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पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता नगर निगम चुनाव (Kolkata Corporation election) में कुल 144 सीटों में से 93% या 135 सीटों पर जीत हासिल की है. आश्चर्जनक रूप से इस चुनाव में एक खास बात रही कि वाम मोर्चे (Left Front) ने बीजेपी (BJP) को तीसरे स्थान पर धकेलते हुए मुख्य विपक्ष के दर्जे पर अपना दावा किया है.
हालांकि सीटों के लिहाज से बीजेपी ने तीन सीटें जीतीं, जबकि वाम मोर्चा और कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं. बावजूद इसके वोट शेयर के मामले में वाम मोर्चे को 12% वोट मिले जबकि बीजेपी का वोट शेयर घटकर 9% रह गया.
TMC ने इस बार 6 विधायक और एक सांसद को पार्षद पद के लिए मैदान में उतारा था. इन सभी ने अपने-अपने वार्ड से भारी अंतर से जीत हासिल की है. मालूम हो कि TMC पहली बार वार्ड 98 जीतने में कामयाब रही, जो पिछले 36 सालों से वामपंथी उम्मीदवारों का गढ़ था.
चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि “चुनाव एक त्योहार की तरह आयोजित किया गया था, यह लोकतंत्र की जीत है.”
वार्ड संख्या 66 में, फैज अहमद खान ने 62 हजार से अधिक वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की और वार्ड में 88% से अधिक वोटों को अपने नाम किया.
चुनाव के दिनों में सुबह से ही वोटरों को डराने-धमकाने, हिंसा और धांधली को लेकर शिकायतें सामने आने लगीं. सियालदह के ताकी बॉयज स्कूल के पास बम फेंके गए, जिसमें तीन वोटर घायल हो गए. यहां तक कि बेलेघाटा और खन्ना इलाके में भी बम फेंके गए. इस पर कोलकाता पुलिस ने कहा कि इसके पीछे अज्ञात बदमाशों का हाथ है.
19 दिसंबर की तड़के सुबह पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के आवास को पुलिस ने घेर लिया था, जबकि उनका आवास दूसरे जिले में स्थित है. हैरानी की बात है कि पुलिस ने इस तरह की कार्रवाई के लिए कोई बयान जारी नहीं किया या कोई कारण भी नहीं बताया.
वोटिंग समाप्त होने के बाद देर रात हाटीबागान क्षेत्र के वार्ड 16 से कांग्रेस प्रत्याशी रवि साहा को सड़क पर पटक दिया गया, उनके कपड़े उतार दिए गए और उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गयी.
वार्ड 45 में एक पोलिंग सेंटर के अंदर कांग्रेस प्रत्याशी संतोष पाठक के चुनाव एजेंट अमिताभ चक्रवर्ती के साथ मारपीट की गई. बागबाजार क्षेत्र के वार्ड नंबर 23 में मारवाड़ी बालिका विद्यालय नाम के एक स्कूल में लोगों के एक समूह ने मतदान केंद्र पर धावा बोल दिया, ईवीएम में धांधली की. फाइलों को फाड़ दिया और भाग निकले.
विपक्ष ने दावा किया है कि ज्यादातर मामलों में अपराधी स्थानीय नहीं लगते थे. बंगाली टीवी चैनलों ने ऐसे कई उदाहरणों की सूचना दी जहां एक झूठे वोटर या व्यक्ति वोट देने के बाद दोबारा वोट डालने के लिए दूसरी बार कतार में खड़ा होते कैमरे में कैद हो गया.
ये विडंबना ही है कि TMC, जिसने 25 नवंबर को त्रिपुरा निकाय चुनावों में बड़े पैमाने पर हिंसा और धांधली के लिए बीजेपी पर आरोप लगाया था, उस राज्य में बेहतर तस्वीर पेश नहीं कर सकी जिसमे वो सत्तारूढ़ है.
TMC सांसद और राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, जब वोट डालने आए. तो उन्होंने आरोपों का जवाब दिया और कहा, “जब वोटों का प्रयोग करने की बात आती है तो त्रिपुरा और बंगाल के बीच नरक और स्वर्ग का अंतर होता है.
जब पत्रकारों ने केएमसी चुनाव में हिंसा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सवाल किया तो बनर्जी ने कहा “कोई 144 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सकता, तो वे नाटक करेंगे. उन्हें नजरअंदाज करना ही बेहतर है. खुशी है कि चुनाव शांतिपूर्ण रहा."
दूसरी तरफ CPI(M) नेता सुजान चक्रवर्ती ने राज्य के प्रशासन और चुनाव आयोग पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया है.
इस पूर्वी राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी कमजोर हो गई है. हाल ही में हुए उपचुनावों में भगवा पार्टी TMC से सभी 7 सीटों पर हार गई थी.
विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों को उम्मीदवार घोषित करने के बाद भी केंद्रीय बीजेपी नेता इस बार केएमसी चुनाव से काफी हद तक दूर रहे. स्मृति ईरानी और गिरिराज सिंह जैसे केंद्रीय मंत्री जो नगर निकाय चुनाव के स्टार प्रचारक थे, वो भी नहीं आए.
राज्य बीजेपी नेताओं ने भी समान रूप से पार्टी को विफल किया. ऐसे उदाहरण थे जहां भगवा पार्टी के कुछ उम्मीदवारों के पास प्रचार के दौरान नारे लगाने वाले कार्यकर्ता भी नहीं थे. उदाहरण स्वरुप बीजेपी के एक उम्मीदवार ने अपनी पत्नी के साथ अकेले प्रचार किया, क्योंकि कोई भी उनके साथ पीछे शामिल नहीं हुआ.
जहां एक तरफ टीएमसी ने सबसे आक्रामक अभियानों में से एक चलाया, मुख्यमंत्री ने खुद जनसभाएं कीं और भतीजे अभिषेक ने कई रोड शो किए, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने एक कमजोर चुनाव अभियान चलाया. केएमसी चुनाव प्रचार जब चरम पर था, बीजेपी राज्य नेतृत्व सिंगूर में 80 किलोमीटर तक विरोध प्रदर्शन कर रहा था.
हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया तो बीजेपी ने डिवीजन बेंच का रुख किया. डिवीजन बेंच ने भी इसे खारिज कर दिया. राज्य बीजेपी ने तब हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
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Published: 21 Dec 2021,10:12 PM IST