लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के पहले चरण का मतदान खत्म हो गया है. बिहार (Bihar) की चार लोकसभा सीटों- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई में वोटिंग हुई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, चारों सीटों पर 48.23 फीसदी मतदान हुआ है. सबसे ज्यादा मतदान गया में 52 फीसदी दर्ज किया गया है. वहीं सबसे कम नवादा में 41.50% रहा. 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले पहले चरण में करीब 5.24 फीसदी कम मतदान दर्ज किया गया है.
चलिए आपको बताते हैं कि इस वोटिंग पर्सेंटेज के क्या मायने हैं? 2009 से लेकर अभी तक के चुनावों में क्या ट्रेंड दिख रहा है?
बिहार में वोटिंग % पर एक नजर
औरंगाबाद- 50.00%
गया- 52.00%
नवादा- 41.50%
जमुई- 50.00%
बिहार के चार लोकसभा सीटों पर कुल 38 उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से 35 पुरुष और 3 महिला उम्मीदवार हैं. सभी उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद हो गई है.
बिहार में फर्स्ट फेज में कुल 76.01 लाख वोटर्स हैं.
महिला 36.38 लाख
पुरुष 39.63 लाख
थर्ड जेंडर 255
फर्स्ट टाइम वोटर्स- 92.602
2009-24 तक कैसा रहा वोटिंग ट्रेंड
2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार पहले चरण में मतदान कम हुआ है. 2019 में जहां 53.47 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. वहीं इस बार सिर्फ 48.23 फीसदी वोटिंग ही हुई है.
चुनावी पैटर्न के मुताबिक, अगर किसी राज्य में पिछले चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग होती है, तो ये माना जाता है कि सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी (Anti-incumbency) कम है. यानी सरकार जाने का रिस्क कम हो जाता है. हालांकि, ये पुख्ता दावा नहीं है, लेकिन जानकार इस वोटिंग पैटर्न को मानते हैं.
ऐसे में बिहार में NDA के लिए खुशखबरी हो सकती है और चारों सीटों पर एक बार फिर से कब्जा जमा सकती है.
औरंगाबाद
'बिहार का चितौड़गढ़' के नाम से मशहूर औरंगाबाद में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार कम मतदान हुआ है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर 50.00 फीसदी वोट पड़े हैं, जो कि पिछले बार के मुकाबले में 3.63 फीसदी कम है.
इस बार इस सीट पर वर्तमान सांसद और बीजेपी प्रत्याशी सुशील सिंह का मुकाबला आरजेडी के अभय कुशवाहा से है. बता दें कि बीजेपी प्रत्याशी सुशील सिंह औरंगाबाद से लगातार 3 बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. पिछली बार उन्होंने महागठबंधन उम्मीदवार उपेन्द्र प्रसाद को हराया था. कभी औरंगाबाद सीट पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था.
2009 से लेकर अब तक के वोटिंग पैटर्न को देखें तो 2014 में करीब 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. 2019 में भी 2 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ था. हर बार बीजेपी प्रत्याशी सुशील सिंह की जीत हुई है. बता दें कि राजपूत बहुल क्षेत्र होने के कारण ही औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. इसको ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने सुशील सिंह पर फिर से भरोसा जताया है.
गया
गया लोकसभा आरक्षित सीट है. यहां NDA के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के सामने आरजेडी के कुमार सर्वजीत ताल ठोक रहे हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, यहां पहले चरण में सबसे ज्यादा 52.00% मतदान हुआ है. जो कि 2019 से 4.16 फीसदी कम है.
2009 के मुकाबले 2014 में यहां 12 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ था. 2019 में भी 2 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली थी. हालांकि, इस बार वोटिंग पर्सेंट गिरा है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो यहां NDA को जीत मिली है.
2009 और 2014 में बीजेपी प्रत्याशी हरि मांझी ने जीत दर्ज की थी. 2019 में जेडीयू के विजय मांझी ने NDA के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की.
बता दें कि 2014 में जीतन राम मांझी ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का समना करना पड़ा था. उस साल जेडीयू किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं थी.
नवादा
भूमिहार और यादव बहुल नवादा में राजनीति की धूरी इन दो जातियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. हालांकि कुशवाहा और वैश्य समाज के अलावा मुस्लिम वोटर भी जीत-हार के बड़े फैक्टर है. साल 2009 में परिसीमन बदलने के बाद यह सामान्य सीट हो गई. जिसके बाद NDA ने इस सीट से भूमिहार प्रत्याशियों के लिए दरवाजा खोल दिया.
नवादा सीट पर इस बार 41.50 फीसदी वोट पड़े हैं, जो कि 2019 के मुकाबले 7.83 फीसदी कम है. हालांकि, पिछले तीन बार से इस सीट पर बीजेपी और NDA का कब्जा रहा है.
2009 से भूमिहार प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आ रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने जहां भूमिहार समाज से विवेक ठाकुर को मैदान में उतारा है. तो आरजेडी ने कुशवाहा समाज से आने वाले श्रवण कुमार पर दांव खेला है.
जमुई
जमुई लोकसभा सीट पर इस बार 50 फीसदी मतदान हुआ है. 2019 में 55 फीसदी मतदान हुआ था. इस सीट पर चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती NDA प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं. इनका सीधा मुकाबला आरजेडी की अर्चना रविदास से है. दोनों प्रत्याशी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर 2014 और 2019 में चिराग पासवान को जीत मिली थी. 2019 में तो चिराग को यहां से 2 लाख से अधिक वोटों से जीत मिली थी.
बहरहाल, लोकसभा चुनाव के रण का पहला चरण खत्म हो चुका है. 2019 में इन चारों सीटों पर NDA ने कब्जा जमाया था. एक सीट पर बीजेपी और एक जेडीयू को जीत हासिल हुई थी. वहीं दो सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी ने कब्जा जमाया था. बहरहाल, अब 4 जून का इंतजार है, जब नतीजे आएंगे.
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