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कर्नाटक: बहुमत के जुगाड़ के लिए मोदी-शाह का ‘स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप’

बीजेपी के वो नेता जो सियासी संकट में बनते हैं ‘संकट मोचक’

अंशुल तिवारी
पॉलिटिक्स
Updated:
बहुमत के जुगाड़ के लिए मोदी-शाह का ‘स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप’
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बहुमत के जुगाड़ के लिए मोदी-शाह का ‘स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप’
(फोटो कोलाज: Quint Hindi)

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बीजेपी को अगर कर्नाटक में बहुमत मिलता तो गुरुवार को बंगलुरू में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शपथग्रहण समारोह में होते. पर ये हो ना सका और बहुमत के बगैर सरकार बनानी पड़ी, इसलिए समारोह में वो आन बान और शान नहीं दिखी. मोदी-शाह तो नहीं पहुंचे पर बहुमत के जुगाड़ के लिए उनका स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने वहां डेरा जमा लिया है.

बीजेपी को टीस जरूर होगी कि वो कर्नाटक की जीत की बीजेपी उस तरह खुशी नहीं मना पा रही है जैसी उसकी आदत है. लेकिन बहुमत की बाजीगरी के लिए SOG बंगलुरू में डट गया है. जिसकी जिम्मेदारी है येदियुरप्पा सरकार से अल्पमत का दाग हटाना, और सरकार के जोड़-तोड़ पर बनी निगेटिव इमेज के दुरुस्त करना. इस टीम के सामने मीडिया के तीखे सवालों का जवाब देने की चुनौती भी है.

15 मई से येदुयुरप्पा सरकार के शपथ लेने तक कौन हैं बीजेपी की स्पेशल टीम का हिस्सा और इस टीम ने क्या क्या किया है आइए बताते हैं.

बीजेपी ने रुझानों में बहुमत मिलता देखकर सोच लिया था बिना किसी मदद के सरकार बन जाएगी. दिल्ली में जश्न की तैयारी भी हो गई. बैंड, बाजा और बेसन के लड्डू बीजेपी मुख्यालय भी पहुंच गए. लेकिन, बहुमत नहीं पहुंचा वो 8 सीट दूर ही रह गया. अब इसी दूरी को पाटना है. सो आनन-फानन में बीजेपी के बॉस अमित शाह ने पार्टी की ‘टीम बी’ यानी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को याद किया.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक: विधायकों को 100 करोड़ और मंत्री पद का ऑफर सच्चा लगता है!

कर्नाटक के लिए बीजेपी का स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप

मोदी-शाह युग में बीजेपी की रणनीति डायनामिक है. जब सफलता के लिए जुगाड़ की जरूरत हो तो बीजेपी के चेहरे यानी मोदी-शाह की चुनाव जिताऊ जोड़ी बैकफुट पर चली जाती है और मोर्चा संभालने के लिए सामने आती है ‘टीम बी’. कर्नाटक में सियासी संकट से बीजेपी को उबारने के लिए पार्टी के जिन चार लोगों उतारा गया है, वो हैं . जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान और प्रकाश जावडेकर. इस टीम के चौथे सदस्य अनंत कुमार पहले से ही कर्नाटक में जमें हैं.

वोटों की गिनती में गिरते आंकड़ों को देख रणनीति के तहत बीजेपी के बॉस अमित शाह ने पार्टी के तीन बड़े नेता प्रकाश जावडेकर, धर्मेंद्र प्रधान और जेपी नड्डा को इमरजेंसी में अपने आवास पर बुलाया. रणनीति तय हुई और उन्हें फौरन कर्नाटक रवाना कर दिया गया. वहीं, पहले से ही कर्नाटक में मौजूद अनंत कुमार को अलर्ट पर रहने को कहा गया.

टीम बी की जिम्मेदारी

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के चारों मेंबर को संदेश साफ है बीजेपी सरकार के लिए बहुमत का जुगाड़ करना और पार्टी विद डिफरेंस के लिए जो इमेज का संकट आया है उसे रफू करना. आठ विधायक कम होने के बावजूद राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का न्योता दिया और बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को कर्नाटक के सीएम पद की शपथ भी ले ली. अभी भी बहुमत दूर दिख रहा है, किसी भी तरह इसे जल्द से जल्द पूरा करना.

कर्नाटक में येदियुरप्पा को विधायक दल का नेता चुने जाने के दौरान(फोटोः PTI)

हालांकि असली चुनौती सदन में बहुमत साबित करने की है. इसके लिए राज्यपाल वजुभाई वाला ने भले ही बीजेपी को 15 दिन का वक्त दिया है, पर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पहुंच गया है ऐसे में टीम को सुनिश्चित करना है कि अगर वक्त घट जाए तो भी बहुमत का काम बन जाए. कांग्रेस और जेडीएस दोनों के विधायकों को साम, दाम दंड, भेद से तोड़ने की प्रक्रिया जारी है.

पार्टी और सरकार में कितनी मजबूत है बीजेपी की ‘टीम बी’

1. प्रकाश जावडे़कर

मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री को बिगड़े काम बनाने की जिम्मेदारी पहले भी मिली है. पर्यावरण मंत्रालय में उनके कामकाज से प्रसन्न होकर प्रधानमंत्री मोदी ने मौजूदा मंत्रालय सौंपा था, क्योंकि उस वक्त की मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के कई फैसलों से भारी विवाद और सरकार की किरकरी हुई थी.

बंगलुरू में जावड़ेकर ने अपने तेवरों से साफ बता दिया कि उनको क्या करने के लिए भेजा गया है. बहुमत से 8 दूर होने के बावजूद जावड़ेकर ने बंगलुरू पहुंचते ही अपने स्वभाव के खिलाफ दो टूक कहा सरकार बीजेपी की ही बनेगी.

प्रकाश जावडे़कर(फोटोः PTI)

जावडे़कर के बगल में खड़े बीएस येदुयुरप्पा का हौसला इस वजह से और बढ़ गया. राज्यपाल से दो बार की मुलाकात के अलावा राष्ट्रीय मीडिया को बाइट देने की जिम्मेदारी भी मानव संसाधन विकास मंत्री ने ही निभाई.

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2. अनंत कुमार

अनंत कुमार भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं. कर्नाटक के वरिष्ठ नेता है और लंबे वक्त से दिल्ली की राजनीति में हैं. लेकिन अनंतकुमार को येदियुरप्पा को घनघोर विरोधी माना जाता है. येदियुरप्पा की पिछली बार मुख्यमंत्री के पद से विदाई के लिए अनंत कुमार को ही जिम्मेदार ठहराते रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार(फोटोः PTI)

संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार के पास रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की जिम्मेदारी भी है. उन्होंनेे इस बार विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्रांसलेटर की भी भूमिका निभाई है.

कर्नाटक और खासतौर पर बंगलुरू में खासा दबदबा रखने वाले अनंत कुमार को अपने विरोधी येदियुरप्पा के लिए संकट मोचक की भूमिका निभानी है.

3. जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा)

मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. नड्डा को प्रधानमंत्री का करीबी माना जाता है. इसी वजह से उनका नाम हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री के तौर पर भी खूब चला था. नड्डा को पहले भी मुश्किल काम सौंपे जा चुके हैं.

जगत प्रकाश नड्डा(फोटोः PTI)

4. धर्मेंद्र प्रधान

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मोदी कैबिनेट में सबसे ताकतवर मंत्रियों में एक माने जाते हैं. धर्मेंद्र प्रधान भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं. उन्हें अच्छा कोऑर्डिनेटर माना जाता है, इसलिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के चारों सदस्यों के बीच तालमेल बैठाने की जिम्मेदारी उनकी ही होगी.

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान(फोटोः PTI)

बंगलुरू में पहुंची इस स्पेशल टीम की मौजूदगी का असर दिखने भी लगा है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के दो विधायक छिटक गए हैं. वक्त का पहिया तेजी से घूम रहा है स्पेशल टीम के साथ साथ विपक्ष के पास भी वक्त कम है.

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Published: 17 May 2018,02:17 PM IST

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