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राजस्थान में सीपी जोशी को कमान, वसुंधरा को संदेश? बीजेपी ने बनाया 2023 का प्लान!

CP Joshi बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और दूसरी बार चित्तौड़गढ़ से लोकसभा सांसद चुने गये.

पल्लव मिश्रा
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>पीएम मोदी के साथ राजस्थान बीजेपी के नये अध्यक्ष सीपी जोशी.</p></div>
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पीएम मोदी के साथ राजस्थान बीजेपी के नये अध्यक्ष सीपी जोशी.

(फोटो-क्विंट हिंदी)

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बीजेपी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजस्थान में संगठन का चेहरा बदल दिया और सतीश पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी को प्रदेश बीजेपी की कमान सौंप दी. चुनावी साल में इसे बीजेपी हाईकमान का दूसरा बड़ा "मास्टर स्ट्रोक" कहा जा रहा है. सतीश पूनिया का जाना जितना चौंकाने वाला नहीं है, उससे अधिक हैरान करने वाली बात सीपी जोशी की नियुक्ति है. जोशी को राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष बनाकर एक बार फिर हाईकमान ने सभी को चौंका दिया. लेकिन सवाल है कि आखिर ये सब क्यों और किस वजह से हुआ?

सतीश पूनिया का कार्यकाल पूरा हुआ

सतीश पूनिया साढ़े तीन साल तक राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष रहे. उन्हें बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी का जून 2019 में निधन हो जाने के बाद 14 सितंबर 2019 को राजस्थान बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. इसके बाद 27 दिसंबर 2019 को संगठन चुनाव प्रक्रिया अपनाकर पूनिया को निर्विरोध अध्यक्ष घोषित किया गया था.

BJP हाईकमान की पंसद, संघ से गहरा नाता

सतीश पूनिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी चीफ जेपी नड्डा और प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह का खास माना जाता है. कोविड-19 के दौरान राजस्थान बीजेपी के द्वारा किये गये काम की खुद पीएम मोदी ने तारीफ की थी. वहीं, पूनिया के कार्यकाल की भी कई मौकों पर नड्डा प्रशंसा कर चुके हैं. पिछले दिनों पूनिया की पीएम मोदी से मुलाकात हुई थी. इसके बाद से ये कयास लगाये जा रहे थे कि बीजेपी चुनावी साल में एक बार फिर सतीश पूनिया को राजस्थान में संगठन की कमान देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सीपी जोशी को नया अध्यक्ष बनाया गया.

सीपी जोशी को राजस्थान का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद सतीश पूनिया की प्रतिक्रिया सामने आयी. उन्होंने जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया और कहा कि हम सब मिलकर 2023 में राजस्थान में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनायेंगे.

सतीश पूनिया ने ट्वीट किया;

मैं पार्टी का आभारी हूं कि मेरे जैसे साधारण किसान के घर में जन्मे कार्यकर्ता को तीन वर्षों तक जिम्मेदारी देकर सम्मान दिया. इन तीन वर्षों में संगठनात्मक रचना और आंदोलन के द्वारा पार्टी को पूरी ताकत से धरातल पर सक्रिय करने में योगदान दे पाया. एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के निर्देशानुसार जीवन पर्यन्त काम करता रहूंगा.

पूनिया की जगह क्यों सीपी जोशी को मिली कमान?

2014 के बाद से मोदी-शाह हर बार अपने फैसले से पार्टी और विरोधी दोनों को चौंकाते हैं. सतीश पूनिया को भी जब जिम्मेदारी दी गई थी, तब भी ऐसा हुआ था और इस बार सीपी जोशी की नियुक्ति ने सभी को चौंका दिया. 47 वर्षीय चंद्र प्रकाश जोशी यानी सीपी जोशी, सतीश पूनिया से उम्र में 9 साल छोटे हैं. वो राजस्थान में बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं. उनकी निर्विवाद छवि है और बीजेपी हाई कमान की पंसद बताये जाते हैं.

बीजेपी बदलते हालात और समीकरण में नई लीडरशिप को उभारना चाहती है. पार्टी अब ऐसे चेहरे को उभारना चाहती है जो अगले 10 साल तक राजनीति का केंद्र रहे. इसमें जोशी फिट बैठ रहे थे.

BJP की मेवाड़ पर निगाह?

सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से दूसरी बार सांसद चुने गये हैं. बीजेपी सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर मेवाड़ क्षेत्र को साधने की कोशिश की है. दरअसल, मेवाड़ ब्राह्मण और वैश्य बाहुल्य क्षेत्र है. यहां बीजेपी का बहुत बड़ा वोट बैंक है. बीजेपी का उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा जिलों में ब्राह्मण और वैश्य वर्ग का खासा वोट बैंक है. गुलाबचंद कटारियों को राज्यपाल बनाए जाने के बाद से ही मेवाड़ क्षेत्र में पार्टी के पास को दमदार चेहरा नहीं रह गया था, इसलिए बीजेपी ने जोशी को अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की हैं.

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बीजेपी का क्या प्लान?

दरअसल, बीजेपी राजस्थान में पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो पार्टी अब राजस्थान में वसुंधरा राजे के दबाव में नहीं आना चाहती है और इसलिए पार्टी अब जातीय समीकरण साधने में जुट गयी है.

सीपी जोशी ने जेपी नड्डा से की मुलाकात.

(फोटो-क्विंट हिंदी)

ओम बिरला (वैश्य) को स्पीकर, जगदीप धनखड़ (जाट) को उपराष्ट्रपति, कैलाश चौधरी (जाट) को केंद्र में मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत (राजपूत) को केंद्र में मंत्री, सतीश पूनिया (जाट) प्रदेश अध्यक्ष, अर्जुनराम मेघवाल (SC) को केंद्र में मंत्री बनाया. लेकिन कोई ब्राह्मण चेहरा प्रभावी भूमिका में नहीं था. ऐसे में पार्टी ने जोशी पर दांव लगाया.

राजस्थान में क्या है जातीय समीकरण?

राज्य में SC 18%, ST – 14% (मीणा 7%), मुस्लिम – 9%, ओबीसी की 40 प्रतिशत आबादी हैं जिसमें गुर्जर–5%, जाट –10% और माली–4% हैं. वहीं सवर्णों की आबादी 19 प्रतिशत के करीब हैं जिसमें ब्राह्मण-7%, राजपूत–6% और वैश्य-4% और अन्य 2% हैं.

(फोटो-क्विंट हिंदी)

बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो, बजट सत्र के बाद केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार संभव है, उसमें राजस्थान के कुछ नेताओं को प्रमोशन मिल सकता है और कुछ नए चेहर शामिल किए जा सकते हैं.

PM मोदी-शाह ने अपने हाथ में ली कमान

बीजेपी कई तरह से जातियों की साधने की तैयारी में है. इसी क्रम में पीएम मोदी ने राजस्थान में अभी 2 रैलियां की हैं. एक भीलवाड़ा और दूसरा दौसा.

भीलवाड़ा में गुर्जर समाज का वर्चस्व हैं और वहां के 8 से 9 प्रतिशत गुर्जर सचिन पायलट के साथ है. उसको साधने के लिए पीएम गुर्जर समाज के भगवान के मंदिर में गए. वहीं दौसा में मीणा समाज को साधने की कोशिश है. पीएम मोदी और अमित शाह खुद अपने स्तर पर चीजों को टारगेट कर रहे हैं.

सतीश पूनिया को मिलेगी जिम्मेदारी?

अब सवाल है कि जब पूनिया हाई कमान के गुड बुक में थे तो उन्हें फिर क्यों हटाया गया. सूत्रों की मानें तो सीपी जोशी को पूनिया के कहने पर ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. जोशी और पूनिया के अच्छे संबंध बताये जाते हैं. पार्टी सतीश पूनिया को प्रमोट करके नेता प्रतिपक्ष बना सकती है जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रचार समिति का चेयरमैन बनाया जा सकता है.

बीजेपी ने वसुंधरा गुट को दिया संदेश

बीजेपी ने सीपी जोशी को कमान सौंप कर न सिर्फ गुटबाजी पर लगाम लगाने की कोशिश की बल्कि वसुंधरा राजे गुट को संदेश देने की भी कोशिश की कि जो पार्टी की बात नहीं मानेंगे, उसे किनारे लगाया जा सकता है. क्योंकि ये देखा गया है कि पूनिया के कार्यकाल के दौरान वसुंधरा गुट का उन्हें समर्थन नहीं मिला.

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