मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दिल्ली में BJP का फोकस CAA पर, लेकिन दूसरा मुद्दा पहुंचा रहा फायदा

दिल्ली में BJP का फोकस CAA पर, लेकिन दूसरा मुद्दा पहुंचा रहा फायदा

22 दिसंबर को रामलीला मैदान में हुई पीएम मोदी की रैली के बाद BJP को फायदा होता दिखा

आदित्य मेनन
पॉलिटिक्स
Updated:
22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवैध कॉलोनियों का मुद्दा उठाया
i
22 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवैध कॉलोनियों का मुद्दा उठाया
(फोटोः क्विंट हिंदी/कामरान अख्तर)

advertisement

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कौन सा मुद्दा हावी हो सकता है या कौन सा मुद्दा जनता को किसी पार्टी की तरफ खींच सकता है, इसका अंदाजा लगाना आसान नहीं है. कुछ ऐसा ही बीजेपी के केस में भी हो रहा है.

मई 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद से आर्टिकल 370 और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) जैसे मुद्दों को बीजेपी ने अपना बड़ा हथियार माना है. आर्टिकल 370 के आधार पर पार्टी ने महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में चुनाव लड़े, तो दिल्ली चुनाव में पार्टी CAA को अपने अभियान का सबसे बड़ा हिस्सा मान रही है.

लेकिन आंकड़ों की मानें तो दिल्ली के वोटर इससे कुछ ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं और एक अलग मुद्दा है जिसने जनता का ध्यान बीजेपी की ओर खींचा है.

सी-वोटर के रियल टाइम इलेक्शन ट्रैकर के मुताबिक 22 दिसंबर को रामलीला मैदान में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद पार्टी के संभावित वोट शेयर में उछाल आया.

इलेक्शन ट्रैकर के मुताबिक 21 दिसंबर को पार्टी का जो वोट शेयर 25 फीसदी था, वो 23 दिसंबर को 3 फीसदी बढ़कर 28 प्रतिशत पर पहुंच गया.

इस रैली में पीएम ने CAA समेत कई मुद्दों पर बोला, लेकिन ये रैली मुख्य रूप से दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों के रेगुलराइजेशन पर केंद्र सरकार के फैसले का शुक्रिया अदा करने के लिए की गई थी.

ऐसा माना जा रहा है कि इस मुद्दे ने ही पार्टी को जरूरी सपोर्ट दिया, क्योंकि ये दिल्ली के गरीब वोटरों के बीच लोकप्रिय होता दिखा.

अनाधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे से फायदा

रैली के एक हफ्ते बाद के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बीजेपी को और भी मजबूती मिली. 30 दिसंबर को बीजेपी और आम आदमी पार्टी के संभावित वोट शेयर में सिर्फ 20 परसेंटेज प्वाइंट का अंतर रह गया.

इलेक्शन ट्रैकर में लोगों से एक सवाल पूछा गया- “कौन सी पार्टी आपकी समस्याओं को सुलझा सकती है?” यहां भी बीजेपी को इस रैली के बाद से फायदा होता दिखा और 30 दिसंबर तक आम आदमी पार्टी की बीजेपी पर बढ़त घटकर 2 परसेंटेज प्वाइंट ही रह गई.

इससे इतना तो साफ होता दिख रहा है कि बीजेपी को अनाधिकृत कॉलोनियों के रेगुलराइजेशन का मुद्दा उठाने से फायदा होता दिख रहा था, लेकिन इसके बजाए पार्टी का फोकस CAA पर ही ज्यादा रहा है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

CAA से नहीं मिल रही मदद

अब CAA पर भी नजर डालते हैं. लोकसभा में 8 दिसंबर को इस बिल के पेश होने के वक्त पार्टी की लोकप्रियता 23 फीसदी थी, जो बिल पास होने के एक दिन बाद 10 दिसंबर को घटकर 22 फीसदी हो गई.

पार्टी के वोट शेयर में बढ़त सिर्फ 22 दिसंबर को हुई पीएम मोदी की रैली के बाद होती दिखी.

लेकिन 30 दिसंबर के बाद पार्टी इस उछाल को भुना पाने में नाकाम होती दिखी, क्योंकि इसके बाद से ही AAP ने वापस अपनी बढ़त हासिल करनी शुरू कर दी. 6 जनवरी के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी पर AAP की बढ़त 20 परसेंटेज प्वाइंट से बढ़कर 28 हो गई.

इससे इतना साफ समझ आ रहा है कि आम आदमी पार्टी की सस्ती बिजली, मुफ्त पानी और मोहल्ला क्लीनिक जैसी आम जनता को फायदा पहुंचाने वाली नीतियों को चुनौती देने के लिए बीजेपी को अनाधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे के इर्द-गिर्द ही अपना चुनाव अभियान बनाना चाहिए, जो CAA जैसे मुद्दों के मुकाबले ज्यादा फायदा पहुंचा सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 18 Jan 2020,05:17 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT