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कर्नाटक का सियासी नाटक खत्म होने के बाद बागी विधायकों के भाग्य का फैसला हो रहा है. कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद विधानसभा स्पीकर ने गुरुवार को तीन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. जिसके बाद सियासी घमासान एक बार फिर शुरू हो गया है. स्पीकर के फैसले पर कई सवाल उठ रहे हैं. इसे कानून के खिलाफ भी बताया जा रहा है.
पूर्व एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) बीवी आचार्य ने स्पीकर के इस फैसले को कानूनी तौर पर गलत बताया है. उन्होंने कहा कि विधायकों को विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने ( 23 मई 2023 ) तक अयोग्य घोषित कर दिया गया है. वो आगे होने वाले उपचुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते हैं, जो गलत है. आचार्य ने कहा,
आचार्य ने आर्टिकल 164 (1बी) का जिक्र करते हुए कहा कि, 'कोई सदस्य, जिसे 10वीं अनुसूची के दूसरे पैराग्राफ के तहत सदन के सदस्य के तौर पर अयोग्य ठहरा दिया गया हो, वह मंत्री बनने के लिए भी तब तक अयोग्य होगा, जब तक कि उसकी सदस्यता का कार्यकाल पूरा ना हो जाए या वह सदन में दोबारा चुनकर ना आ जाए.’ इसका सीधा मतलब है कि विधायक उपचुनाव में हिस्सा ले सकता है.
कर्नाटक में 2018 में विधानसभा चुनाव हुआ था. इस चुनाव में चुनकर आए विधायकों का कार्यकाल 2023 में खत्म होगा. इस बीच अगर इनमें से किसी भी विधायक को दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, तो वह कर्नाटक की किसी भी सरकार में 2023 तक या उपचुनाव/चुनाव में जीतकर आने तक मंत्री नहीं बन सकता है.
कर्नाटक विधानसभा स्पीकर के इस फैसले के बाद अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस के दो और एक निर्दलीय विधायक सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. क्योंकि अगर स्पीकर का फैसला उन पर कायम रहता है तो वो 2023 तक न तो विधायक बन सकते हैं और न ही उन्हें नई सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है. इसीलिए अब एक बार फिर कर्नाटक का सियासी बवाल सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने के आसार हैं. हालांकि अभी तक विधायकों की तरफ से ऐसी कोई भी जानकारी नहीं मिली है.
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Published: 26 Jul 2019,10:06 AM IST