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उत्तराखंड (Uttarakhand) के चंपावत विधानसभा सीट पर 31 मई को उपचुनाव (Champawat By Election) हुआ. करीब 64.08 फीसदी तक वोट पड़े. कुल 151 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जिनपर सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ. उपचुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) समेत चार उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना था. हालांकि धामी का सीधा मुकाबला कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी (Nirmala Gahtori) से है.
उत्तराखंड की चंपावत सीट (Champawat Election) के साथ एक संयोग है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार रही है, चंपावत में उसी पार्टी का उम्मीदवार विजयी हुआ है. सीएम धामी (CM Dhami) का चंपावत सीट से कनेक्शन भी रहा है. ये कुमाऊं क्षेत्र में उनके पैतृक उधम सिंह नगर (Udham Singh Nagar) जिले के बगल में है.
चंपावत विधानसभा (Champawat Seat) क्षेत्र में पहाड़ी के साथ ही मैदानी भाग भी शामिल हैं. यहां करीब 60% वोटर टनकपुर और बनबसा (Tanakpur and Banbasa) जैसे मैदानी क्षेत्रों के हैं वहीं 40% वोटर पहाड़ से हैं. अभी तक हुए चुनावों में मैदानी भाग के वोटर निर्णायक साबित हुए हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो राजपूत वोटर ज्यादा हैं. ब्राह्मण, अनुसूचित जाति-जनजाति के साथ ही पिछड़ा वर्ग भी निर्णायक भूमिका में है.
चंपावत (Champawat) में पिछले 20 साल में हुए विधानसभा चुनावों में नजर डाले तो हर बार 64-66 फीसदी वोट पड़ते रहे हैं. 2017 और 2022 में लगातार बीजेपी के कैलाश चंद्र गहतोड़ी (Kailash Chandra Gahatodi) ने जीत हासिल की. 2012 में कांग्रेस, 2007 में बीजेपी और 2002 में कांग्रेस ने जीत हासिल की.
पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत उपचुनाव (Champawat By Election) बहुत महत्वपूर्ण है. वो कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से हार गए थे. उन्हें भुवन कापड़ी ने हराया था. उसके बाद भी जब सरकार बन गई तो उन्हें सीएम (Pushkar Singh Dhami) बनाया गया. अब उन्हें किसी सीट से चुनाव जीतना जरूरी है.
चंपावत उपचुनाव (Champawat By Election) को कांग्रेस ने हल्के में नहीं लिया. वह बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं दिखी, बल्कि पूरे दम से मैदान में मुकाबला किया. यहां तक कि 2002 के बाद से लगातार चंपावत विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल को इस बार टिकट नहीं दिया. खर्कवाल 2012 के बाद चुनाव नहीं जीते. 2017 और 2022 में लगातार चुनाव हारे हैं. शायद इसी वजह से कांग्रेस ने उनकी जगह निर्मला गहतोड़ी को टिकट दिया.
अब वापस चंपावत सीट (Champawat Election) पर आते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा महिला फैक्टर के बारे में भी जान लीजिए. यहां दो निर्मला गहतोड़ी से पहले दो बार महिला उम्मीदवार मैदान में उतर चुकी हैं. दोनों बार बीजेपी ने ही टिकट दिया.
ग्राम प्रधान से लेकर मंत्री तक का सफर तय करने वाली निर्मला गहतोड़ी को 27 साल बाद विधायकी का टिकट मिला. वो भी सीधे सीएम उम्मीदवार को हराने की जिम्मेदारी. चुनौती बढ़ी है, लेकिन निर्मला गहतोड़ी भी पूरी ताकत से लड़ी हैं. अब नतीजे तय करेंगे कि चंपावत विधानसभा सीट से जुड़ा इतिहास खुद को दोहराता है या फिर निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस के लिए लेडी लक साबित होती हैं.
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