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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के इस्तीफे और गिरफ्तारी के बाद राज्य में नई सरकार बनाने की कवायद जारी है. JMM विधायक दल के नेता चंपई सोरेन (Champai Soren) राज्यपाल सीपी. राधाकृष्णन के न्योते पर राजभवन पहुंचे और सरकार बनाने का दावा दिया. उन्होंने 43 विधायकों के समर्थन का दावा किया. बाहर आकर चंपई सोरेन में मीडिया को बताया कि राज्यपाल की तरफ से उन्हें अभी भी सरकार बनाने का न्योता नहीं मिला है. बल्कि सरकार गठन की प्रक्रिया जल्दी शुरू करने का आश्वासन मिला है.
झारखंड में रिजॉर्ट पॉलिटिक्स भी शुरू हो गयी है. राज्यपाल से मिलने के बाद चंपई सोरेन अपने खेमे के विधायकों को हैदराबाद भेजने में जुटे हैं.
चंपई सोरेन के नेतृत्व में पांच सदस्य विधायकों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने पहुंचा था. बाहर आकर चंपई ने मीडिया से कहा
इससे पहले JMM ने रांची सर्किट हॉउस ने एक वीडियो भी शेयर किया था जिसमें सत्ता गठबंधन के 43 विधायक चंपई सोरेन के समर्थन में काउंटिंग करते नजर आये.
चंपई ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर सरकार बनाने में हो रही देरी पर चिंता जाहिर की थी. जिसके बाद राज्यपाल ने चंपई सोरेन को शाम 5:30 बजे राजभवन में मिलने का समय दिया.
चंपई सोरेन ने 31 जनवरी की रात को भी राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को गठबंधन के 43 विधायकों के हस्ताक्षर वाले पत्र के साथ सरकार बनाने की दावेदारी पेश की थी लेकिन उन्हें राजभवन जाने के भीतर जाने की इजाजत नहीं दी गई.
JMM विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने करीब 16 घंटे तक राजभवन से बुलावा मिलने का इंतजार करने के बाद 1 फरवरी दोपहर करीब दो बजे राज्यपाल को पत्र लिखा.
उन्होंने लिखा, "हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद ही मेरे नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश किया गया है. हमने 47 विधायकों के समर्थन के दावे और 43 विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र आपको सौंपा है. 43 विधायक 31 जनवरी को राजभवन के गेट के बाहर भी खड़े थे."
चंपई सोरेन ने कहा,
चंपई सोरेन ने यह भी कहा है कि राज्यपाल अगर संतुष्ट होना चाहें तो सभी 43 विधायक राजभवन पहुंच सकते हैं. शाम 5.30 तक अगर उनका दावा स्वीकार किया गया तो आज ही उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है.
चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक दल के नेता हैं और हेमंत सोरेन की सरकार में ट्रांसपोर्ट मंत्री थे.
चंपई सोरेन आदिवासी समुदाय से आते हैं.
चंपई सोरेन, शिबू सोरेन के साथ बिहार से अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में भी शामिल थे.
चंपई सोरेन को 'कोल्हान टाइगर' के नाम से भी जाना जाता है.
चंपई सोरेन बीजेपी सरकार में करीब 2.5 साल तक मंत्री भी रह चुके हैं.
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