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कथित लव जिहाद (Love Jihad) को रोकने और जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण विधेयक, 2021 या एंटी कंवर्जन बिल (Anti Conversion Bill) को कर्नाटक (Karnataka) विधानसभा से गुरुवार, 23 दिसंबर पारित कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के बाद कर्नाटक धर्मांतरण को लेकर विधेयक पारित करने वाला चौथा राज्य बन चुका है.
इन दावों का खंडन करते हुए कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि "2016 में तैयार किया गया बिल "वर्तमान राज्य सरकार ने 2021 में जो मसौदा तैयार किया है, उससे पूरी तरह से अलग है".
सिद्धारमैया ने आगे कहा कि विधेयक की धारा तीन में 'धर्मांतरण के लिए शादी' को अपराध घोषित किया गया है जो कांग्रेस द्वारा लाए गए विधेयक का हिस्सा नहीं है.
विधेयक पेश करते हुए गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि, ये किसी की भी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नहीं है. कुछ राज्यों ने पहले ही इस तरह के कानून को पारित कर दिया है. उन्होंने कहा, "हमारे एक विधायक हैं, जिन्होंने अपनी मां के धर्म परिवर्तन की शिकायत की थी. विधेयक जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए है."
पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि बीजेपी न तो ईसाइयों के खिलाफ है और न ही मुसलमानों के, उन्होंने कहा, "ये विधेयक केवल एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए है. व्यक्तिगत लाभ के लिए विधेयक का विरोध नहीं किया जाना चाहिए." येदियुरप्पा ने कहा कि जो लोग स्वेच्छा से अपना धर्म परिवर्तन करना चाहते हैं वे विधेयक से प्रभावित नहीं होंगे.
इस बीच कांग्रेस के सिद्धारमैया ने कहा कि विधेयक ईसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाएगा. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक प्रभावित दलित होंगे जो जातिगत भेदभाव से बचने के लिए दूसरे धर्मों में परिवर्तित हो जाते हैं. महात्मा गांधी का हवाला देते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि अगर लोगों पर धार्मिक हमले या भेदभाव नहीं किया जाए तो हिंदू धर्मांतरण करने से बचेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि यह विधेयक उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पारित किए गए बिल की तरह है.
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