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सरकार किसी की हो-हरिशंकर तिवारी होते थे मंत्री, अब योगी आदित्यनाथ के लिए चुनौती?

हरिशंकर तिवारी पहली बार जेल से चुनाव लड़े और जीत गए थे.

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Harishankar Tiwari 

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उत्तर प्रदेश चुनाव के छठवें चरण (UP Sixth Phase Polling) में गोरखपुर में मतदान है. ये सीट सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के अलावा एक और वजह से सुर्खियों में है. बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी (Hari Shankar Tiwari), जो अब बहुत ज्यादा राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, लेकिन उनके बेटों भीष्म शंकर तिवारी और विनय तिवारी ने मोर्चा संभाला है. कहा जाता है कि गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के विरोधियों में हरिशंकर तिवारी का नाम सबसे ऊपर आता है.

जेल से चुनाव लड़ जीत गए थे हरिशंकर तिवारी

हरिशंकर तिवारी अपनी ब्राह्मण राजनीति के लिए जाने जाते हैं. साल 1985 में पहली बार गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए. फिर 1989, 1993 और 1996 में इसी सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने. साल 2017 में उनके बेटे विनय शंकर तिवारी बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े और चिल्लूपार सीट से विधायक बने. अबकी बार विनय शंकर तिवारी एसपी में हैं. चिल्लूपार सीट से ही चुनाव लड़ रहे हैं.

हरिशंकर तिवारी के बारे में कहा जाता है कि वे पहले ऐसे नेता होंगे, जिन्होंने जेल से चुनाव लड़कर (1985) जीत हासिल की. उन्होंने 1997 में जगदंबिका पाल, राजीव शुक्ला, श्याम सुंदर शर्मा और बच्चा पाठक के साथ मिलकर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस की स्थापना की. इस पार्टी का गठन तब हुआ जब ये नेता एन डी तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस से अलग हो गए.

हरिशंकर तिवारी कई सरकारों में रहे मंत्री

हरिशंकर तिवारी कई सरकारों में मंत्री रहे. वे कल्याण सिंह की सरकार (1997-1999) में कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे. 2002 में मायावती की सरकार में मंत्री रहे. मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी मंत्री का पद मिला. उनके बारे में कह सकते हैं कि प्रदेश में सरकारें बदलती रहीं, लेकिन वे हर पार्टी की सरकार में मंत्री बने रहे.

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हरिशंकर तिवारी जब पहली बार चुनाव जीते थे तब प्रदेश के सीएम वीर बहादुर सिंह थे. वे गोरखपुर के ही रहने वाले थे. राजनीति में आने को लेकर हरिशंकर तिवारी कहते हैं कि तत्कालीन राज्य सरकार ने उनका उत्पीड़न किया. झूठे मामलों में जेल भेज दिया, जिससे परेशान होकर उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया.

जब योगी सीएम बने तो हरिशंकर के घर पड़ा था छापा

मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने सीएम पद की शपथ ली थी, तो उसके कुछ दिन बाद ही गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के घर (हाता) छापेमारी की गई थी, जिसका गोरखपुर की सड़कों पर विरोध भी किया गया था. तब हरिशंकर तिवारी के समर्थकों ने इसे बदले की कार्रवाई कहा था. दरअसल, एक वक्त था जब हरिशंकर तिवारी की पहचान ब्राह्मणों के बाहुबली नेता के तौर पर थी. गोरखपुर शहर के बीचोबीच 'तिवारी का हाता' से ही प्रदेश की सियासत तय होती थी.

गोरखपुर और आसपास के जिलों में ब्राह्मण राजनीति का केंद्र 'तिवारी का हाता' रहा है. वर्चस्व की लड़ाई वीरेंद्र प्रताप शाही से रही. सीधे तौर पर तो नहीं, लेकिन लगभग हर चुनाव में दोनों के बीच जबरदस्त ध्रुवीकरण देखने को मिलता था. हालांकि वक्त के साथ लड़ाई की धार कम होती गई. फिर योगी आदित्यनाथ सीएम बन गए. लेकिन अबकी बार के चुनाव में हरिशंकर तिवारी के बेटे और योगी आदित्यनाथ आमने सामने हैं. ऐसे में कई सीटों पर ब्राह्मण वर्सेज ठाकुर की लड़ाई देखने को मिल सकती है.

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