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सिद्धारमैया को वित्त,DK को सिंचाई,कर्नाटक में कांग्रेस ने कैसे बैठाया सामंजस्य?

Karnataka Minister Portfolio: कैबिनेट मंत्री जी परमेश्वर को गृह विभाग (खुफिया छोड़कर) का जिम्मा दिया गया है.

पल्लव मिश्रा
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>सिद्धा के पास वित्त,डीके को सिंचाई,कर्नाटक में कांग्रेस ने कैसे बैठाया सामंजस्य?</p></div>
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सिद्धा के पास वित्त,डीके को सिंचाई,कर्नाटक में कांग्रेस ने कैसे बैठाया सामंजस्य?

(फोटो: सिद्धारमैया/ट्विटर)

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कर्नाटक (Karnataka) में मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम सहित सभी मंत्रियों के विभाग का बंटवारा हो गया. रविवार (28 मई) को राज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी विभागों की सूची के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पास वित्त, कैबिनेट मामलों और खुफिया सहित प्रमुख मंत्रालय रखे हैं, जबकि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार प्रमुख और मध्यम सिंचाई और बेंगलुरु शहर के विकास की देखरेख करेंगे.

विभागों का हुआ बंटवारा

पूर्व डिप्टी सीएम और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री जी परमेश्वर को गृह विभाग (खुफिया छोड़कर), एचके पाटिल को कानून और संसदीय मामले, विधान, पर्यटन और दिनेश गुंडू राव को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कृष्णा बायरेगौड़ा को राजस्व (मुजरई को छोड़कर) विभाग मिला है. इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे को ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग दिया गया है.

कैसे बैठाया गया सामंजस्य?

दरअसल, कर्नाटक में जीत के बाद से राज्य कांग्रेस के नेताओं में लंबे समय तक खींचतान जारी थी. पहले सीएम पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच विवाद सामने आया और फिर डिप्टी सीएम पद को लेकर विवाद गहरा गया.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, कांग्रेस नेतृत्व पहले विवाद को हल करने के लिए तीन-तीन डिप्टी सीएम पद बनाने पर राजी हो गया था, लेकिन इस पर डीके शिवकुमार ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद ये प्लान फेल हो गया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम रहे जी परमेश्वर ने भी सीएम पद की इच्छा जताई थी. ऐसे में पार्टी ने सामंजस्य बैठाने के लिए उन्हें गृह विभाग दिया है. कांग्रेस से जुड़े सूत्रों की मानें, कई नेता ऐसा हैं, जिन्होंने नेतृत्व के सामने अपनी मांग रखी थी, जिसके बाद उन्हें अहम विभाग देकर मनाने की कोशिश की गई है.

2024 पर नजर, जातीय समीकरण फिट करने की कोशिश

कांग्रेस से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "2023 में कर्नाटक में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद से कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में भी राज्य की अधिक सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है. ऐसे में पार्टी ने सभी जातियों को रिझाने की कोशिश की है. पहले आबादी के हिसाब से कैबिनेट में जगह दी और अब विभागों के बंटवारे में भी अहम जिम्मा दिया गया है."

कुल 34 मंत्री (सीएम और डिप्टी सीएम सहित) में से आठ लिंगायत समुदाय से आते हैं, जिसमें एकमात्र महिला मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर शामिल हैं. वहीं, SC से सात, वोक्कालिगा से पांच, मुस्लिम से दो, ST से तीन, ओबीसी से छह, एक मराठा, एक ब्राह्मण, एक ईसाई और एक जैन समुदाय के नेता को मंत्री बनाया गया है.

डीके पर भारी पड़े सिद्धारमैया!

कैबिनेट विस्तार में एक बार फिर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपने डिप्टी डीके पर भारी पड़ते दिखे. सिद्धारमैया के करीबी दिनेश गुंडु राव, कृष्णा बायरे गौड़ा, ईश्वर खंड्रे, रहीम खान, संतोष लाड, के एन राजन्ना, के. वेंकटेश, एचसी महादेवप्पा, बैराथी सुरेश, शिवराज तंगड़ी, आर बी तिम्मपुर और बी नागेंद्र को मंत्री बनाया गया.

वहीं, डीके शिवकुमार के करीबी लक्ष्मी हेब्बलकर, मधु बंगारप्पा, डी सुधाकर, चेलुवारया स्वामी, मंकुल वैद्य और एम सी सुधाकर को भी कैबिनेट में जगह दी गई है.

इस पर क्विंट हिंदी से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार ललित राय ने कहा, "कांग्रेस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, दोनों गुटों के नेताओं को कैबिनेट में जगह तो दी, लेकिन सिद्धारमैया एक बार फिर बाजी मारते दिखे. उनके गुट के अधिक नेताओं को मंत्री बनाया गया है. इससे साफ संदेश है कि अभी भी उनकी (सिद्धा) पकड़ दिल्ली में मजबूत है."

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जातीय के साथ क्षेत्रों पर भी जोर

कांग्रेस ने जातीय समीकरण साधने के साथ क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व पर भी ध्यान दिया. जानकारी के अनुसार, सबसे अधिक मंत्री पुराना मैसूर और कल्याण कर्नाटक क्षेत्र से बनाये गये हैं. यहां से 7-7 विधायकों को कैबिनेट में जगह दी गई है. जबकि कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र से 6 और मध्य कर्नाटक से दो विधायकों को मंत्री बनाया गया है.

क्या है जातीय समीकरण?

कर्नाटक में लिंगायतों की 14 फीसदी आबादी है. इसका 75-80 सीट पर सीधा प्रभाव है. दूसरे नंबर पर वोक्कालिंगा समुदाय है, जिसकी आबादी 11 फीसदी है और इसका 54 सीटों पर प्रभाव माना जाता है. वहीं, कुरूबा की संख्या 7 फीसदी के करीब है.

इसके अलावा, SC-7%, ST-7%, मुस्लिम आबादी 13 फीसदी, ओबीसी 12 फीसदी है और 13 सीटों पर प्रभाव है. इसके अलावा अगड़ी जाती की संख्या 3 फीसदी है और ये 9 सीटों पर प्रभाव रखते हैं.

कर्नाटक में अभी भी 'कलह'!

कर्नाटक कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छपने की शर्त पर क्विंट हिंदी से कहा, "मंत्री पद के बाद विभागों को लेकर भी दिल्ली में खूब मंथन हुआ. नेतृत्व ने अभी किसी तरह से मामला शांत कराने की कोशिश की है. लेकिन अभी भी कई विधायक नाराज हैं, जिन्हें आने वाले समय में मनाना चुनौती है."

राजनीतिक जानकारों की मानें तो, 2024 चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस रूठों को मनाने के लिए उन्हें संगठन और कई आयोग और निगम में जगह दे सकती है. "

हालांकि, कांग्रेस के एक विधायक के समर्थक ने कहा, "चुनाव से पहले पार्टी की तरफ से कई वादे और दावे किये गये थे. चुनाव हमने जमकर मेहनत की, जिसका नतीजा सामने है. लेकिन अब वो सारे वादे भुला दिये जा रहे हैं. अगर आने वाले समय में पार्टी ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो स्थिति बिगड़ सकती है. क्योंकि जनता के साथ कार्यकर्ताओं को भी कांग्रेस से काफी उम्मीदें है."

कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "पार्टी का सभी पर पूरा ध्यान है. किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. हां, ये जरूर सच है कि कुछ विधायकों के समर्थकों ने नाराजगी जाहिर की है. लेकिन वो चिंता की बात नहीं है. आने वाले समय में सबकुछ मिल बैठ कर सुलझा लिया जाएगा.

कर्नाटक का कैसा रहा जनादेश?

कर्नाटक की 224 सीटों पर 10 मई को चुनाव हुआ था. इसमें कांग्रेस 135 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बना है. बीजेपी को 66 और जेडीएस को 19 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी ने सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच विवाद को सुलझाते हुए एक को मुख्यमंत्री और दूसरे को डिप्टी सीएम के साथ 2024 चुनाव तक कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिया है.

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