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देश को गौरवान्वित कराने वाले खिलाड़ियों को एक FIR दर्ज कराने के लिए धरना देना पड़ रहा है. ओलंपिक पदक विजेता पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि सरकार का एक नुमाइंदा और WFI के चीफ ने यौन शोषण किया है, आप उसपर कार्रवाई करिए. लेकिन, कोई एक्शन नहीं लिया जाता. खिलाड़ियों के सब्र का बांध टूटता है तो वो अंतिम उम्मीद लिए न्यायालय की चौखट पर अपनी अर्जी लेकर पहुंचते हैं, तब जाकर FIR दर्ज होती है. चीफ जस्टिस, सरकार के उस नुमाइंदे के खिलाफ POCSO एक्ट में मुकदमा दर्ज करने के आदेश देते हैं, और कहते हैं कि एक हफ्ते बाद फिर इस मामले को हम देखेंगे की इसमें कितनी प्रगति हुई है. जरा सोचिए चीफ जस्टिस को ये बात तक कहनी पड़ती है.
90 का दशक. भारत की राजनीति करवट ले रही थी. मंडल-कमंडल की सियासत अपने चरम पर थी. वीपी सिंह के फैसले से पूरा देश अंगड़ों और पिछड़ों में बंट गया था. उसी वक्त बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से एक रथ यात्रा निकाली, जो अयोध्या के राम मंदिर तक आई और 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ ये पूरा देश जानता है.
धर्म के नाम पर दंगे हुए. लेकिन, 6 दिसंबर 1992 को जो हुआ उसके लिए लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत जो 40 लोग आरोपी बनाए गए, उनमें बृजभूषण शरण सिंह भी थे. हालांकि, CBI की स्पेशल कोर्ट ने साल 2020 में बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया. लेकिन, एक इंटरव्यू में खुद बृज भूषण शरण सिंह ने बताया था कि...
जरा सोचिए, जो खुलेआम मंच से ये सब बाते कह रहा हो, तो वह कितनी बड़ी ताकत रखता होगा.
बृज भूषण शरण सिंह किशोरावस्था में पहलवानी भी करते थे. कहा जाता है कि स्थानीय स्तर पर अच्छे पहलवान थे. राजनीति में उनकी एंट्री 70 के दशक में हुई. छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे. के.एस साकेत महाविद्यालय, अयोध्या में वह महामंत्री रहे. स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि छात्र राजनीति के दौरान ही कॉलेज के किसी मामले में उन्होंने हैंड ग्रेनेड चला दिया था, जिसके बाद उनका नाम उछला और फिर राजनीति में उनका दबदबा बढ़ता चला गया.
एक बार तो उन्होंने तत्कालीन SP पर ही पिस्टल तान दी थी. बताया जाता है कि साल 1987 में जिले के गन्ना डायरेक्टर का चुनाव होना था. इस चुनाव में बृज भूषण शरण सिंह ने भी पर्चा दाखिल कर दिया. तत्कालीन SP ने उन्हें बुलाकर नामांकन वापस लेने के लिए कहा तो उन्होंने उसके ऊपर पिस्टल तान दी. एक इंटरव्यू में खुद बृज भूषण शरण सिंह ने बताया था कि...
बृजभूषण शरण सिंह को लेकर सबसे बड़ा विवाद तब हुआ था, जब उन पर अंडरवर्ल्ड के साथ जुड़े होने के आरोप लगे. उनके खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से टाडा का मामला दर्ज किया गया. दाऊद से फोन पर बात करने और उसकी मदद करने के आरोप भी लगे. इसके लिए उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा.
जब बृज भूषण शरण सिंह तिहाड़ जेल में सजा काट रहे थे तो उसी वक्त 30 मई 1996 को उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्टी मिली. इसमें उन्होंने लिखा था कि आप बहादुर हैं. सावरकर जी को याद करिए. उन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी. हालांकि, बाद में CBI ने इन सभी आरोपों से बृज भूषण शरण सिंह को बरी कर दिया था.
साल 1991 में बृज भूषण शरण सिंह ने धर्म की राजनीति पर सवार होकर अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा. बीजेपी ने उन्हें गोंडा से टिकट दिया. उस वक्त बृज भूषण शरण सिंह पर 34 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. जब साल 1996 में बृज भूषण शरण सिंह आतंकवादी गतिविधियों के आरोपों में जेल गए तो उनकी पत्नी केतकी सिंह ने सियासी मोर्चा संभाला और साल 1996 का लोकसभा चुनाव जीतकर बृज भूषण शरण सिंह का सियासी किला बचा लिया.
बृज भूषण सिंह ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि "मायावती का गोंडा में एक कार्यक्रम था. उन्होंने गोंडा का नाम बदलकर लोकनायक जयप्रकाश नगर करने की घोषणा की. मैं मायावती से भिड़ गया. मैंने आंदोलन खड़ा किया. इसकी तस्वीरें लेकर मैं अटल जी के पास गया और अटल जी ने एक फोन पर जिले का नाम रोक दिया, लेकिन ये नामकरण संघ के बड़े नेता नाना जी ने कराया था और फिर मेरा संघ में विरोध शुरू हो गया."
इसके बाद गोंडा से बृजभूषण का टिकट काटकर घनश्याम शुक्ल को दे दिया गया. लेकिन, जिस दिन वोटिंग हो रही थी, उसी दिन घनश्याम शुक्ला की एक्सिडेंट में मौत हो गई. कुछ दिनों बाद एक्सीडेंट कराने का आरोप बृज भूषण शरण सिंह पर लगा. इस घटना की CBI जांच का आदेश दिया गया.
बाद में बृजभूषण BJP छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट से एसपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए. लेकिन, फिर 2014 के चुनाव से पहले उन्होंने BJP में घर वापसी कर ली, तब से वह बीजेपी के सांसद हैं. वहीं, पिछले 11 साल से भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं.
बृज भूषण शरण सिंह पर शिक्षा और भू-माफिया के भी आरोप लगते रहे हैं. इसकी वजह उनके 50 से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों का साम्राज्य है, जो अयोध्या, गोंडा से लेकर श्रावस्ती तक फैला हुआ है. इसके अलावा उन पर अपने स्कूलों और संस्थानों का जाल फैलाने के लिए भू- माफिया और जमीन कब्जाने के भी आरोप लगते रहे हैं. इतना ही नहीं वह अलग-अलग सेक्टर में भी ठेकेदारी का काम भी करते हैं. रसूख इतना कि हेलीकॉप्टर और घोड़ों की सवारी करते हैं.
साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बृज भूषण शरण सिंह का एक इंटरव्यू खूब वायरल हुआ था. जिसमें उन्होंने खुद एक हत्या की बात कबूली थी. उसमें उन्होंने कहा था कि...
दरअसल, यह मामला 1983 का है. रविंद्र सिंह, अवधेश सिंह और बृजभूषण तीनों दोस्त थे. ये खनन के ठेके लेते थे. तीनों दोस्त एक जगह गए तो वहां पर विवाद हो गया. वहां उनके दोस्त को किसी ने गोली मार दी. इसके बाद बृजभूषण ने हमला करने वाले को गोली मार दी थी. हालांकि, बताया जाता है कि इस मामले में भी कोर्ट ने उनको बरी कर दिया था.
लेकिन, इस बार देश के नामी-गिरामी पहलवानों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनको पटखनी देने के लिए पहलवान दिन-रात धरना दे रहे हैं. उन पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद POCSO के तहत मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है. लेकिन, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की पहलवानों की कोशिश कितना रंग लाई है.
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Published: 29 Apr 2023,09:38 PM IST