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बैठक में पहले 21 विधायकों का लेट आना, वक्त दोपहर तीन बजे का था, लेकिन शाम करीब साढ़े सात बजे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) का पहुंचना. शपथ के बाद कैबिनेट के लिए विधायकों के नाम पर असमंजस और फिर सीएम सुक्खू का कोरोना पॉजिटिव होना.
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार बनने के करीब दो हफ्ते बाद भी कैबिनेट का गठन नहीं हो पाया है. लिहाजा, अगर 24 दिसंबर तक कैबिनेट मंत्रियों की शपथ हुई तो ठीक, नहीं तो नए साल का इंतजार करना पड़ सकता है.
विधानसभा चुनाव के परिणाम आठ दिसंबर को आए थे और 11 दिसंबर को सुक्खू ने प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. लेकिन 12 दिन बाद भी मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है. अब तक की स्थिति को देखते हुए माना ये जा रहा है कि कांग्रेस की गुटबाजी सुक्खू के मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का सबब बनी है.
दरअसल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कोरोना पॉजिटिव हैं और दिल्ली में आइसोलेट हैं. सुक्खू का कोरोना टेस्ट होना है. ऐसे में अगर सुक्खू की रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो वो शुक्रवार तक शिमला लौट सकते हैं और फिर 24 दिसंबर तक कैबिनेट गठन तय माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि मंत्रियों को राजभवन में शपथ दिलाई जाएगी. वहीं 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर हिमाचल से बाहर छुट्टी पर रहेंगे. ऐसे में ये तय है कि अगर 24 दिसंबर तक मंत्रिमंडल की शपथ नहीं हुई तो नए साल यानी 2023 का इंतजार करना होगा.
सुक्खू के CM तय होने के बाद हॉली लॉज समर्थकों को आस थी कि कम से कम उपमुख्यमंत्री पद हॉली लॉज को मिल जाएगा. लेकिन मुकेश अग्निहोत्री के उपमुख्यमंत्री चुने जाने के बाद अब मंत्री पद की आस है.
लिहाजा प्रतिभा खेमे के विधायकों की संख्या 16 होने के चलते अब कांग्रेस हाईकमान का इस तरफ खासा ध्यान है ताकी प्रदेश में पार्टी एकजुट रहे.
हाल ही में सुखविंदर सिंह सुक्खू कैबिनेट गठन के लिए विधायकों की लिस्ट के साथ दिल्ली जाने ही वाले थे. जैसे ही प्रतिभा सिंह को इसकी जानकारी लगी वो विक्रमादित्य सिंह के साथ केंद्रीय नेतृत्व से मिलने पहुंच गईं. सियासी गलियारों में चर्चा ये चल रही है कि प्रतिभा सिंह का यह दिल्ली दौरा विक्रमादित्य सिंह के मंत्री पद के लिए था. ऐसे में नजर यही आता है कि हिमाचल में कांग्रेस दो धड़ों बंटी है. इसी वजह से पार्टी हाईकमान सीएम सुक्खू और प्रतिभा सिंह के नेतृत्व वाले गुटों से मंत्रिमंडल के लिए चेहरों को चुनने में नाकाम है.
सूत्रों के मुताबिक सुक्खू ने कैबिनेट मंत्रियों के नाम तय कर अपनी एक लिस्ट पार्टी हाईकमान को सौंपी थी. लेकिन दूसरे गुट ने भी अपने विधायकों के लिए कैबिनेट में पद की मांग की है. ये नाम पहले ही तय हो जाते लेकिन इस बीच नुख्यमंत्री कोरोना पॉजिटिव हो गए. ऐसे में कैबिनेट रैंक के दावेदार जोरदार पैरवी कर रहे हैं.
सुक्खू CM बन चुके हैं और सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं. लेकिन जिस तरह के समीकरण हैं उससे सुक्खू के लिए सरकार चलाने की राह आसान नहीं नजर आ रही है. इसके पीछे के कई कारण नजर आते हैं जिनमें से एक गुटबाजी को नियंत्रित करना है, जो सुक्खू के CM बनने के वक्त से ही दिख रही है.
हॉली लॉज से मुख्यमंत्री मिलने का रिवाज तोड़ने के बाद की स्थिति भी सुक्खू के लिए बड़ी चुनौती है. क्योंकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और सांसद प्रतिभा सिंह के करीबी 16 विधायक जीत कर आए हैं. लिहाजा उन्हें खुश रखना सुक्खू की अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी. इसके साथ ही सुक्खू की सबसे पड़ी परीक्षा है जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना. कांग्रेस ने चुनाव से पहले कई बड़े वादे किए थे. OPS एक बड़ा मुद्दा है. इसके साथ ही महिलाओं को 1500 रुपए महीना देने का भी ऐलान किया गया था. अगर सुक्खू इन वादों को पूरा करते हैं तभी सरकार चलाने में पास हो पाएंगे.
मंत्रिमंडल गठन में लेटलतीफी से सबसे ज्यादा धक्का प्रदेश के विकास कार्यों को लग रहा है. दरअसल पहले प्रदेश में दो महीने तक आचार संहिता लगी रही और अब कैबिनेट गठन में देरी हो रही है. ऐसे में प्रदेश के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं. ना तो विकास कार्यों के लिए बजट का प्रावधान हो रहा है और ना ही कोई योजना शुरू हो पा रही है.
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद CM सुक्खू आईसोलेट हैं. लेकिन लगातार एक्शन मोड में हैं. इसका अंदाजा पिछली सरकार के फैसलों को पलटने से लगाया जा सकता है. इसी के साथ सुक्खू ने बीते रोज जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में ये भी कहा है कि उन्हें जनता से किए अपने वादे याद हैं. OPS को लेकर उन्होंने कहा कि वे पहली कैबिनेट में ही पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करेंगे. लेकिन सवाल ये है कि पहली कैबिनेट बैठक आखिर कब होगी?
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Published: 23 Dec 2022,09:43 AM IST