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उत्तर प्रदेश का चुनाव छठवें चरण में पहुंच चुका है. पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सदर सीट पर भी मतदान है, लेकिन उनके लिए चुनौती इससे बड़ी है. 5 साल सीएम रहने के बाद उनके कंधों पर प्रदेश सहित गोरखपुर की सभी सीटों पर जीत दिलाने की भी है. ऐसे में समझते हैं कि गोरखपुर में कितनी सीटें हैं और अबकी बार क्या समीकरण बन रहे हैं.
गोरखपुर में लोकसभा की 2 गोरखपुर और बांसगांव सीट है, जबकि विधानसभा की कुल 9 सीट है, जिसमें कैम्पियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर सदर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, खजनी, चौरी चौरा, बांसगांव और चिल्लूपार है.
आबादी की बात करें तो गोरखपुर में 52% शहरी और 48% ग्रामीण आबादी है. 90% हिंदू आबादी के अलावा 9% मुस्लिम हैं. छठवें चरण में जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें से गोरखपुर दूसरे नंबर पर है जहां अनुसूचित जाति का वोट ज्यादा है. यहां 22% एससी आबादी है.
साल 2017 में गोरखपुर शहर ऐसी सीट थी जहां से बीजेपी उम्मीदवार राधा मोहन जायसवाल को सबसे ज्यादा 27% वोटों के मार्जिन से जीत मिली थी. अबकी बार इसी सीट से योगी आदित्यनाथ चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के लिए ये सबसे सेफ सीट मानी जाती है. चौरीचौरा की सीट पर भी 23% वोटों के मार्जिन से संगीता यादव ने जीत दर्ज की थी.
गोरखपुर में अनुसूचित जाति का वोटर निर्णायक भूमिका में रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि साल 2012 में जब अखिलेश यादव की सरकार बनी थी, तब बीएसपी यहां से 9 में से 4 सीट जीत गई थी. चौरीचौरा सीट पर सबसे ज्यादा 12% वोट के अंतर से जीती थी. इसके अलावा चिल्लूपार, बांसगांव और सहजनवा सीट है.
एक लाइन में जवाब है नहीं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से उम्मीदवार हैं. उनके सामने एसपी ने उपेंद्र शुक्ला की पत्नी शुभावती शुक्ला को टिकट दिया है. उपेंद्र शुक्ला बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. साल 2018 में गोरखपुर लोकसभा का उपचुनाव भी लड़े थे. हालांकि 2019 में उनका टिकट काटकर रवि किशन को मैदान में उतारा गया. मैदान में चंद्रशेखर आजाद रावण भी हैं.
योगी आदित्यनाथ के सामने शुभावती शुक्ला की पत्नी मैदान में हैं. उनके पति बीजेपी के बड़े नेता रहे हैं. रैलियों में शुभावती शुक्ला आरोप लगा रही हैं कि पति के निधन के बाद बीजेपी के किसी नेता ने उनके परिवार का हाल चाल नहीं लिया. ऐसे में लोगों में उन्हें लेकर एक सहानुभूति जरूर है, लेकिन गोरखपुर सदर सीट पर जब योगी किसी लड़ाते थे तब 28% मार्जिन से जीते थे, अब वे खुद मैदान में हैं ऐसे में उनके हार की उम्मीद कम ही है, लेकिन चुनौती बाकी की 8 सीटों पर है जहां बीएसपी और एसपी चुनौती खड़ी कर सकते हैं.
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