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कर्नाटक कैबिनेट विस्तार में दिखी 2024 की तैयारी, CM सिद्धरमैया ने फिर मारी बाजी?

Karnataka में कांग्रेस के कुछ विधायकों को मंत्री न बनाए जाने पर उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया.

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कर्नाटक (Karnataka) में सिद्धारमैया सरकार के गठन के एक हफ्ते बाद पहला मंत्रिमंडल विस्तार शनिवार, 27 मई को हो गया है. कुल 24 विधायकों को राजभवन में राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मंत्री पद की शपथ दिलाई. इसके साथ ही, अब मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम समेत कुल 34 मंत्री सरकार का हिस्सा बन गये हैं.

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कर्नाटक में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद, 20 मई को सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी. इनके साथ आठ अन्य विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी.

किसे बनाया गया मंत्री?

शपथ लेने वालों में विधायक एच के पाटिल (नामधारी रेड्डी समुदाय), कृष्णा बायरेगौड़ा (वोक्कालिगा), एन चेलुवरायस्वामी (वोक्कालिगा), के वेंकटेश (वोक्कालिगा), एचसी महादेवप्पा (SC), कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खंड्रे (लिंगायत) और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव (ब्राह्मण), क्याथासंद्रा एन राजन्ना (ST), शरणबसप्पा दर्शनापुर (लिंगायत), शिवानंद पाटिल (लिंगायत), रामप्पा बलप्पा तिम्मापुर (SC), एस एस मल्लिकार्जुन (लिंगायत), शिवराज तंगड़ी (SC), शरणप्रकाश रुद्रप्पा पाटिल (लिंगायत), मंकल वैद्य (OBC), लक्ष्मी हेब्बलकर (लिंगायत), रहीम खान (मुस्लिम), डी सुधाकर (OBC/जैन), संतोष लाड (OBC), एनएस बोसेराजू (OBC), सुरेश बी एस (OBC), मधु बंगारप्पा (OBC एडिगा), एम सी सुधाकर (वोक्कालिगा) और बी नागेंद्र (SC/ST) का नाम शामिल है.

क्यों बनाये गये मंत्री?

PTI ने कांग्रेस सूत्रों के हवाले से बताया कि दिनेश गुंडु राव, कृष्णा बायरे गौड़ा, ईश्वर खंड्रे, रहीम खान, संतोष लाड, के एन राजन्ना, के. वेंकटेश, एचसी महादेवप्पा, बैराथी सुरेश, शिवराज तंगड़ी, आर बी तिम्मपुर और बी नागेंद्र, सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं.

वहीं, लक्ष्मी हेब्बलकर, मधु बंगारप्पा, डी सुधाकर, चेलुवारया स्वामी, मंकुल वैद्य और एम सी सुधाकर, डीके शिवकुमार के करीबी माने जाते हैं.

हालांकि, कुछ विधायकों को मंत्री न बनाए जाने पर उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. कांग्रेस नेता रुद्रप्पा लमानी और एम कृष्णप्पा के समर्थकों ने मंत्री न बनाए जाने पर नाराजगी जाहिर की और प्रदर्शन किया.

जातीय समीकरण पर फोकस

कर्नाटक कैबिनेट को देखें तो, मंत्री बनाने में जातीय समीकरण पर पूरा जोर दिया गया है. अब तक कुल बनाये गये 34 मंत्री में से आठ लिंगायत, जिसमें एकमात्र महिला मंत्री लक्ष्मी हेब्बलकर शामिल हैं, SC से सात, वोक्कालिगा से पांच, मुस्लिम से दो, ST से तीन, ओबीसी से छह, एक मराठा, एक ब्राह्मण, एक ईसाई और एक जैन समुदाय से आते हैं.

वरिष्ठ पत्रकार ललित राय ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "कर्नाटक कैबिनेट में कांग्रेस ने 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है."

कांग्रेस ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार, दोनों गुटों के नेताओं को कैबिनेट में जगह तो दी, लेकिन सिद्धारमैया एक बार फिर बाजी मारते दिखे. उनके गुट के अधिक नेताओं को मंत्री बनाया गया है. इससे साफ संदेश है कि अभी भी उनकी पकड़ दिल्ली में मजबूत है.
ललित राय, वरिष्ठ पत्रकार

ललित राय ने कहा कि जिन विधायकों को मंत्रियों नहीं बनाया गया, उनके समर्थकों का विरोध प्रदर्शन साफ संदेश दे रहा है कि कर्नाटक का विवाद अभी पूरी तरह से सुलझा नहीं है.

कर्नाटक सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने के बाद रहीम खान ने कहा, "हमारी एक-दो (मुस्लिम समुदाय से मंत्री बनाने) और की मांग है. एक-दो मंत्रियों को और बनाना चाहिए. अभी पार्टी ने उपमुख्यमंत्री एक ही बने रहने की बात कही है."

क्या है जातीय समीकरण?

कर्नाटक में लिंगायतों की 14 फीसदी आबादी है. ये समुदाय राज्य की 75-80 सीट पर सीधा प्रभाव रखता है. दूसरे नंबर पर वोक्कालिंगा समुदाय है, जिसकी आबादी 11 फीसदी है और इसका 54 सीटों पर प्रभाव माना जाता है. वहीं, कुरूबा की संख्या 7 फीसदी के करीब है.

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इसके अलावा, SC-7%, ST-7%, मुस्लिम आबादी 13 फीसदी, ओबीसी 12 फीसदी है और 13 सीटों पर प्रभाव है. इसके अलावा अगड़ी जाती की संख्या 3 फीसदी है और ये 9 सीटों पर प्रभाव रखते हैं.

कांग्रेस की 2024 पर निगाह

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 में से बीजेपी ने 25 सीट जीती थी और कांग्रेस के खाते में केवल एक सीट आई थी, जेडीएस को एक और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी.

कांग्रेस से जुड़े एक नेता ने नाम न छपने की शर्त पर कहा, "दक्षिण बीजेपी मुक्त करने के बाद अब हमारी निगाह लोकसभा चुनाव पर है. पार्टी ने जिस तरह विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन किया, उसमें हमारी उम्मीद जगी है, इसलिए पार्टी सभी स्थितियों को देखते हुए फैसले कर रही है.

कुछ विधायकों को मंत्री न बनाये जाने को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा, "अभी समय है. सबको मना लिया जाएगा. कुछ को संगठन में तो कुछ को विभिन्न आयोगों में जगह दी जाएगी."

कांग्रेस को 10 साल बाद मिला पूर्ण बहुमत

कर्नाटक में 2013 के बाद कांग्रेस को दस साल बाद पूर्ण बहुमत मिला है. राज्य की 224 सीटों पर 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस को 135, बीजेपी को 66 और जेडीएस को 19 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी ने सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच विवाद को सुलझाते हुए एक सीएम और दूसरे को डिप्टी सीएम के साथ 2024 चुनाव तक केपीसीसी चीफ का पद दिया है.

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