषण VIP के टिकट पर चुनाव लड़े थे. 2014 में उन्होंने पूर्व केन्द्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह को हराया था. इससे पहले इस सीट पर जेडीयू का कब्जा था.

कांग्रेस ने अजय निषाद पर दांव तो लगाया है, लेकिन जानकारों की मानें तो उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्ट्रर हावी हो सकता है. हालांकि, कुछ जानकार ये भी कहते हैं कि मुकेश सहनी के महागठबंधन में शामिल होने से इस सीट पर कांग्रेस को फायदा मिल सकता है.

नए चेहरे पर दांव

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के चुनाव लड़ने से मना करने के बाद सासाराम सीट पर कांग्रेस ने नए चेहरे पर भरोसा जताया है. मनोज कुमार पिछले लोकसभा चुनाव में सासाराम से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और तीसरे नंबर पर रहे थे. हालांकि, उनकी मां यशोदा देवी कांग्रेस नेता हैं. वो कैमूर महिला सेल की अध्यक्ष भी रही हैं.

सासाराम आरक्षित सीट है. 2004 से 2014 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था. मीरा कुमार यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थी. इसके बाद बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया. 2014 और 2019 में छेदी पासवान ने मीरा कुमार को शिकस्त दी. इस बार पार्टी ने छेदी पासवान का टिकट काटकर शिवेश राम पर दांव लगाया है.

सासाराम लोकसभा के अंदर 6 विधानसभा आती हैं. 2020 में इनमें से तीन पर आरजेडी, दो पर कांग्रेस और 1 पर बीएसपी ने कब्जा जमाया था. बीजेपी का यहां खाता भी नहीं खुला था.

कांग्रेस ने बिहार के पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट से मदन मोहन तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. जहां उनका मुकाबला लगातार तीन बार के सांसद और बीजेपी प्रत्याशी संजय जायसवाल से होगा. हालांकि यहां निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बिहार के चर्चित यूट्यूब मनीष कश्यप भी में ताल ठोक रहे हैं. जिसकी वजह से यहां टक्कर की लड़ाई की संभावना जताई जा रही है.

चंपारण सवर्ण बहुल क्षेत्र है. यहां सवर्ण, यादव और मुस्लिम समुदाय के अधिक वोट हैं. पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यहां जब भी किसी पार्टी ने ब्राह्मण कैंडिडेट को मैदान में उतरा है तो जीत उसी की हुई है. वहीं दो ब्राह्मण उम्मीदवारों के मैदान में आने से विपक्षी पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.

बता दें कि 2019 में महागठबंधन के तहत पश्चिमी चंपारण RLSP को मिला था. 2014 में RJD ने अपना उम्मीदवार उतारा था. 2009 में साधु यादव ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

इससे पहले पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया था. पहली लिस्ट में दो मुस्लिम नेताओं के नाम थे. किशनगंज से मौजूदा सांसद मोहम्मद जावेद पर पार्टी ने फिर भरोसा जताया है. कटिहार से तारिक अनवर को टिकट मिला है. तारिक अनवर पार्टी के सीनियर नेताओं में से एक हैं और पार्टी का बड़ा मुस्लिम चेहरा हैं. वहीं, भागलपुर से विधायक अजीत शर्मा पर भरोसा जताया है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT