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कर्नाटक बीजेपी ने बड़ा बदलाव कर बीएस येदियुरप्पा की जगह अब बसवराज बोम्मई को अगला मुख्यमंत्री नियुक्त किया है. बीजेपी विधायक दल की बैठक में बोम्मई के नाम का ऐलान किया गया. नए सीएम को लेकर अंतिम फैसला लेने के लिए दिल्ली से केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और धर्मेंद्र प्रधान को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा गया था.
हालांकि बताया जा रहा है कि आलाकमान की तरफ से जनता दल से बीजेपी में आए बोम्मई का नाम सीएम पद के लिए फाइनल कर लिया गया था, जिसका ऐलान धर्मेंद्र प्रधान ने कर्नाटक में जाकर किया. जानिए आखिर कौन हैं कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और उनका राजनीतिक करियर कैसा रहा है.
अब बसवराज बोम्मई के राजनीतिक करियर से पहले ये जान लीजिए कि बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं. यानी बीजेपी पर बनाया गया लिंगायत संतों का दबाव पूरी तरह से कारगर रहा और येदियुरप्पा के बाद एक लिंगायत नेता को ही सीएम पद सौंपा गया.
बसवराज बोम्मई का जन्म 28 जनवरी 1960 को कर्नाटक के एक छोटे से इलाके में हुआ था. स्कूली पढ़ाई के बाद बोम्मई ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने कुछ साल तक मेकेनिकल इंजीनियर के तौर पर नौकरी भी की थी. लेकिन इसके बाद मुख्यमंत्री पद पर रह चुके अपने पिता की तरह उनकी दिलचस्पी राजनीति में बढ़ी और उन्होंने जनता दल के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की. वो 1998 और 2004 में विधानपरिषद के सदस्य चुने गए थे. लेकिन 2008 में बसवराज बोम्मई ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया. इसके बाद से लगातार बोम्मई का कद पार्टी में बढ़ता चला गया. इसी साल उन्होंने विधायक पद का चुनाव लड़ा और शिवगांव से विधायक चुने गए.
बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री पद सौंपना बड़ी बात इसलिए भी है क्योंकि न तो वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पृष्ठभूमि से आते हैं और न ही बीजेपी से ही उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. उन्होंने राजनीति की शुरुआत जनता दल परिवार से की थी. लेकिन बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के अलावा येदियुरप्पा से उनके रिश्ते काफी अच्छे रहे. इसीलिए येदियुरप्पा के कहने पर बीजेपी नेतृत्व की तरफ से बोम्मई के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी गई.
अगर ये कहा जाए कि येदियुरप्पा के साथ अच्छे रिश्तों के चलते ही बोम्मई सीएम पद तक पहुंचे हैं तो ये गलत नहीं होगा. क्योंकि अपने पिता की तरह बोम्मई को पूरे राज्य में लोग नहीं जानते थे. साथ ही उनकी अपने विधानसभा क्षेत्र और आसपास के इलाके के अलावा ज्यादा पकड़ भी नहीं थी.
बसवराज बोम्मई और राजनीति का रिश्ता पुराना रहा है. क्योंकि उनके पिता भी राजनीति में काफी सक्रिय थे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद पर भी रहे. बसवराज के पिता एसआर बोम्मई 1988 में कर्नाटक के सीएम बनाए गए थे. हालांकि उनकी जनता दल सरकार का कार्यकाल करीब एक साल का ही रहा. उन्हें अपना बहुमत साबित करने का मौका नहीं मिला और 1989 में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल के इस फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आज भी याद किया जाता है. जिसमें कोर्ट ने माना था कि बोम्मई सरकार को अनुचित तरीके से बर्खास्त किया गया था.
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Published: 27 Jul 2021,09:15 PM IST