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चंपावत उपचुनाव: सरकार जिसकी-चंपावत सीट उसकी, प्लान बदल कांग्रेस तोड़ेगी ट्रेंड?

Champawat By Election: सीएम पुष्कर धामी का निर्मला गहतोड़ी से मुकाबला, जीत की ज्यादा संभावना किसकी?

विकास कुमार
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Champawat By Election, Pushkar Dhami,&nbsp;Nirmala Gahtori</p></div>
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Champawat By Election, Pushkar Dhami, Nirmala Gahtori

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उत्तराखंड (Uttarakhand) के चंपावत विधानसभा सीट पर 31 मई को उपचुनाव (Champawat By Election) हुआ. करीब 64.08 फीसदी तक वोट पड़े. कुल 151 मतदान केंद्र बनाए गए थे, जिनपर सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ. उपचुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) समेत चार उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना था. हालांकि धामी का सीधा मुकाबला कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी (Nirmala Gahtori) से है.

राज्य में सरकार जिसकी-चंपावत सीट पर जीत उसकी

उत्तराखंड की चंपावत सीट (Champawat Election) के साथ एक संयोग है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार रही है, चंपावत में उसी पार्टी का उम्मीदवार विजयी हुआ है. सीएम धामी (CM Dhami) का चंपावत सीट से कनेक्शन भी रहा है. ये कुमाऊं क्षेत्र में उनके पैतृक उधम सिंह नगर (Udham Singh Nagar) जिले के बगल में है.

चंपावत विधानसभा (Champawat Seat) क्षेत्र में पहाड़ी के साथ ही मैदानी भाग भी शामिल हैं. यहां करीब 60% वोटर टनकपुर और बनबसा (Tanakpur and Banbasa) जैसे मैदानी क्षेत्रों के हैं वहीं 40% वोटर पहाड़ से हैं. अभी तक हुए चुनावों में मैदानी भाग के वोटर निर्णायक साबित हुए हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो राजपूत वोटर ज्यादा हैं. ब्राह्मण, अनुसूचित जाति-जनजाति के साथ ही पिछड़ा वर्ग भी निर्णायक भूमिका में है.

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चंपावत: पिछले 5 चुनावों में से 3 बीजेपी जीत चुकी है

चंपावत (Champawat) में पिछले 20 साल में हुए विधानसभा चुनावों में नजर डाले तो हर बार 64-66 फीसदी वोट पड़ते रहे हैं. 2017 और 2022 में लगातार बीजेपी के कैलाश चंद्र गहतोड़ी (Kailash Chandra Gahatodi) ने जीत हासिल की. 2012 में कांग्रेस, 2007 में बीजेपी और 2002 में कांग्रेस ने जीत हासिल की.

चंपावत विधानसभा (Champawat MLA) क्षेत्र में 96,000 से अधिक मतदाता हैं, जिनमें 46,000 मतदाता महिलाएं हैं. कुछ महीने पहले चंपावत में हुए चुनाव में बीजेपी के कैलाश चंद्र (Kailash Chandra) को 51%, कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल (Hemesh Kharkwal) को 42%, आम आदमी पार्टी के मदन सिंह (Madan Singh) को 4% वोट मिले थे.

योगी आदित्यनाथ ने रोड शो में धामी के लिए वोट मांगा

पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत उपचुनाव (Champawat By Election) बहुत महत्वपूर्ण है. वो कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में खटीमा सीट से हार गए थे. उन्हें भुवन कापड़ी ने हराया था. उसके बाद भी जब सरकार बन गई तो उन्हें सीएम (Pushkar Singh Dhami) बनाया गया. अब उन्हें किसी सीट से चुनाव जीतना जरूरी है.

ऐसे में मौजूदा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी (Kailash Chandra Gahatodi) ने चंपावत सीट से इस्तीफा दे दिया था. इसी सीट से धामी चुनाव मैदान में हैं. चंपावत उपचुनाव में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने एक रोड शो में पुष्कर सिंह धामी के लिए वोट मांगा था.

कांग्रेस वॉकओवर देने के मूड में नहीं-बदला प्लान

चंपावत उपचुनाव (Champawat By Election) को कांग्रेस ने हल्के में नहीं लिया. वह बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं दिखी, बल्कि पूरे दम से मैदान में मुकाबला किया. यहां तक कि 2002 के बाद से लगातार चंपावत विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल को इस बार टिकट नहीं दिया. खर्कवाल 2012 के बाद चुनाव नहीं जीते. 2017 और 2022 में लगातार चुनाव हारे हैं. शायद इसी वजह से कांग्रेस ने उनकी जगह निर्मला गहतोड़ी को टिकट दिया.

निर्मला गहतोड़ी हरीश रावत सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री रही हैं. उनकी गिनती वरिष्ठ नेताओं में होती हैं. ब्राह्मण नेता निर्मला गहतोड़ी ने 1996 में एक ग्राम प्रधान के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. फिर जिला पंचायत का चुनाव लड़ा. कांग्रेस चंपावत की जिला अध्यक्ष और फिर एआईसीसी की मेंबर बनीं.

अब वापस चंपावत सीट (Champawat Election) पर आते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा महिला फैक्टर के बारे में भी जान लीजिए. यहां दो निर्मला गहतोड़ी से पहले दो बार महिला उम्मीदवार मैदान में उतर चुकी हैं. दोनों बार बीजेपी ने ही टिकट दिया.

साल 2007 में बीना महाराजा चुनाव लड़ीं और जीत गईं, लेकिन 2012 में तत्कालीन पार्टी जिलाध्यक्ष हेमा जोशी को बीजेपी ने मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब यही प्रयोग कांग्रेस ने किया है. 20 साल से कांग्रेस उम्मीदवार रहे हेमेश खर्कवाल की जगह महिला कार्ड खेला है. निर्मला गहतोड़ी को उतारा.

ग्राम प्रधान से लेकर मंत्री तक का सफर तय करने वाली निर्मला गहतोड़ी को 27 साल बाद विधायकी का टिकट मिला. वो भी सीधे सीएम उम्मीदवार को हराने की जिम्मेदारी. चुनौती बढ़ी है, लेकिन निर्मला गहतोड़ी भी पूरी ताकत से लड़ी हैं. अब नतीजे तय करेंगे कि चंपावत विधानसभा सीट से जुड़ा इतिहास खुद को दोहराता है या फिर निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस के लिए लेडी लक साबित होती हैं.

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